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महिलाओं के चरित्र की पहचान: आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं

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महिलाओं का देवी स्वरूप और समाज में उनकी पहचान

हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है और उन्हें ममता की मूरत कहा जाता है। लेकिन यह सच है कि सभी महिलाएं एक समान नहीं होतीं। समाज में कुछ महिलाएं धोखेबाज और चरित्रहीन भी होती हैं, जिससे पुरुषों के लिए उनके साथ जीवन बिताना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि इन महिलाओं की पहचान कैसे की जाए।


आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में महिलाओं के चरित्र की पहचान के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। उनके अनुसार, वे महिलाएं जो अपने परिवार की इज्जत का ध्यान रखती हैं और अपने पति के प्रति वफादार होती हैं, वे पूजनीय होती हैं। वहीं, जो महिलाएं गैर मर्दों से संबंध रखती हैं या अपने परिवार की इज्जत को ठेस पहुंचाती हैं, उनसे दूर रहना ही बेहतर है।


आचार-व्यवहार से पहचानें स्त्री का चरित्र

चाणक्य के अनुसार, महिलाओं के शारीरिक लक्षण और उनके व्यवहार से उनके चरित्र का पता लगाया जा सकता है। कुछ महिलाएं मां लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं, जबकि अन्य अशुभ मानी जाती हैं। चरित्रहीन महिलाएं अक्सर दिल और जुबान में तालमेल नहीं रख पातीं और एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बनाने में संकोच नहीं करतीं।


चरित्रहीन महिलाओं के शारीरिक लक्षण

1. चाणक्य नीति के अनुसार, जिन महिलाओं की कनिष्ठा अंगुली अन्य उंगली को छूती नहीं है, वे धोखेबाज होती हैं।


2. जिनका पैर का पिछला भाग मोटा होता है, वे घर के लिए अशुभ मानी जाती हैं।


3. जिन महिलाओं का पेट घड़ी जैसा होता है, वे गरीबी का सामना करती हैं।


4. लंबे ललाट वाली महिलाएं देवर के लिए अशुभ होती हैं।


5. जिनके होठों के ऊपर और कान पर अधिक बाल होते हैं, वे पति के लिए अशुभ मानी जाती हैं।


6. चार उंगलियों से अधिक लंबी गर्दन वाली महिलाएं परिवार के विनाश का कारण बनती हैं।


7. जिनकी हथेली पर मांसाहारी पक्षियों या पशुओं के निशान होते हैं, वे भी पति के लिए अशुभ मानी जाती हैं।


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