भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश की टीम ने ऑनलाइन गेमिंग और निवेश के नाम पर 400 करोड़ रुपए की साइबर ठगी करने वाले साइबर जालसाजों के गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस जांच के बाद ठगी की रकम 1000 से 1500 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह भी दावा किया जा रहा है कि यह देश की सबसे बड़ी साइबर ठगी हो सकती है। आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि गिरोह को एमबीए चाचा और इंजीनियर भतीजा चला रहे थे।
चाचा-भतीजे ने ठगी के लिए मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बैरिया के बहुआरा निवासी वर्तमान में नई दिल्ली के मोहन गार्डन में रह रहे दिनेश सिंह और उनकी पत्नी कुमकुम के नाम से कंपनी खोली और बदले में दंपती को 27 हजार रुपए प्रतिमाह दे रहे थे। दंपती को कंपनी में डायरेक्टर बनाया गया था। दंपती के साथ ही गिरोह के सरगना चाचा रविंद्र सिंह जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बैरिया के बहुआरा निवासी वर्तमान में नई दिल्ली के सेक्टर 17 थाना क्षेत्र के चंद्रापार्क में रह रहा है, को गिरफ्तार किया गया। जबकि भतीजा शशिकांत मोबाइल बंद कर बेंगलुरु से फरार हो गया। भांजे और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।
उन्होंने बताया कि धौलपुर निवासी हरिसिंह ने 6 मार्च को टोल फ्री नंबर 1930 पर अपने फिनो पेमेंट बैंक खाते से 35 लाख रुपए की ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। गौरतलब है कि साइबर ठगी करने वालों के खिलाफ पत्रिका की मुहिम के बाद प्रदेश में पुलिस ठगी करने वालों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है।
जांच के दौरान 1000 शिकायतें बढ़ी
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि साइबर वॉर रूम की विजिलेंस टीम और 14सी के डायरेक्टर राजेश कुमार और उनकी टीम की मदद से जांच की गई। जिस खाते से ठगी की गई थी, उसकी जांच की गई तो पता चला कि पहले से ही ठगी की 3000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज थीं। जांच के दौरान ठगी की शिकायतों की संख्या 4000 तक पहुंच गई। मामले को गंभीरता से लेते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई।
एक साल बाद पुरानी कंपनी बंद कर गरीबों के नाम पर नई कंपनी खोल दी गई। राहुल प्रकाश ने बताया कि चाचा-भतीजे ने धौलपुर निवासी हरि सिंह से ठगी की रकम चार फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर की। चारों कंपनियों के बैंक खाते फ्रीज करा दिए गए। फिलहाल इन खातों में करीब 4 करोड़ रुपए की रकम जमा है। ठगी के लिए खोली जाने वाली नई कंपनी के लिए ये गरीब लोगों को चिन्हित करते और उनसे दस्तावेज लेकर उन्हें डायरेक्टर बनाकर कंपनी खोल देते। एक कंपनी को एक साल बाद बंद कर देते और ठगी के लिए दूसरी कंपनी खोल देते। जिसके नाम से कंपनी खोलते, उसे मोटी रकम प्रतिमाह देते। चाचा-भतीजा गिरफ्तार दंपती को उनके नाम से कंपनी खोलने के लिए 27 हजार रुपए प्रतिमाह दे रहे थे। गिरोह का सरगना रविंद्र सिंह अब तक 5 से ज्यादा फर्जी कंपनियां रजिस्टर करा चुका है। इस तरह से ठगी करते हैं।
चाचा-भतीजा गिरोह सोशल मीडिया पर गेमिंग और निवेश के फर्जी लिंक भेजते हैं। शुरुआत में पीड़ित को मुनाफा दिखाकर उसका विश्वास जीत लेते हैं। उसे लालच देकर मोटी रकम निवेश कराकर पूरी रकम हड़प लेते हैं। पीड़ित के मोबाइल का रिमोट एक्सेस लेकर अन्य ठगी करते हैं। गिरोह फिनो, बैकबॉक्स इंफोटेक, फोनपे जैसे कई पेमेंट गेटवे का दुरुपयोग कर रहा था। ठगी की रकम जमा करने के लिए एचडीएफसी, आरबीएल, बंधन, कोटक, इंडसेंड, एक्सेस और यस बैंक में दर्जनों फर्जी खाते खोले गए थे। आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि बैंक खातों की केवाईसी प्रक्रिया और दस्तावेजों की जांच के लिए संबंधित बैंक प्रबंधकों को नोटिस जारी किए गए हैं।
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