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कभी भी हो सकता है विश्व युद्ध: गडकरी

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  • भारत ने दिया अहिंसा और शांति का संदेश'
  • आधुनिक युद्ध तकनीक से बढ़ा खतरा
  • गडकरी ने की पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सराहना

नागपुर। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि दुनिया में रूस-यूक्रेन और इस्राइल-ईरान जैसे युद्धों के कारण टकराव का माहौल बन गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति बन रही है जिससे कभी भी विश्व युद्ध छिड़ सकता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर में 'बियॉन्ड बॉर्डर्स' नाम के पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बड़ी महाशक्तियों की तानाशाही और अधिनायकवाद के चलते दुनिया से समन्वय, सौहार्द और प्रेम खत्म होता जा रहा है।

उन्होंने कहा, आज पूरी दुनिया में संघर्ष का वातावरण है। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-ईरान के बीच युद्ध जारी हैं। ऐसे हालात बन रहे हैं कि कभी भी वर्ल्ड वॉर जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।' केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत बुद्ध की धरती है, जिसने दुनिया को सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश दिया है। नितिन गडकरी ने कहा कि युद्ध की तकनीक अब पूरी तरह बदल चुकी है। अब टैंक और पारंपरिक विमान कम उपयोगी हो गए हैं, जबकि मिसाइल और ड्रोन जैसे आधुनिक हथियारों का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।

उन्होंने कहा 'अब मिसाइलें सीधे नागरिक बस्तियों पर गिराई जा रही हैं, जिससे मानवता की रक्षा करना मुश्किल होता जा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है जिस पर वैश्विक स्तर पर चर्चा की जरूरत है'।उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे गरीबों की संख्या बढ़ रही है और संपत्ति कुछ अमीरों के पास सिमटती जा रही है, जो एक खतरनाक स्थिति है। उन्होंने कहा कि समाज में धन का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि सारी संपत्ति कुछ लोगों के पास केंद्रित हो जाए। हमें ऐसी अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करना होगा जो रोजगार पैदा करे और गांवों का विकास करे।

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने आगे कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर 65 से 70 प्रतिशत लोग निर्भर हैं, फिर भी इसका देश की जीडीपी में योगदान केवल 12 प्रतिशत है। वहीं उद्योग क्षेत्र का योगदान 22 से 24 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र का 52 से 54 प्रतिशत है। गडकरी ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की उदार आर्थिक नीतियों की सराहना की। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिना नियंत्रण के केंद्रीकरण से सावधान रहने की जरूरत है। साथ ही स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि जिसका पेट खाली हो, उसे दर्शन नहीं सिखाया जा सकता।

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