नई दिल्ली, 25 जून . ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक नया और बहुत खास उपकरण बनाया है, जिसकी मदद से अब वैज्ञानिक किसी विकसित हो रहे भ्रूण के अंदर एक-एक कोशिका को ट्रैक कर सकते हैं.
यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है. इससे वैज्ञानिक भ्रूण के विकास को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे. जन्म से जुड़ी बीमारियों का कारण जानने में मदद मिलेगी. भविष्य में इलाज के नए तरीके खोजे जा सकेंगे.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अनुसार, इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लॉक्सकोड नाम की एक नई तकनीक पेश की है. यह तकनीक आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों की हर कोशिका को एक खास डीएनए बारकोड देती है.
मेलबर्न स्थित वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (डब्ल्यूईएचआई) के नेतृत्व वाली टीम ने बताया कि जो डीएनए बारकोड हर कोशिका को दिया गया है, उसकी मदद से वैज्ञानिक यह पता कर सकते हैं कि एक कोशिका कितनी बार बंटी, वह शरीर के किस हिस्से में गई, और वह किस खास अंग या काम के लिए बदली.
लॉक्सकोड तकनीक लगभग 30 बिलियन अलग-अलग डीएनए बारकोड बना सकती है, जो कि अभी तक की किसी भी तकनीक से कहीं ज्यादा है.
वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि लॉक्सकोड तकनीक को अब दुनिया भर में अपनाया जा चुका है. इसका इस्तेमाल दिमाग के विकास को समझने में, इम्यून सिस्टम पर रिसर्च में और अंगों के अध्ययन में किया जा रहा है.
शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि गर्भ ठहरने के कुछ ही दिनों बाद, कुछ कोशिकाएं पहले ही यह तय कर लेती हैं कि वह दिमाग, खून या किसी खास अंग का हिस्सा बनेंगी, लेकिन कुछ कोशिकाएं किसी भी अंग में बदल सकती हैं.
डब्ल्यूईएचआई लैब के प्रमुख और मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर शालिन नाइक ने कहा, “जब जीवन की शुरुआत होती है और भ्रूण कुछ कोशिकाओं का एक छोटा-सा गोला होता है, तब हमने देखा कि कुछ कोशिकाएं ऐसी होती हैं जो पूरे शरीर के किसी भी अंग में बदल सकती हैं, जबकि कुछ कोशिकाएं पहले से ही तय कर चुकी होती हैं कि वे दिमाग, आंत, हाथ-पैर या खून का हिस्सा बनेंगी.”
प्रोफेसर शालिन नाइक ने कहा, “सबसे ज्यादा खुशी मुझे इस बात से है कि लॉक्सकोड तकनीक की वजह से रिसर्च के नए रास्ते खुल गए हैं. दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, और यह तकनीक हमारे शरीर को सबसे गहराई से समझने में मदद कर रही है.”
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पीके/एएस
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