क्या आप फैंटेसी क्रिकेट, रमी, लूडो, पोकर जैसे ऑनलाइन गेम्स में पैसा दांव पर लगाते हैं. घर बैठे मिनटों में लाखों, करोड़ों रुपए कमाने का सपना देखते हैं?
अगर ऐसा है, तो संभल जाइये.
बुधवार को भारत सरकार ने 'प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025' लोकसभा में पेश किया. विपक्ष के हंगामे के बीच इस बिल को पास कर दिया गया.
इसके बाद यह राज्यसभा जाएगा और अगर वहां से पास हो गया तो राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद यह क़ानून बन जाएगा.
इस बिल के मुताबिक ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा, वहीं ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी.
आसान भाषा में कहें तो कोई भी व्यक्ति गेम्स का सहारा लेकर ऑनलाइन सट्टेबाजी नहीं कर पाएगा.
सरकार का मानना है कि ऐसे ऑनलाइन गेम न सिर्फ़ व्यक्तिगत और परिवारों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और आतंकवाद की फंडिंग तक से जुड़े हुए पाए गए हैं.
1. ई-स्पोर्ट्स और मनी गेम्स में क्या फ़र्क है?
ऑनलाइन गेमिंग को सरकार ने तीन कैटेगिरी में बांट दिया है.
पहली कैटेगिरी - ई-स्पोर्ट्स
दूसरी कैटेगिरी - ऑनलाइन सोशल गेम
तीसरी कैटेगिरी - ऑनलाइन मनी गेम
से बात करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने इन तीनों कैटेगिरी को समझाया है.
उन्होंने कहा, "जैसे कोई शतरंज खेलता है. उसको ऑनलाइन भी खेल सकते हैं. इस तरह के खेल ई-स्पोर्ट्स के अंदर आते हैं. इसमें हो सकता है कि जीतने पर कोई इनामी राशि भी मिले. इसमें खिलाड़ी का तजुर्बा महत्वपूर्ण है."
वे कहते हैं, "ऑनलाइन सोशल गेम की मदद से बच्चे कुछ सीखते हैं. इन गेम्स में हो सकता है कि कुछ सब्सक्रिप्शन देना पड़े, लेकिन यहां बदले में पैसा जीतने की उम्मीद नहीं होती है."
एस कृष्णन ने बताया, "जहां बोला जाता है कि आप थोड़ा पैसा लगाओ और उम्मीद दी जाती है कि आप ज्यादा पैसा जीत सकते हैं. ज्यादा खेलेंगे तो और ज्यादा जीतेंगे. ये कैटेगिरी ऑनलाइन मनी गेम की है."
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पबजी में कई खिलाड़ी एक साथ वर्चुअल मैप पर उतरते हैं और जो आखिर तक ज़िंदा रहता है, वही विजेता बनता है. वहीं फ्री फायर भी पबजी की तरह ही है. इसमें तेज और छोटे मैच होते हैं.
जीटीए एक एक्शन-एडवेंचर गेम है. इसमें खिलाड़ी शहर में घूम-घूमकर मिशन पूरे कर सकते हैं. अलग अलग गाड़ियों को चला सकते हैं.
इन गेम्स में सीधे तौर पर पैसे दांव पर नहीं लगते हैं. यहां वर्चुअली व्यक्ति बंदूक, कपड़े या अन्य सामान खरीद सकता है, लेकिन यहां पैसा लगाकर पैसा जीतने वाली बात नहीं है.
ऑनलाइन गेमिंग के जानकारों का मानना है कि इस तरह के गेम्स को ई-स्पोर्ट्स में रखा जाएगा.
3. किन गेम्स पर प्रतिबंध लगेगा?बिल की धारा 2(जी) के मुताबिक वे सभी गेम प्रतिबंधित होंगे जिसमें खिलाड़ी फ़ीस, पैसा या स्टेक लगाता है और बदले में जीतने पर पैसे या किसी तरह का मोनेटरी फ़ायदा मिलता है.
गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि क़ानून बनने के बाद लोग फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम्स, ऑनलाइन रमी, कार्ड गेम्स, पोकर प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन टीम बनाकर सीधा पैसा लगाने वाले गेम नहीं खेल पाएगा.
साइबर क़ानून विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का मानना है कि यह बिल जल्दबाज़ी में लाया गया है.
वे कहते हैं, "ऑनलाइन मनी गेम्स में दो चीजें होती हैं. एक 'गेम ऑफ़ चांस' (जुआ) और दूसरा 'गेम ऑफ़ स्किल'. ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़ी कंपनियां 'गेम ऑफ़ स्किल' का तर्क देकर प्रतिबंधों से बच जाती हैं. सरकार जो बिल लाई है उसमें 'गेम ऑफ़ चांस' (जुआ) और 'गेम ऑफ़ स्किल' को डिफाइन नहीं किया गया है."
बिल के मुताबिक केंद्र सरकार एक ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी भी बनाएगी. इसका काम यह तय करना भी होगा कि कौन सी गेम, मनी गेम है और कौन सी ई-स्पोर्ट्स.
इसके अलावा अथॉरिटी सोशल और ई-स्पोर्ट्स गेम्स का पंजीकरण करने के साथ-साथ नियम और गाइडलाइन भी बनाएगी.
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सेलिब्रिटी क्रिकेटरों और फ़िल्मी दुनिया के कई सितारे इन दिनों ऑनलाइन मनी गेम्स का प्रचार कर रहे हैं.
यहां तक कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीमों की जर्सी पर भी इसका प्रचार हो रहा है. जानकारों का मानना है कि ऐसे भारी भरकम प्रचार की वजह से ऑनलाइन गेमिंग की लोकप्रियता बढ़ी है.
बिल के मुताबिक कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मनी गेम से जुड़ा विज्ञापन ना तो बना सकता है और ना ही उसमें मदद कर सकता है.
अगर कोई व्यक्ति इस तरह के गेम खेलने के लिए बढ़ावा देता है तो उसे दो साल तक की जेल या पचास लाख रुपए जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वकील दिनेश जोतवानी का कहना है, "नए प्रावधानों के मुताबिक ऑनलाइन गेम्स को प्रमोट करने वाले सेलिब्रिटी और इन्फ्लुएंसर्स को जेल हो सकती है."
वे कहते हैं, "सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स के ख़िलाफ़ भारत के मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक क़ानून के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है."
5. 'मनी गेम' चलाने वाली कंपनियों का क्या होगा?बिल की धारा 11 के मुताबिक ऑनलाइन मनी गेम चलाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई का प्रावधान है.
अगर कोई कंपनी ऑनलाइन मनी गेम ऑफ़र करके क़ानून तोड़ती है तो उस कंपनी के डायरेक्टर, मैनेजर और ऑफिसर पर केस चलेगा.
बिल के मुताबिक कंपनी के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर पर केस नहीं होगा, क्योंकि वे रोजमर्रा के फ़ैसलों में शामिल नहीं होते हैं.
बिल का मकसद, अपराध करने पर कंपनी के असली जिम्मेदार लोगों को पकड़ना है.
6. विदेश से चल रहे प्लेटफॉर्म्स का क्या होगा?बिल, ऑनलाइन मनी गेम्स खेलने वालों को अपराधी ना मानकर पीड़ित मानता है.
बिल के मुताबिक ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी नहीं है और उसका मकसद ऐसे लोगों की सुरक्षा करना है.
सज़ा सिर्फ ऐसे लोगों को मिलेगी, जो मनी गेम को ऑफर और प्रचार करेंगे.
बिल की धारा 1(2) के मुताबिक यह क़ानून न सिर्फ़ भारत में चल रहे गेम्स पर बल्कि विदेश से ऑपरेट होने वाले प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू होगा.
बहुत सारे फैंटेसी स्पोर्ट्स, बेटिंग, कैसीनो प्लेटफॉर्म्स विदेश से चल रहे हैं. इनका इस्तेमाल भारत में बैठा व्यक्ति ऐप्स या वेबसाइट के जरिए करता है.
बिल के लागू होते ही सरकार ऐसे प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर सकती है.
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बिल की धारा 7 के मुताबिक बैंक ऑनलाइन गेम खेलने के लिए व्यक्ति पेमेंट ऐप्स या वॉलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा.
क़ानून बनने के बाद इस तरह की संस्थाएं या कंपनियां ऑनलाइन मनी गेम्स में पैसे डालने या निकालने की सुविधा नहीं दे पाएंगी.
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का क्या कहना है?ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन, ई-गेमिंग फेडरेशन और फेडरेशन ऑफ़ इंडिया फैंटेसी स्पोर्ट्स ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.
पत्र में कहा गया है कि सभी रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध का प्रस्ताव भारत की 2 लाख करोड़ की स्किल गेमिंग इंडस्ट्री को तबाह कर देगा.
उन्होंने सरकार से प्रतिबंध की बजाय इस इंडस्ट्री को रेग्युलेट करने की मांग की है.
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गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि यह सालाना करीब 31 हजार करोड़ रुपये का बाज़ार है.
गेमिंग इंडस्ट्री के मुताबिक वह सालाना करीब 20 हजार करोड़ का टैक्स जमा कर रही है. उनका कहना है कि इस इंडस्ट्री से करीब दो लाख लोग जुड़े हैं.
अनुमान के मुताबिक देश में गेमर्स की संख्या साल 2020 में 36 करोड़ थी, जो साल 2024 में बढ़कर 50 करोड़ हो गई है.
बड़ी वैश्विक एजेंसियों के मुताबिक वैश्विक गेमिंग उद्योग के साल 2030 तक 66 हजार करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
अगर भारत की बात करें तो ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के विकास की गति 32 प्रतिशत सालाना है, जो वैश्विक ऑनलाइन गेमिंग से ढाई गुना ज्यादा है.
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