राजस्थान सरकार की ओर से राशन की दुकानों पर अन्नपूर्णा भंडार खोलने की तैयारियां जोरों पर हैं। करीब 5 हजार राशन की दुकानों पर ये भंडार खोले जाने हैं, जिनका उद्देश्य आम उपभोक्ता को दैनिक उपयोग की खाद्य सामग्री सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना है, लेकिन योजना के क्रियान्वयन से पहले ही भंडारों पर बिकने वाली खाद्य सामग्री की दरों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आपूर्ति करने वाली फर्मों की ओर से तय की गई दरें बाजार दरों से 10 से 50 रुपए अधिक हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि उपभोक्ता बाजार से अधिक दर पर सामान खरीदने अन्नपूर्णा भंडार पर क्यों आएगा?
डीलर का मार्जिन जोड़ा, उपभोक्ता का भरोसा टूटा?
फर्मों की ओर से दी जाने वाली दरों में राशन डीलरों के लिए 5 से 10 प्रतिशत मार्जिन शामिल किया गया है। यह मार्जिन डीलरों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से जोड़ा गया था, लेकिन इससे कुल दरों में अंतर इतना बढ़ गया कि भंडार का सामान बाजार से भी महंगा हो गया। खाद्य विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि डीलर को लाभ तभी मिलेगा जब उपभोक्ता दुकान से खरीदेगा, लेकिन जब कीमत ही अधिक होगी तो ग्राहक क्यों आएगा? सूत्रों के अनुसार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम ने मूल्य निर्धारण से पहले न तो कोई बाजार सर्वेक्षण कराया और न ही कोई जांच की। फर्मों द्वारा बताई गई दरों को सीधे स्वीकार कर लिया गया।
अधिकारियों को डर है कि यदि उपभोक्ता को वास्तविक लाभ नहीं मिला तो इस योजना का भी वही हश्र हो सकता है जो 2015 में हुआ था, जब अन्नपूर्णा भंडार योजना विफल साबित हुई थी। 2015 में भी अधिक कीमतों के कारण योजना विफल हो गई थी राज्य सरकार ने 2015 में 5 हजार अन्नपूर्णा भंडार खोलकर राशन डीलरों की आय बढ़ाने की पहल की थी। उस समय भी इन दुकानों पर दैनिक उपयोग की खाद्य सामग्री की आपूर्ति एक बड़े कॉर्पोरेट समूह को दी गई थी। राशन डीलरों के अनुसार उस समय भी खाद्य सामग्री की दरें स्थानीय बाजार से अधिक थीं और आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा एक विशेष ब्रांड बेचने का दबाव बनाया जाता था। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति सीमित है, महंगे ब्रांड के सामान बेचना संभव नहीं था। इसके कारण अधिकांश डीलरों को 3 से 4 लाख रुपए तक का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। अब जब 2025 में बिना व्यापक समीक्षा और बाजार सर्वेक्षण के फिर से यही मॉडल दोहराया जा रहा है, तो भविष्य की आशंका 2015 की विफलता के साये में खड़ी नजर आ रही है।
खाद्य पदार्थों के रेट हर हाल में कम होने चाहिए
अन्नपूर्णा भंडारों पर रखे जाने वाले खाद्य पदार्थों के रेट बाजार या उससे कम रेट पर तय किए जाने चाहिए, ताकि उपभोक्ता इन दुकानों से सस्ते दामों पर सामान खरीदने आएं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इस योजना का हाल भी 2015 जैसा हो जाएगा।
इनका कहना है
अभी तीन फर्मों ने अपने रेट दिए हैं और कुछ वस्तुओं के दाम में गुणवत्ता के आधार पर अंतर स्वाभाविक हो सकता है। लेकिन हमारा प्रयास है कि उपभोक्ताओं को अन्नपूर्णा भंडारों पर सबसे कम दाम पर ब्रांडेड खाद्य पदार्थ मिलें। इसके लिए अभी कुछ अतिरिक्त फर्मों को भी आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के जरिए रेट कम हों और उपभोक्ताओं को लाभ मिले। साथ ही, इससे राशन डीलरों की आय में भी वृद्धि होगी।
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