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अमेरिकी टैरिफ का भारत पर प्रभाव केवल जीडीपी का 0.19 प्रतिशत रहने का अनुमान : पीएचडीसीसीआई

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New Delhi, 6 अगस्त . भारत पर प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था का 0.19 प्रतिशत हो सकता है और इसका आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है. यह बयान Wednesday को पीएचडीसीसीआई की ओर से दिया गया.

इंडस्ट्री थिंक टैंक पीएचडीसीसीआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि इस टैरिफ से अमेरिका को होने वाले लगभग 8.1 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ेगा.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हमारे विश्लेषण के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के वैश्विक व्यापारिक निर्यात का केवल 1.87 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा, जो कि देश सकल घरेलू उत्पाद का 0.19 प्रतिशत है.

भारतीय आयातों पर अमेरिका का 25 प्रतिशत टैरिफ 7 अगस्त से लागू होने वाला है. पीएचडीसीसीआई ने अनुमान लगाया है कि ये टैरिफ इंजीनियरिंग सामान (1.8 बिलियन डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक सामान (1.4 बिलियन डॉलर), फार्मास्यूटिकल्स (986 मिलियन डॉलर), रत्न एवं आभूषण (932 मिलियन डॉलर) और रेडी-मेट गारमेंट्स (500 मिलियन डॉलर) के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं.

इंडस्ट्री चैंबर ने टैरिफ के प्रभाव से निपटने के लिए एक चार-आयामी रणनीति प्रस्तावित की. इसने प्रमुख अमेरिकी खुदरा विक्रेताओं के साथ बातचीत करके बंडल मूल्य निर्धारण के माध्यम से अमेरिकी बाजारों में प्रवेश का सुझाव दिया.

रिपोर्ट में बताया गया है, “मांग को स्थिर करने के लिए प्रवासी नेटवर्क का लाभ उठाएं और दीर्घकालिक ऑफटेक समझौते सुनिश्चित करें, प्रीमियम निर्यात वेरिएंट विकसित करें और कस्टम विनिर्देशों पर अमेरिकी खरीदारों के साथ मिलकर काम करें.”

इंडस्ट्री चैंबर ने हाल ही में संपन्न एफटीए का लाभ उठाते हुए यूरोपीय संघ, कनाडा और लैटिन अमेरिका को निर्यात पुनर्निर्देशित करने का भी अनुरोध किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद के कारण भारतीय आयातों पर एक अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया है.

अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत 6.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि (आईएमएफ जुलाई 2025 पूर्वानुमान) के साथ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है.

पीएचडीसीसीआई के सीईओ और एसजी रंजीत मेहता ने कहा, “हालांकि 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ चुनौतियां पेश करता है, लेकिन भारत की मजबूत घरेलू मांग और विविध अर्थव्यवस्था लचीलापन प्रदान करती है. हमारा विश्लेषण दर्शाता है कि प्रभाव वृहद स्तर पर प्रबंधनीय बना हुआ है. यह भारतीय व्यवसायों के लिए बाजार विविधीकरण और मूल्यवर्धन रणनीतियों को तेज करने का अवसर प्रदान करता है.”

एबीएस/

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