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भाषा विवाद : उद्धव ठाकरे ने किया आंदोलन का ऐलान, बोले – 'जबरन हिंदी लागू नहीं होने देंगे'

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मुंबई, 26 जून . हिंदी भाषा पर महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राज ठाकरे ने मुंबई में 6 जुलाई को मार्च के आह्वान किया तो उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन की घोषणा कर दी है.

शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर हिंदी भाषा को जबरदस्ती थोपने का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध जताया. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य पर ‘हिंदी लादने’ की कोशिश कर रही है. ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनका किसी भाषा या हिंदी भाषी समुदाय से कोई विरोध नहीं है, बल्कि वह जबरन किसी भाषा को थोपने के खिलाफ हैं.

उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया कि 7 जुलाई को मुंबई के आजाद मैदान में एक बड़ा आंदोलन होगा, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) समेत कई मराठी भाषी संगठन भाग लेंगे. उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से स्पष्ट मांग की कि वह सार्वजनिक रूप से घोषणा करें कि राज्य में हिंदी भाषा को जबरन लागू नहीं किया जाएगा. ठाकरे ने कहा, “ऐसी घोषणा करने में कुछ ही मिनट लगते हैं.”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा विरोध हिंदी भाषा से नहीं, बल्कि हिंदी थोपे जाने से है. हम हिंदी के विरोधी नहीं हैं, क्योंकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का जन्म मुंबई में हुआ है. अमिताभ बच्चन हों, हिंदी अभिनेता हों या गायक हों, वे मुंबई आकर पले-बढ़े हैं. हिंदी फिल्म स्टार यहीं आकर बड़े होते हैं.”

उन्होंने आरोप लगाए कि बीजेपी की ‘बांटने और काटने’ की नीति स्पष्ट है. वह मराठी और अन्य भाषियों के बीच जो एकता है, उसे खत्म करने की कोशिश कर रही है.

उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी की ओर से भाषाई आपातकाल लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा, “बीजेपी ने आपातकाल लगाने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने बुधवार को इसका विरोध किया, लेकिन मैं कह रहा हूं कि भाषाई आपातकाल है.”

उन्होंने कहा कि हिंदी की आड़ में निरंकुशता थोपने की बीजेपी की कोशिश को मराठी भाषी चुनौती दिए बिना नहीं रहेंगे.

उद्धव ठाकरे ने लोगों से धरने में शामिल होने की अपील की. उन्होंने कहा, “मराठी भाषियों को दलीय मतभेद भुलाकर आंदोलन में भाग लेना चाहिए. साथ ही साहित्यकारों, कलाकारों, वकीलों, मराठी भाषा के बेटों, मराठी दिल में बसने वालों और बीजेपी में सच्चे मराठी प्रेमियों को भी इस आंदोलन में भाग लेना चाहिए.”

डीसीएच/एकेजे

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