जयपुर के महारानी कॉलेज में मजार विवाद में जिला कलेक्टर द्वारा गठित 6 सदस्यीय जांच कमेटी शुक्रवार (4 जुलाई) से अपना काम शुरू करेगी। कमेटी मौके का निरीक्षण कर सच्चाई जानने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही कब्रों का रहस्य भी उजागर होगा कि ये कितनी पुरानी हैं। इस कमेटी में एसडीएम जयपुर राजेश जाखड़, उपायुक्त डॉ. प्रियव्रत चारण और सहायक पुलिस उपायुक्त बलराम जाट शामिल हैं। पुरातत्व अधीक्षक नीरज त्रिपाठी, सुभाष बैरवा के अलावा प्राचार्य प्रो. पायल लोढ़ा को मनोनीत सदस्य बनाया गया है। कमेटी सीसीटीवी फुटेज, पूर्व कार्मिकों और अध्ययनरत छात्राओं के बयानों के आधार पर 4 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
गर्ल्स कॉलेज में कब्र के बाद उठे कई सवाल
राजस्थान विश्वविद्यालय के इस संघटक कॉलेज में कब्रों को लेकर उठे विवाद के बाद कमेटी का गठन किया गया है। सवाल यह भी है कि गर्ल्स कॉलेज में पुरुष कैसे घुस आए। इससे छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं, सामाजिक संगठनों ने इन कब्रों को लेकर आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि गर्ल्स कॉलेज में यह मजार किसने बनवाई। राजस्थान यूनिवर्सिटी के एबीवीपी छात्रों का कहना है कि सरकारी शिक्षण संस्थान में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। कॉलेज प्रशासन को अपने स्तर पर इन तीनों मजारों को हटाना चाहिए, नहीं तो एबीवीपी विरोध प्रदर्शन कर आंदोलन करेगी।
विधायक अमीन कागजी का दावा- 165 साल पुरानी हैं कब्रें
कब्र की उम्र को लेकर लोगों के अलग-अलग दावे हैं। कुछ लोग इसे 5 साल पुरानी कब्र बता रहे हैं, जबकि कांग्रेस विधायक और चीफ व्हिप रफीक खान के मुताबिक यह 25 साल पुरानी है। वहीं, कांग्रेस विधायक अमीन कागजी का दावा है कि ये कब्रें करीब 165 साल पुरानी हैं और इसके स्पष्ट प्रमाण भी मौजूद हैं। कागजी ने कहा कि सरकार चाहे तो पुरातत्व विभाग से इनका रिकॉर्ड मंगवाकर जांच करवा सकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ये संरचनाएं हाल की हैं, तो इतने सालों से यहां कैसे मौजूद थीं? उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का सम्मान बरकरार रखा जाए तथा बिना तथ्यों के कार्रवाई से बचा जाए।
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