देशभर में नशाखोरी के मामले हर रोज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश इन दिनों नशाखोरों से परेशान है. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनियाभर में अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के प्रसिद्ध हिमाचल अब नशे की जद में फंसता नजर आ रहा है. इसको लेकर सूबे के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने चेतावनी भी दी है. उन्होंने कहा कि अगर इस नशाखोरी पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो अगले पांच सालों में हिमाचल भी “उड़ता पंजाब” बन जाएगा.
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने गुरुवार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अगर नशे की समस्या को जड़ से हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई तो हिमाचल प्रदेश अगले पांच सालों में “उड़ता पंजाब” बन जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने राज्य में “रिहैबिलिटेशन सेंटरों की कमी” पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.
राज्यपाल ने कहा कि एनडीपीएस के मामले 2012 में लगभग 500 थे जो आज 2023 में बढ़कर लगभग 2200 हो गए हैं. इनमें 340 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य में चल रही इस नशाखोरी के खिलाफ काम करना होगा. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना होगा. वरना हिमाचल के हालत भी बिगढ़ जाएंगे.
प्रदेश को आधुनिक रिहैबिलिटेशन सेंटर की जरूरत- राज्यपालराज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि राज्य में नशा मुक्ति के लिए सबसे आधुनिक रिहैबिलिटेशन सेंटर खोला जाना चाहिए. इसके साथ ही अलग-अलग जगहों पर नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि कुल्लू में रेड क्रॉस की तरफ से संचालित केवल एक पुनर्वास केंद्र है और हम सुन रहे हैं कि सिरमौर जिले में एक पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के लिए जमीन चिन्हित की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है.
नशे के खिलाफ अब लोग हो रहे जागरूकराज्यपाल कहा कि नशे खिलाफ उनकी तरफ से चलाए गए अभियान के अब नतीजे सामने आने लगे हैं. अभियान के कारण लोग जागरूक हो रहे हैं. जो लोग या माता-पिता कल तक बच्चों के नशे की बात को अनदेखा या छिपा रहे थे. वो भी अब खुलकर सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस अभियान में पंचायतों को भी शामिल किया गया है. लोग अब आगे आकर तस्करों के बारे में पुलिस को जानकारी दे रहे हैं.
राज्यपाल ने कहा, “यह सिर्फ़ एक अभियान नहीं है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों की रक्षा और हमारे समुदायों के सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने का एक मिशन है.” उन्होंने आगे कहा, “कुछ विश्वविद्यालय छात्रों से यह वचन भी ले रहे हैं कि अगर कोई छात्र नशे में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उसे संस्थान से बाहर निकालना भी शामिल है.” राज्यपाल ने बताया कि 15-30 साल के युवा सबसे ज्यादा नशा कर रहे हैं.
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