प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की मालदीव यात्रा पर दुनिया भर का ध्यान गया. 26 जुलाई 2025 को उन्होंने मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की.
यह दौरा इसलिए ख़ास रहा क्योंकि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान 'इंडिया आउट' का नारा दिया था और जीत के बाद शुरुआती महीनों में भारत को लेकर सख़्त रुख़ अपनाया था.
उस समय मुइज़्ज़ू लगातार चीन से संबंध मजबूत करने की बातें कर रहे थे. लेकिन अब उन्हीं मुइज़्ज़ू ने प्रधानमंत्री मोदी को इस बड़े राष्ट्रीय समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया.
इसी वजह से इस यात्रा को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में व्यापक कवरेज मिली और इसे भारत और मालदीव के रिश्तों में बदलाव के संकेत के तौर पर देखा गया, ख़ासकर उस समय जब चीन भी मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
ग्लोबल टाइम्स
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मालदीव दौरे को लेकर भारतीय मीडिया की कवरेज की आलोचना की है.
अख़बार की वेबसाइट पर लिखा है कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों ने मोदी की इस यात्रा को मालदीव में चीन के असर को घटाने वाली और भारत की जीत के तौर पर पेश किया है. चीनी विशेषज्ञों ने ऐसी बयानबाज़ी की आलोचना करते हुए इसे भारतीय मीडिया की "पुरानी सोच" का नतीजा बताया.
अख़बार में लिखा गया है, ''भारतीय मीडिया ने मोदी के मालदीव दौरे को जिस तरह दिखाया है वह टकराव और जीरो‑सम गेम (यानी ऐसा खेल जिसमें एक की जीत दूसरे की हार मानी जाती है) वाली मानसिकता को दर्शाता है.''
क़ियान फेंग, जो चिंग्हुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के डायरेक्टर हैं, उन्होंने ग्लोबल टाइम्स से बात करते हुए विस्तृत टिप्पणी दी.
अख़बार में लिखा गया है, ''कुछ भारतीय मीडिया संस्थान मालदीव के चीन और भारत के साथ संबंधों को भू‑राजनीतिक मुक़ाबले के नज़रिए से देखते हैं. हालांकि, मालदीव एक स्वतंत्र राष्ट्र है जो स्वाभाविक रूप से अपने पड़ोसी भारत के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है और सक्रिय रूप से विविधता वाली विदेश नीति अपनाता है जिसमें चीन के साथ रिश्तों को मज़बूत करना और चीन की तरफ़ से प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के साथ जुड़ना भी शामिल है.''
क़ियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि ''यह नीति मालदीव के हित में है और ये दोनों रास्ते एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं.''
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सिंगापुर के चैनल न्यूज़ एशिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा पर अपनी रिपोर्ट का शीर्षक दिया, ''इंडिया के प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के साथ रिश्तों को नया रूप दिया''.
रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी 25 जुलाई को मालदीव पहुंचे और 26 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के बाद उन्होंने इंफ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और आर्थिक मदद की घोषणाओं के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत किया.
रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि भारत को चिंता थी कि 2023 में मुइज़्ज़ू के चुनाव के बाद मालदीव चीन के प्रभाव क्षेत्र में चला जाएगा, क्योंकि सत्ता संभालते ही मुइज़्ज़ू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैन्य दल को वापस भेजने का कदम उठाया था.
रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी ने दो दिन के दौरे में रक्षा मंत्रालय का नया मुख्यालय और भारत की ओर से बनाई गई कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया. साथ ही लिखा है कि राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने इस यात्रा को भारत‑मालदीव संबंधों के लिए भविष्य की नई दिशा बताया.
द वॉशिंगटन पोस्ट
अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दो दिन का दौरा मालदीव के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा.
अख़बार की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में लिखा गया है, ''इस यात्रा के दौरान मोदी ने आर्थिक मदद की घोषणा की और प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर औपचारिक बातचीत की शुरुआत की.''
रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है, ''इस दो दिन के दौरे को हिंद महासागर में समंदर के रास्तों पर भारत की पकड़ मज़बूत करने की महत्वाकांक्षा के लिहाज से अहम माना गया. यह दौरा 2023 में चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के चुनाव के बाद आई कूटनीतिक तनातनी को कम करने का संकेत है.''
इस रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ''शुक्रवार को हुई बातचीत के बाद मोदी ने मालदीव के लिए 56.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की ताकि मालदीव में विकास परियोजनाओं को समर्थन मिल सके.''
रिपोर्ट में कहा गया कि इस यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों को फिर से सामान्य करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.
द इंडिपेंडेंटब्रिटेन के मीडिया हाउस द इंडिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में मालदीव की आंतरिक राजनीति, चीन की ओर उसका झुकाव और हालिया घटनाओं को विस्तार से समझाया है.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि मोदी की यात्रा ऐसे समय में हुई जब पिछले दो साल से मालदीव की विदेश नीति में कई उतार-चढ़ाव आए.
द इंडिपेंडेंट की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में लिखा गया है, ''लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के फै़सले ने मालदीव में गुस्सा पैदा कर दिया था. मालदीव के लोगों को लगा कि यह कदम भारतीय पर्यटकों को उनके देश से दूर करने के लिए है. इसके बाद भारत के कई फिल्मी कलाकारों और मशहूर हस्तियों ने मालदीव का पर्यटन बहिष्कार करने की अपील की थी.''
रिपोर्ट में लिखा गया है, ''तनाव तब और बढ़ गया जब राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने पहले चीन का दौरा किया और भारत की यात्रा बाद में की. भारत ने इसे एक कूटनीतिक झटका माना.''
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन यात्रा के बाद मुइज़्ज़ू ने घोषणा की थी कि मालदीव अब भारत पर इलाज, दवाइयों और ज़रूरी सामान जैसे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए निर्भरता कम करेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक़, ''बीते साल जब मुइज़्ज़ू ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया तो इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में कुछ सुधार आया है और आधिकारिक स्तर पर संपर्क बढ़ा है.''
इस रिपोर्ट में इन घटनाओं को मौजूदा दौरे की पृष्ठभूमि का अहम हिस्सा बताया गया है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून
पाकिस्तान के मीडिया हाउस द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी की दो दिन की यात्रा के आख़िर में राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने सोशल मीडिया पर इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों के लिए निर्णायक बताया.
इस रिपोर्ट में लिखा गया है, ''मोदी की इस यात्रा ने भारत‑मालदीव संबंधों के भविष्य के लिए एक साफ दिशा तय कर दी है.''
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मुइज़्ज़ू ने अपने संदेश में लिखा, ''हमारा रिश्ता लगातार आगे बढ़ रहा है. इसे लोगों के आपसी जुड़ाव और अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग ने आकार दिया है.''
ट्रिब्यून की रिपोर्ट में मोदी की ओर से किए गए एक ऑनलाइन पोस्ट का ज़िक्र है जिसमें उन्होंने लिखा था, ''हमारी साझेदारी आगे भी मज़बूत होती जाएगी और मालदीव की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में भारत उनका साथ देगा.''
इस रिपोर्ट में खास तौर पर सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं के बयानों को महत्व दिया गया है, जो इस यात्रा के अंत में सार्वजनिक किए गए. इसमें कहा गया है कि इन बयानों ने संकेत दिया है कि इस बार का दौरा सिर्फ आर्थिक समझौतों तक सीमित नहीं रहा बल्कि लोगों के बीच संबंध और भरोसा बढ़ाने का भी प्रतीक बना.
डॉयचे वेलेजर्मनी के मीडिया हाउस डॉयचे वेले की रिपोर्ट ने इस यात्रा को केवल राजनीतिक घटनाओं से नहीं बल्कि मालदीव के भौगोलिक महत्व के संदर्भ में भी समझाया है.
अख़बार में लिखा गया है, ''हिंद महासागर के कई अहम समुद्री व्यापार मार्ग मालदीव के 1192 द्वीपों के बीच से गुजरते हैं, जो भूमध्य रेखा के 800 किलोमीटर लंबे हिस्से में फैले हैं.''
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लग़्जरी पर्यटन की वजह से दुनिया में मशहूर होने के बावजूद मालदीव का यह इलाका रणनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है.
रिपोर्ट में लिखा गया है, ''इन सुंदर समुद्र तटों और रिसॉर्ट्स के पीछे मालदीव एक भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट है.''
डीडब्ल्यू की रिपोर्ट में बताया गया कि यह भौगोलिक स्थिति ही भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा की मुख्य वजह बनती जा रही है. इस विश्लेषण में ज़ोर दिया गया है कि यह क्षेत्र सिर्फ पर्यटन नहीं बल्कि समुद्री सुरक्षा और बड़े देशों के प्रभाव का केंद्र भी है.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?थिंक टैंक ओआरएफ़ की वेबसाइटपर एसोसिएट फेलो आदित्य शिवमूर्ति ने अपने विश्लेषण में लिखा है कि 2023 के चुनाव के बाद मालदीव ने शुरुआत में 'इंडिया आउट' अभियान और चीन की तरफ झुकाव वाली नीति अपनाई थी, लेकिन एक साल के भीतर हालात बदलने लगे.
ओआरएफ़ में लिखा गया है, ''भारतीय सैनिकों की वापसी और लचीला रुख़, अप्रैल 2024 के चुनाव के बाद संसद में पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) को मिली बहुमत वाली स्थिति, घरेलू स्तर पर आर्थिक मुश्किलें और चीन से उम्मीद के अनुसार समर्थन न मिलना, इन सबने मालदीव को मजबूर किया कि वह घरेलू राजनीति को भू-राजनीति से अलग करे.''
ओआरएफ़ में अपने लेख में आदित्य शिवमूर्ति ने लिखा है, ''भारत और मालदीव अपनी विदेश नीति को पार्टी-आधारित झुकाव से अलग ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. परंपरागत रूप से मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के भारत से क़रीबी संबंध रहे हैं, जबकि पीएनसी (पीपल्स नेशनल कांग्रेस) ने चीन के साथ मज़बूत रिश्ते बनाए हैं.''
''लेकिन मुइज़्ज़ू ने जब इस पार्टी आधारित नीति को बदला, तो उन्होंने सीमाओं और संवेदनशील मुद्दों का सम्मान करके भारत की चिंताओं को कम किया. इसके बदले में उन्हें भारत से ज़रूरी आर्थिक सहयोग और मदद मिली.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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