New Delhi, 17 अक्टूबर . India में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक इमोशन है. सुबह की नींद को अलविदा कहना हो या थकान को मिटाना हो, ज्यादातर लोग चाय का ही सहारा लेते हैं. कई घरों में तो दिन की शुरुआत चाय के बिना अधूरी मानी जाती है. लेकिन अगर यही पसंदीदा चाय बेहद गर्म पी जाए, तो आपके शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है.
कई वैज्ञानिक शोधों में साबित हो चुका है कि जरूरत से ज्यादा गर्म चाय पीने से एसोफैगस यानी खाने की नली में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. जब हम बार-बार बहुत गर्म चीजें निगलते हैं, जैसे कि 65 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा तापमान वाली चाय, तो वह खाने की नली की कोमल परत को नुकसान पहुंचाती है. यह परत बार-बार जलने से वहां सूजन आ जाती है. सूजन के साथ-साथ कोशिकाओं में बदलाव शुरू हो जाता है, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल सकते हैं. इसे विज्ञान की भाषा में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन और सेल म्यूटेशन कहा जाता है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डबल्यूएचओ) भी इस बात की पुष्टि कर चुका है कि 65 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म चीजों के नियमित सेवन से एसोफैजियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि यह कौन सा कैंसर है और इसके लक्षण क्या हैं? दरअसल, खाने की नली के दो मुख्य प्रकार के कैंसर होते हैं, पहला एसोफेजियल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और दूसरा एसोफेगल एडेनोकार्सिनोमा. पहला अधिकतर नली के ऊपरी हिस्से में होता है और इसका मुख्य कारण गर्म पेय या तंबाकू का सेवन माना जाता है. वहीं दूसरा प्रकार नली के निचले हिस्से में होता है, जो अधिकतर मोटापा और लंबे समय से चल रही एसिडिटी के कारण होता है.
चाय अपने आप में नुकसान नहीं करती. असली परेशानी उसका बहुत ज्यादा गर्म होना है. चाय, कॉफी, या फिर सूप, अगर ये बहुत गरम होकर सीधे निगले जाएं, तो यह खतरा पैदा करते हैं. आयुर्वेद भी मानता है कि भोजन या पेय न तो बहुत गरम होना चाहिए, न बहुत ठंडा. आयुर्वेद के अनुसार, ‘उष्ण’ यानी गर्म पेय पाचन को मदद कर सकते हैं, लेकिन यदि यह जरूरत से ज्यादा गर्म हो, तो पित्त को बढ़ा सकते हैं, जो शरीर में सूजन और कई रोगों की जड़ बनता है.
अगर किसी को खाने में दिक्कत हो रही हो, गले में लगातार खराश बनी रहती हो या निगलने में दर्द महसूस हो रहा हो, और साथ ही बिना किसी वजह के वजन तेजी से कम हो रहा हो, तो ये संकेत गंभीर हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. कई बार हम इन लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर भारी पड़ सकता है.
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पीके/एएस
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