भारत और रूस के बीच व्यापार पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है खासकर रूस से भारत द्वारा खरीदे जा रहे सस्ते कच्चे तेल के कारण। लेकिन अब यह ट्रेड बैलेंस भारत की तरफ झुक गया है, जिससे रूस को चिंता हो रही है। इसी के चलते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सरकार को एक सख्त और खास निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के साथ व्यापार में जो इम्बैलेंस है, उसे जल्दी से सुधारा जाए।
तेल ने बिगाड़ा बैलेंस
FY 2024‑25 में भारत का रूस से आयात लगभग 63.84 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि भारत से रूस को एक्सपोर्ट्स केवल 4.88 अरब अमेरिकी डॉलर था। भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है, और 2021 के मुकाबले 2024 तक इस तेल की खरीद कई गुना बढ़ गई है। इससे भारत को सस्ता तेल मिल रहा है, लेकिन बदले में रूस को भारत से उतना माल नहीं मिल पा रहा, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में इम्बैलेंस हो गया है। रूस के आंकड़ों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, जिसमें रूस का भारत को भेजा गया माल बहुत अधिक है, जबकि भारत का रूस को भेजा गया माल काफी कम है।
क्या है पुतिन का आदेशरूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस व्यापार बैलेंस को बेहतर बनाने पर बल देते हुए कहा कि अब रूस को भारत से अधिक उत्पादों का आयात करना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से कृषि उत्पादों, दवाइयों और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र से जुड़ी वस्तुओं की खरीद बढ़ाने की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही पुतिन ने लॉजिस्टिक्स, भुगतान प्रणाली और वित्तीय चुनौतियों के समाधान पर भी ज़ोर दिया। यह बयान उन्होंने सोची में आयोजित वल्दाई डिस्कशन फोरम के दौरान दिया, जहाँ उन्होंने भारत को एक "मित्र" और "विश्वसनीय साझेदार" की संज्ञा दी।
दोस्ती मजबूत, लेकिन बैलेंस ज़रूरी
राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और रूस की ऐतिहासिक मित्रता को याग करते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंध सोवियत संघ के दौर से ही "विशेष" और "गहरे" रहे हैं। उन्होंने इस बात की सराहना की कि भारत ने अमेरिका के दबावों को अनदेखा करते हुए रूस से सस्ते दर पर तेल खरीदना जारी रखा। पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की और कहा कि उनके साथ संवाद "भरोसे" पर आधारित है। दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने व्यापार में बढ़ते इम्बैलेंस को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भले ही द्विपक्षीय व्यापार पाँच गुना बढ़ा है, लेकिन इम्बैलेंस भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ा है, जिसे "तुरंत" सुधारने की आवश्यकता है।
रूस-भारत व्यापार मेंं बढ़ावा रूस और भारत का संबंध अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं रह गया है। रूसी राष्ट्रपतिपुतिननेसोचीमेंआयोजितवल्दाईडिस्कशनफोरम में भारत से कृषि उत्पादों और दवाइयों की खरीद बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। साथ ही, उन्होंने लॉजिस्टिक्स, पेमेंट सिस्टम और वित्तीय चुनौतियों को शीघ्र हल करने की आवश्यकता भी जताई। दोनों देशों ने 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी तय किया है, जिससे उनकी साझेदारी और मजबूत हो सकेगी। इसी कड़ी में, पुतिन दिसंबर में भारत का दौरा करेंगे, जहाँ इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर और विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: रूस का यह कदम साफ दिखाता है कि वह भारत के साथ अपने रिश्तों को और गहरा करना चाहते है लेकिन बराबरी के साथ। भारत के लिए भी यह मौका है कि वह रूस को अधिक कृषि, दवाइयाँ और तकनीकी उत्पाद एक्सपोर्ट करे और अपने व्यापार को और मज़बूत बनाए। यह सिर्फ दो देशों के बीच व्यापार नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतिक साझेदारी की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है।
तेल ने बिगाड़ा बैलेंस
FY 2024‑25 में भारत का रूस से आयात लगभग 63.84 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि भारत से रूस को एक्सपोर्ट्स केवल 4.88 अरब अमेरिकी डॉलर था। भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है, और 2021 के मुकाबले 2024 तक इस तेल की खरीद कई गुना बढ़ गई है। इससे भारत को सस्ता तेल मिल रहा है, लेकिन बदले में रूस को भारत से उतना माल नहीं मिल पा रहा, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में इम्बैलेंस हो गया है। रूस के आंकड़ों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, जिसमें रूस का भारत को भेजा गया माल बहुत अधिक है, जबकि भारत का रूस को भेजा गया माल काफी कम है।
क्या है पुतिन का आदेशरूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस व्यापार बैलेंस को बेहतर बनाने पर बल देते हुए कहा कि अब रूस को भारत से अधिक उत्पादों का आयात करना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से कृषि उत्पादों, दवाइयों और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र से जुड़ी वस्तुओं की खरीद बढ़ाने की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही पुतिन ने लॉजिस्टिक्स, भुगतान प्रणाली और वित्तीय चुनौतियों के समाधान पर भी ज़ोर दिया। यह बयान उन्होंने सोची में आयोजित वल्दाई डिस्कशन फोरम के दौरान दिया, जहाँ उन्होंने भारत को एक "मित्र" और "विश्वसनीय साझेदार" की संज्ञा दी।
दोस्ती मजबूत, लेकिन बैलेंस ज़रूरी
राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और रूस की ऐतिहासिक मित्रता को याग करते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंध सोवियत संघ के दौर से ही "विशेष" और "गहरे" रहे हैं। उन्होंने इस बात की सराहना की कि भारत ने अमेरिका के दबावों को अनदेखा करते हुए रूस से सस्ते दर पर तेल खरीदना जारी रखा। पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की और कहा कि उनके साथ संवाद "भरोसे" पर आधारित है। दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने व्यापार में बढ़ते इम्बैलेंस को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भले ही द्विपक्षीय व्यापार पाँच गुना बढ़ा है, लेकिन इम्बैलेंस भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ा है, जिसे "तुरंत" सुधारने की आवश्यकता है।
रूस-भारत व्यापार मेंं बढ़ावा रूस और भारत का संबंध अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं रह गया है। रूसी राष्ट्रपतिपुतिननेसोचीमेंआयोजितवल्दाईडिस्कशनफोरम में भारत से कृषि उत्पादों और दवाइयों की खरीद बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। साथ ही, उन्होंने लॉजिस्टिक्स, पेमेंट सिस्टम और वित्तीय चुनौतियों को शीघ्र हल करने की आवश्यकता भी जताई। दोनों देशों ने 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी तय किया है, जिससे उनकी साझेदारी और मजबूत हो सकेगी। इसी कड़ी में, पुतिन दिसंबर में भारत का दौरा करेंगे, जहाँ इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर और विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: रूस का यह कदम साफ दिखाता है कि वह भारत के साथ अपने रिश्तों को और गहरा करना चाहते है लेकिन बराबरी के साथ। भारत के लिए भी यह मौका है कि वह रूस को अधिक कृषि, दवाइयाँ और तकनीकी उत्पाद एक्सपोर्ट करे और अपने व्यापार को और मज़बूत बनाए। यह सिर्फ दो देशों के बीच व्यापार नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतिक साझेदारी की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है।
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