7 अक्टूबर 1978 को महाराष्ट्र के श्रीरामपुर में जन्मे जहीर खान का सपना इंजीनियर बनना था, लेकिन पिता की एक नसीहत ने उनकी तकदीर ही बदल दी।
जहीर खान एक बेहतरीन तेज गेंदबाज थे। जहीर खान के पिता की सोच, दूसरों के पिता की तरह बिल्कुल भी नहीं थी। उनके पिता चाहते थे कि बेटा इंजीनियरिंग के बजाय देश के लिए क्रिकेट खेले।
एक दिन पिता ने जहीर खान से कहा कि देश में इंजीनियर तो बहुत हैं, लेकिन उन्हें एक तेज गेंदबाज बनना चाहिए, ताकि देश के लिए खेल सकें। जहीर खान भी पिता की बात से सहमत थे।
जब जहीर खान 17 साल के थे, तो पिता उन्हें मुंबई ले गए। जहीर खान के टैलेंट को देखते हुए उन्हें एमआरएफ पेस फाउंडेशन की ओर से खेलने का मौका दिया गया। यहां कोच डेनिस लिली ने जहीर की क्षमता को पहचान लिया और उनकी गेंदबाजी में सुधार किया।
जहीर खान ने जिमखाना के खिलाफ फाइनल मैच में सात विकेट लेकर सुर्खियां बटोरीं। उन्हें मुंबई और वेस्ट जोन की अंडर-19 टीम में भी स्थान मिला।
घरेलू स्तर पर शानदार प्रदर्शन के बाद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान को साल 2000 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू का मौका मिला। इसी वर्ष उन्होंने भारत के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया।
जहीर खान ने साल 2002 में कुल 15 टेस्ट खेले, जिसमें 29 की औसत के साथ 51 विकेट अपने नाम किए। अगले तीन साल जहीर खान 9, 19 और 10 ही विकेट हासिल कर सके।
खराब फॉर्म के चलते जहीर खान को टीम से बाहर तक बैठना पड़ा। इस दौरान जहीर खान ने बल्लेबाजों को चकमा देने के लिए 'नकल बॉल' का इजाद किया और टीम में शानदार वापसी की।
जहीर खान 'स्विंग' के महारथी थे। उनकी गेंदों को पढ़ने के लिए बल्लेबाजों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी।
जहीर खान गेंद को दोनों ओर स्विंग कराने की क्षमता रखते थे। वह नई और पुरानी गेंद से रिवर्स कराने में माहिर थे। उनकी सटीक लाइन और लेंथ बल्लेबाजों को परेशान करती थी। जहीर की यॉर्कर बहुत प्रभावशाली थी। बाएं हाथ का स्वाभाविक कोण दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए अक्सर मुश्किल पैदा करता।
जहीर खान ने वर्ल्ड कप 2003 में सौरव गांगुली की अगुवाई में शानदार प्रदर्शन किया। जहीर ने उस विश्व कप के 11 मुकाबलों में 18 विकेट हासिल किए। वह टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट हासिल करने वाले चौथे गेंदबाज रहे। इसके बाद जहीर विश्व कप 2007 की टीम में भी जगह बनाने में कामयाब रहे।
साल 2011 में भारत को विश्व कप खिताब जिताने में जहीर खान का अहम योगदान रहा, जिन्होंने 9 मुकाबलों में 18.76 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए। वह शाहिद अफरीदी के साथ सर्वाधिक विकेट हासिल करने वाले संयुक्त रूप से नंबर-1 गेंदबाज रहे।
जहीर खान ने टेस्ट करियर में 92 मुकाबले खेले, जिसमें 32.94 की औसत के साथ 311 विकेट अपने नाम किए। इस दौरान उन्होंने 11 बार पारी में 5 या इससे अधिक विकेट हासिल किए।
साल 2011 में भारत को विश्व कप खिताब जिताने में जहीर खान का अहम योगदान रहा, जिन्होंने 9 मुकाबलों में 18.76 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए। वह शाहिद अफरीदी के साथ सर्वाधिक विकेट हासिल करने वाले संयुक्त रूप से नंबर-1 गेंदबाज रहे।
Also Read: LIVE Cricket Scoreजहीर खान ने 169 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 672 विकेट हासिल किए हैं। उन्होंने 253 लिस्ट-ए मैचों में 357 विकेट निकाले।
Article Source: IANSYou may also like
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