बिहार देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां मोबाइल के ज़रिए ऑनलाइन वोटिंग होगी. यह ई-वोटिंग 28 जून को बिहार के नगरपालिका चुनाव से शुरू होगी.
इस प्रणाली के लिए 51,155 मतदाताओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जिनमें 26,038 पुरुष और 25,117 महिला मतदाता शामिल हैं. पटना, पूर्वी चंपारण, रोहतास, गया, बक्सर, बांका, सारण और सिवान की नगरपालिकाओं में होने वाले इन चुनावों में सबसे ज़्यादा रजिस्ट्रेशन बक्सर से हुआ है.
इस ई-वोटिंग का प्रयोग बिहार राज्य निर्वाचन आयोग कर रहा है.
आयोग स्थानीय निकायों यानी नगर निकाय चुनाव कराने के लिए ज़िम्मेदार होता है.
क्या होती है ई-वोटिंग?आसान शब्दों में, जब कोई मतदाता मोबाइल के ज़रिए कहीं से भी वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा ले, तो उसे ई-वोटिंग कहते हैं.
बिहार राज्य के निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने बीबीसी को बताया, "देश में पहली बार बिहार राज्य में ऐसा होने जा रहा है. दुनिया के कुछ ही देशों में ऐसा होता है, जिनमें एस्टोनिया एक उदाहरण है. हमने 10 जून से 22 जून तक एक विशेष अभियान चलाया था. रिटर्निंग ऑफ़िसर की टीमों ने लोगों को ई-वोटिंग के लिए जागरूक किया. हेल्प डेस्क, रैली और पोस्टरों के ज़रिए प्रचार किया गया. इसके नतीजे उत्साहजनक हैं."
इन चुनावों में मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद और वार्ड पार्षद के लिए कुल 570 उम्मीदवार मैदान में हैं.
यह सुविधा उन मतदाताओं के लिए है जो वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग, गंभीर बीमारी से पीड़ित, गर्भवती महिला या प्रवासी मज़दूर हैं.
पारंपरिक वोटिंग सुबह 7 से शाम 5 बजे तक चलेगी, जबकि ई-वोटिंग केवल सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक ही हो सकेगी.
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जिन मतदाताओं ने खुद को ई-वोटिंग के लिए रजिस्टर किया है, उन्हें अपने मोबाइल पर एक ऐप डाउनलोड करना होगा.
नगरपालिका आम निर्वाचन 2025 के लिए एसईसीबीएचआर (SECBHR) ऐप और उप निर्वाचन के लिए एसईसीबीआईएचआर (SECBIHAR) ऐप का उपयोग किया जाएगा.
ये ऐप केवल रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ही काम करेंगे. एक विकल्प राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के ज़रिए भी उपलब्ध है, लेकिन वह भी केवल रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ही सक्रिय होगा.
निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने बताया, "मतदान में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसलिए केवल रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ही मतदान मान्य होगा. एक नंबर से अधिकतम दो लोग (जैसे पति-पत्नी) वोट डाल सकते हैं. इस प्रयोग को लेकर अच्छा रेस्पॉन्स मिला है. सिवान, पूर्वी चंपारण के साथ-साथ दुबई और क़तर जैसे देशों में रहने वाले प्रवासी मतदाता भी रजिस्टर हुए हैं.''
उन्होंने कहा, ''यदि किसी मतदाता को मदद चाहिए तो वेबसाइट पर हेल्पलाइन की सुविधा है. पूरी प्रक्रिया को बहुत सरल रखा गया है. मतदाता को स्टेप बाय स्टेप फॉलो करते हुए अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करना होगा."
इसी के साथ निर्वाचन आयोग ने मतदान के लिए ई-वोटिंग से जुड़ी कुछ सावधानियां भी जारी की हैं.
निर्वाचन आयोग ने ई-वोटिंग के समय कुछ सावधानियां बरतने के लिए भी कहा है:
- केवल अपने निजी स्मार्ट फ़ोन का उपयोग करें.
- पंजीकरण और मतदान के लिए एक ही मोबाइल नंबर और फ़ोन का उपयोग करें.
- अपना ओटीपी किसी के साथ साझा ना करें.
- अज्ञात लिंक या नकली वोटिंग ऐप पर क्लिक ना करें.
- संदिग्ध गतिविधि की सूचना राज्य निर्वाचन आयोग, बिहार के हेल्पलाइन नंबर पर दें
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बिहार लंबे समय से पलायन की समस्या झेल रहा है. समाजशास्त्रियों के अनुसार, यहां मतदान कम होने की एक बड़ी वजह यही है.
इसी वजह से राज्य निर्वाचन आयोग इस पहल को "मतदान फ़ीसदी बढ़ाने के एक बड़े साधन" के रूप में देख रहा है.
लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता इस पर सवाल उठा रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता शाहिना परवीन कहती हैं, "मोबाइल फोन महिलाओं और बुज़ुर्गों की पहुंच में नहीं है. ज़्यादातर महिलाओं के पास सामान्य फोन होते हैं, स्मार्टफोन नहीं. इसके अलावा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में पढ़ना-लिखना भी शामिल है, जो बिना प्रशिक्षण के महिलाओं और दूसरे वर्गों के लिए मुश्किल है."
रोहतास के तिलौथू की पूर्व वार्ड पार्षद रिंकू देवी कहती हैं, "हम लोग छोटा फोन (फ़ीचर फोन) इस्तेमाल करते हैं. हमारे लिए ये योजना बेकार है. जिनके पास स्मार्टफोन है, वही इसका फ़ायदा उठा सकते हैं."
तकनीकी आंकड़े भी इस स्थिति की पुष्टि करते हैं. प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो के अनुसार, बिहार की टेलीडेंसिटी 57.23 फ़ीसदी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 85.04 फ़ीसदी है.
टेलीडेंसिटी का अर्थ किसी इलाके में प्रत्येक 100 व्यक्तियों पर टेलीफ़ोन कनेक्शन की संख्या है.
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक़, राज्य में इंटरनेट डेंसिटी 42.1 फ़ीसदी है, जबकि देश भर में यह आंकड़ा 68.19 फ़ीसदी है. इंटरनेट डेंसिटी यानी किसी क्षेत्र में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या का अनुपात. ये बताता है कि किसी क्षेत्र में कितने प्रतिशत लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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