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NSDL आईपीओ की लिस्टिंग आज, आगे क्या करें निवेशक? एक्सपर्ट्स बोले- अभी सिर्फ शुरुआत है

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नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) का 4012 करोड़ रुपये का आईपीओ बुधवार को शेयर बाजार में डेब्यू करने जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी लिस्टिंग प्राइस इश्यू प्राइस से करीब 15% ऊपर हो सकती है। इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) 125 रुपये है, जो 800 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर 15.6% की तेजी को दर्शाता है।



विशेषज्ञों का मानना है कि यह आईपीओ केवल लिस्टिंग गेन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दीर्घकालीन नजरिए से भी इसमें निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सकता है। NSDL की वैल्यूएशन अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी CDSL से कम है, जिससे आगे और तेजी की संभावना बनी हुई है। CDSL के पास 15.86 करोड़ डीमैट अकाउंट हैं, जबकि NSDL के पास अभी 4 करोड़ अकाउंट हैं। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि NSDL की क्लाइंट प्रोफाइल मजबूत है, क्योंकि इसमें संस्थागत और हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स (HNIs) शामिल हैं, जबकि CDSL में रिटेल निवेशकों की भागीदारी अधिक है। मौजूदा बाजार अस्थिरता में रिटेल निवेशक थोड़े सतर्क हो सकते हैं, जिससे NSDL को बढ़त मिल सकती है।



StoxBox के रिसर्च एनालिस्ट अभिषेक पंड्या के अनुसार, लिस्टिंग के बाद करीब 13-15% तक के रिटर्न की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी की प्राइस बैंड के ऐलान के बाद अनलिस्टेड मार्केट में इसका GMP करीब 40% गिरा है। पहले यह 1025 रुपये पर ट्रेड कर रहा था, लेकिन अब 125 रुपये का GMP रह गया है। फिर भी बाजार में आईपीओ के ऐलान के बाद से सेंटीमेंट पॉजिटिव बना हुआ है।



Anand Rathi Shares के रिसर्च हेड नरेंद्र सोलंकी का कहना है कि NSDL की वैल्यूएशन CDSL से कम है। NSDL का PE रेशियो 46 है, जबकि CDSL का 64 है। उन्होंने कहा कि जिन निवेशकों को शेयर अलॉट हुए हैं, उन्हें कम से कम एक साल तक होल्ड करना चाहिए क्योंकि कंपनी में और भी 12-15% की तेजी संभव है। यदि लिस्टिंग के बाद शेयर 5-10% गिरावट दिखाए, तो लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह एक बेहतर मौका हो सकता है।



NSDL का आईपीओ 760 से 800 रुपये के प्राइस बैंड में आया था और अंतिम दिन 41.01 गुना सब्सक्राइब हुआ था। बाजार विश्लेषक धर्मेश कांत के अनुसार, मौजूदा वैश्विक और घरेलू अनिश्चितता के बीच NSDL निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, क्योंकि अधिकांश सेक्टरों पर टैरिफ्स और अन्य नीतिगत प्रभाव पड़ सकते हैं।



(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)

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