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धूल और प्रदूषण फेफड़ों को पहुंचा सकते हैं नुकसान, ऐसे रखें ख्याल

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New Delhi, 26 अक्टूबर . हमारे आसपास मौजूद सूक्ष्म कण जैसे कि वाहन या फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और धूल हमारे फेफड़ों के लिए खतरा बन सकते हैं. ये सूक्ष्म कण ब्रोन्कियल अस्थमा जैसी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं.

जब ये कण हमारे श्वसन मार्ग में जाते हैं, तो हमारे वायुमार्ग में सूजन और जलन पैदा करते हैं, जिससे खांसी, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट और कभी-कभी ज्यादा थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

यूनानी चिकित्सा में ऐसे मामलों के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय सुझाए गए हैं, जो फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को आराम देने में मदद करते हैं. पुदीना अपनी ठंडक और श्वसन मार्ग को आराम देने वाले गुणों के लिए जाना जाता है. कलौंजी म्यूकस को पतला कर खांसी को कम करने में मदद करती है. अदरक सूजन घटाता है और सांस को आसान बनाता है, जबकि इसबगोल फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है.

इन जड़ी-बूटियों का सेवन हमेशा किसी विशेषज्ञ की सलाह के साथ करना चाहिए. सही मात्रा और समय पर इनका इस्तेमाल फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है और अस्थमा की गंभीरता को कम कर सकता है.

इसके अलावा, अपने रोजमर्रा के वातावरण को साफ और शुद्ध रखने की आदतें अपनाना भी बेहद जरूरी है. घर और कार्यस्थल पर धूल और प्रदूषण को कम करने की कोशिश करें. अगर बाहर जाना जरूरी है, तो मास्क पहनें और ऐसे क्षेत्रों में लंबे समय तक रहने से बचें, जहां धुआं या धूल अधिक हो.

छोटे-छोटे कदम जैसे रोजाना 10-15 मिनट खुली हवा में सांस लेना, कमरे में पौधे लगाना और धूम्रपान से दूर रहना भी फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.

यूनानी चिकित्सा और प्राकृतिक उपायों के साथ इन आदतों को अपनाने से आप अपने श्वसन मार्ग को स्वस्थ रख सकते हैं, अस्थमा की गंभीरता को कम कर सकते हैं और दिनभर ताजगी और ऊर्जा महसूस कर सकते हैं.

पीआईएम/एबीएम

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