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दिल्ली दंगा साजिश केस: उमर खालिद और अन्य आरोपियों की जमानत पर 2 सितंबर को हाई कोर्ट का आएगा फैसला

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New Delhi, 1 सितंबर . दिल्ली दंगों की ‘बड़ी साजिश’ से जुड़े चर्चित केस में अब जमानत पर फैसला आने वाला है. उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट Tuesday को दोपहर 2:30 बजे फैसला सुनाएगा.

यह मामला 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसे लेकर First Information Report नंबर 59/2020 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दर्ज की थी.

मुख्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच देगी.

वहीं, सह-आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत पर अलग बेंच (जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर) सुबह 10:25 बजे फैसला सुनाएगी.

लाइव लॉ के मुताबिक, जिन अन्य आरोपियों ने जमानत मांगी है, उनमें अथर खान, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं.

इस केस में ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तनहा, शदाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अथर खान, सैफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नारवाल को आरोपी बनाया गया है.

उमर खालिद की ओर से सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने दलील दी कि सिर्फ वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल होना अपराध नहीं है, खासकर जब उन्होंने कोई संदेश नहीं भेजा.

उन्होंने कहा कि खालिद से कोई आपत्तिजनक सामग्री या फंड भी बरामद नहीं हुआ है. 23-24 फरवरी 2020 की रात जो मीटिंग ‘गुप्त’ बताई जा रही है, वह वास्तव में सार्वजनिक थी.

खालिद सैफी की ओर से सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने कहा, “क्या साधारण मैसेज यूएपीए के तहत गिरफ्तारी का आधार बन सकते हैं? क्या सिर्फ इन मैसेजों के आधार पर जमानत रोकी जा सकती है?”

उन्होंने जमानत की समानता का हवाला देते हुए बताया कि तीन सह-आरोपियों को पहले ही जून 2021 में जमानत मिल चुकी है.

वीकेयू/डीकेपी

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