टोंक जिले सहित पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता की जांच अब बच्चों के अभिभावक भी कर सकेंगे। सभी स्कूलों में मिड-डे मील तैयार करने से लेकर परोसने तक की पूरी गतिविधि के दौरान कम से कम एक अभिभावक और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य की मौजूदगी अनिवार्य कर दी गई है। दोनों के चखने के बाद ही बच्चों को खाना परोसा जाएगा।मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नाथूलाल कटारिया ने बताया कि मिड-डे मील आयुक्त ने प्रदेश के प्रारंभिक शिक्षा के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (मुख्यालय) को निर्देश दिए हैं कि स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य मिड-डे मील का कार्य देखेंगे और योजना के तहत भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई, स्वच्छता आदि की जांच करेंगे।
गुणवत्ता जांचने की सभी अभिभावकों को दी गई है आजादी
मिड-डे मील की गुणवत्ता जांचने की सभी अभिभावकों को आजादी दी गई है। चाहे वह स्कूल प्रबंधन समिति का सदस्य हो या नहीं। आदेशों में कहा गया है कि मिड-डे मील तैयार होने के बाद अभिभावक बच्चों को परोसने से पहले तैयार भोजन को चखेंगे और यदि उसमें कोई कमी होगी तो उसे रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
उच्चाधिकारियों की टीम करेगी रिपोर्ट का मूल्यांकन
उच्चाधिकारियों की टीम समय-समय पर स्कूलों में अभिभावकों की गुणवत्ता रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगी। कटारिया ने बताया कि स्कूल प्रबंधन समिति में अधिकांश सदस्य स्थानीय निवासी हैं। स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थी भी आमतौर पर आसपास के क्षेत्र के ही होते हैं। स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों का विद्यार्थियों से जुड़ाव होने के कारण मिड-डे मील योजना का प्रभावी पर्यवेक्षण अपेक्षित है। ऐसे में हर स्कूल में गठित स्कूल प्रबंधन समिति को सक्रिय किया जाएगा। स्कूल में मिड-डे मील का निरीक्षण करने के साथ ही इसकी रिपोर्ट की समीक्षा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में की जाएगी।
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