
भोपाल। मध्य प्रदेश में हवाओं की दिशा बदलने और वातावरण में नमी बढ़ने के कारण मौसम ने करवट ले ली है। बीते दिन शुक्रवार को पूर्वी और दक्षिणी मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बादल छाए रहे और कहीं-कहीं हल्की बारिश भी दर्ज की गई। वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र में हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात सक्रिय है, जो शनिवार तक केरल और कर्नाटक तट पर कम दबाव के क्षेत्र में बदल सकता है। अगले दो दिनों में इसके अवदाब के रूप में विकसित होने की संभावना है।
दरअसल, हवा की दिशा बदलने से रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है। गुरुवार और शुक्रवार की रात अधिकतर शहरों में तापमान 20 डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। केवल छतरपुर का नौगांव ऐसा स्थान रहा जहां पारा 15 डिग्री तक गिरा। वहीं दिन के तापमान में भी मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर और खजुराहो में अधिकतम तापमान 33 से 34 डिग्री के बीच बना हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एच.एस. पांडे ने बताया कि शनिवार को भोपाल और इंदौर संभाग के जिलों में बूंदाबांदी की संभावना है। पिछले 24 घंटों में भोपाल, इंदौर, नर्मदापुरम, उज्जैन और जबलपुर संभाग के कई हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई। नमी के कारण दक्षिण-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी मध्यप्रदेश में बादल छाए रहने की संभावना बनी हुई है। मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने बताया कि इस समय पूर्वी हवाओं के साथ बीच-बीच में दक्षिणी हवाएं भी चल रही हैं, जिससे वातावरण में नमी बढ़ रही है और बादल बन रहे हैं। यह स्थिति अगले एक सप्ताह तक बनी रह सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार, इंदौर संभाग के चार जिलेबड़वानी, खरगोन, खंडवा और बुरहानपुरमें शनिवार को हल्की बूंदाबांदी और बादल छाए रहने की संभावना है। वहीं भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में दिनभर धूप खिली रहने की उम्मीद है।
मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि नवंबर से ठंड का असली दौर शुरू होगा, जो जनवरी के अंत तक जारी रहेगा। इस बार फरवरी तक भी ठंडक का असर महसूस हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल 2010 के बाद सबसे अधिक सर्द सर्दी देखने को मिल सकती है। सर्दियों के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना भी जताई गई है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ बार-बार मौसम को प्रभावित करेंगे। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने भी जल्द ही ला-नीना परिस्थितियों के विकसित होने की पुष्टि की है, जिससे ठंडक और बढ़ेगी।
पूरे मध्यप्रदेश से विदा हुआ मानसून
मौसम विभाग ने बताया कि पूरे प्रदेश से मानसून विदा हो चुका है। इस बार मानसून तीन महीने 28 दिन तक सक्रिय रहा। 16 जून को इसकी एंट्री हुई थी और 13 अक्टूबर को वापसी दर्ज की गई। इसके बावजूद कुछ इलाकों में छिटपुट बारिश का दौर जारी रहेगा। इस साल मानसून की ‘हैप्पी एंडिंग’ रही। भोपाल और ग्वालियर समेत 30 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। गुना जिला इस बार सबसे ज्यादा बारिश वाला रहा, जहां 65.7 इंच पानी गिरा। वहीं श्योपुर में 216.3 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी बारिश से प्रदेश में भू-जल स्तर और सिंचाई क्षमता दोनों बढ़ी हैं। हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला रहा जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) वर्षा दर्ज की गई। इस कारण इसे “बारिश की भारी कमी” वाले जिले की श्रेणी में रखा गया है।
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