नागा साधु का अंतिम संस्कार कैसे होता है, जानें यहाँ | GK Hindi General Knowledge : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान अखाड़े और साधु विशेष आकर्षण का केंद्र बनते हैं। विशेष रूप से नागा साधु, जो अपने शरीर पर भस्म लगाए होते हैं, महाकुंभ में अलग से पहचाने जाते हैं। इन साधुओं का जीवन कई रहस्यों से भरा होता है और कोई नहीं जानता कि ये कहाँ रहते हैं। महाकुंभ में ये साधु आते हैं और फिर अचानक गायब हो जाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार किस प्रकार किया जाता है।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया नागा साधु का अंतिम संस्कार कैसे होता है
हिंदू धर्म में नागा साधुओं का एक विशेष स्थान है। ये साधु कठोर तपस्या, साधारण जीवन और अनूठी परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। नागा साधुओं का अंतिम संस्कार आम लोगों की तरह नहीं होता। सामान्य दाह संस्कार के बजाय, नागा साधुओं का अंतिम संस्कार विशेष विधियों से किया जाता है, जिसमें 'जल समाधि' या 'भू समाधि' शामिल होती है।
भू समाधि की प्रक्रिया भू समाधि के बारे में
जब एक नागा साधु की मृत्यु होती है, तो उनके पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ सजाया जाता है और फिर पवित्र गंगा जल या किसी अन्य पवित्र नदी से स्नान कराया जाता है। इसके बाद, साधु के शव को एक आसन पर बैठाया जाता है और समाधि स्थल पर रखा जाता है। समाधि स्थल पहले से तैयार किया जाता है, जिसमें साधु के पद के अनुसार गड्ढा खोदा जाता है। साधु के पद के अनुसार गड्ढा बड़ा और गहरा होता है। इसके बाद मंत्रोच्चार और प्रार्थना के साथ साधु के पार्थिव शरीर को गड्ढे में बैठाया जाता है और फिर मिट्टी से भर दिया जाता है।
जल समाधि की प्रक्रिया जल समाधि कैसे की जाती है
यदि नागा साधु ने अपने शरीर छोड़ने से पहले इच्छा व्यक्त की है कि उन्हें किसी पवित्र नदी, विशेषकर गंगा में जल समाधि दी जाए, तो उन्हें जल में समर्पित कर दिया जाता है। जल समाधि के लिए पहले मंत्रोच्चार और हवन किया जाता है, और फिर साधु के शिष्य और उनके अखाड़े के साधु मृत साधु को उसकी इच्छानुसार जल समाधि देते हैं।
अग्नि से संबंधित अंतिम संस्कार का अभाव अग्नि से संबंधित अंतिम संस्कार क्यों नहीं होते
नागा साधुओं का मानना है कि उनका शरीर पंचमहाभूतों से बना है, और मृत्यु के बाद इसे इन्हीं तत्वों में विसर्जित करना चाहिए। इसलिए, नागा साधुओं को भू समाधि या जल समाधि दी जाती है।
नागा साधुओं का समूह क्यों बना नागा साधुओं का समूह
नागा साधु कठोर तपस्या करते हैं और अपना सब कुछ त्याग देते हैं। इन्हें मनुष्यों में सबसे पवित्र माना जाता है। साधु बनने के लिए एक सामान्य व्यक्ति को लगभग 6 साल की कठिन साधना करनी होती है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी, और इन मठों की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई गई थी। तब से, नागा साधुओं की टोली देश और धर्म की रक्षा के लिए तैनात है।
You may also like
अगर आपने बैंक खाते में जमा किया इतना कैश, तो आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस – जानिए नियम
'ऑपरेशन जेपेलिन' : अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग की दुकान पर लगा दिया ताला
अदाणी डेटा नेटवर्क भारती एयरटेल को 400 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ट्रांसफर करेगा
बिहार में बसपा अकेले लड़ेगी विधानसभा चुनाव : रामजी गौतम
लड़की का गला घोटा, चोरी की और मारपीट... क्रिकेटर को 4 साल की सजा, फिर भी क्यों जेल से बाहर?