अयोध्या की गलियों में जब शहनाइयाँ बज रही थीं, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह खुशी अगले दिन ग़म में बदल जाएगी। प्रदीप और शिवानी, जो एक कोचिंग सेंटर में मिले थे और जिनका प्यार स्वीकार किया गया था, अब केवल एक रात के लिए एक साथ रह गए।
शादी की सभी रस्में खुशी और उत्साह के साथ संपन्न हुईं। जब दोनों अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए कमरे में गए, तो किसी ने नहीं सोचा था कि सुबह का सूरज एक मृत शरीर और एक टूटे हुए सपनों वाली दुल्हन को बाहर लाएगा।
जब दरवाजा खोला गया, तो प्रदीप फांसी पर लटका हुआ पाया गया। शिवानी कमरे के एक कोने में स्तब्ध बैठी थी, जैसे उसकी आत्मा भी उस क्षण में खो गई हो। वह बार-बार एक ही सवाल पूछ रही थी: "मेरी क्या गलती थी?"
तकनीक और रिश्तों के बीच की दूरी
पुलिस ने प्रदीप के मोबाइल में कुछ संदिग्ध संदेश और तस्वीरें खोजी। यह कुछ ऐसा था जिसने उनकी पहली रात को अंतिम बना दिया। क्या यह किसी अतीत की छाया थी या विश्वासघात का संकेत? अभी तक उत्तर अधूरे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि मोबाइल फोन की एक सूचना ने एक नवविवाहित जोड़े के जीवन को बर्बाद कर दिया।
रिश्तों में संवाद की आवश्यकता
यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है।
- क्या हम अपने रिश्तों में संवाद कर पा रहे हैं?
- क्या हम अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त कर रहे हैं?
- क्या तकनीक के अंधेरे कोनों ने हमारे रिश्तों में शक और भ्रम की दीवारें खड़ी कर दी हैं?
शिवानी का सवाल
शिवानी का सवाल — "मेरी क्या गलती थी?" — केवल उसका नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जो रिश्तों में दिल से जुड़ता है, लेकिन जवाब अधूरा रह जाता है।
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