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राजस्थान में यहां पर बीसलपुर से बड़ा बांध बनाने की तैयारी लेकिन पहले ही मच गया बवाल, ग्रामीणों ने किया महापंचायत का ऐलान

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सवाईमाधोपुर जिले की खंडार तहसील के डूंगरी गांव में बांध बनने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। बांध के डूब क्षेत्र में दर्जनों गांव आ रहे हैं। यहां की आबादी 8 से 10 हजार बताई जा रही है। लोगों को भूमि अधिग्रहण व विस्थापन का डर सता रहा है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण व प्रभावितों के पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है। जिन ग्रामीणों की भूमि बांध क्षेत्र में आ रही है। इनमें सवाईमाधोपुर व करौली जिले के लोग भी शामिल हैं। ऐसे में वे लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के तहत करौली-सवाईमाधोपुर जिले के 76 गांवों को नुकसान पहुंचेगा।

इस संबंध में ग्रामीणों ने भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रभारी मदन मोहन राजौर के नेतृत्व में प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। इसमें बताया गया कि जिले की खंडार तहसील के डूंगरी में बनास नदी पर ईआरसीपी डूंगरी बांध निर्माण के लिए वित्तीय स्वीकृति व भूमि अधिग्रहण की अनापत्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसमें न तो संबंधित ग्राम पंचायतों से सहमति (एनओसी) ली गई और न ही सवाई माधोपुर व करौली जिले के आमजन से जनसंगोष्ठी या जनचर्चा कर सहमति ली गई। सभी लोगों ने जनहित में डूंगरी बांध निर्माण की प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रोकने की मांग की है।

6 जुलाई को होगी महापंचायत

अब 6 जुलाई को डूंगरी गांव में सरकार द्वारा बांध निर्माण के विरोध में सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर जिले के मजदूर, किसान व युवाओं की सर्व समाज महापंचायत फिर से होगी। इसमें तीन हजार से अधिक लोग भाग लेंगे। इसके बाद डूंगरी बांध के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि डूंगरी बांध की भूमि अधिग्रहण होने से करौली व सवाईमाधोपुर जिले के लाखों लोग बेघर हो जाएंगे। ऐसे में लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। पिछले दिनों भूरी पहाड़ी बगीची बालाजी मंदिर में महापंचायत हुई। इसमें पंच पटेलों व ग्रामीणों ने इसका खुलकर विरोध किया। बीसलपुर से डेढ़ गुना अधिक होगी बांध की क्षमता

डूंगरी बांध की क्षमता 1600 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रस्तावित है, जो बीसलपुर बांध से डेढ़ गुना अधिक है। नदी से बांध की ऊंचाई 24.50 मीटर और लंबाई 1500 मीटर होगी। बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो होने के बाद ओवरफ्लो पानी डूंगरी बांध में आएगा। इसके अलावा कालीसिंध और पार्वती नदी का पानी सीधे बांध में लाने की व्यवस्था की जा रही है। यहां से अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर के लाखों लोगों की पानी की जरूरत पूरी होगी।

इनका कहना है

अभी डूंगरी बांध निर्माण के लिए सिर्फ सर्वे किया जा रहा है। ग्रामीण भूमि अधिग्रहण और डूब क्षेत्र में आ रहे गांवों का विरोध कर रहे हैं। डूंगरी बांध का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है। इसके निर्माण में करीब चार साल का समय लगेगा।

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