रांची, 8 अक्टूबर . Jharkhand हाईकोर्ट ने Wednesday को आदिवासी युवाओं को Naxalite बताकर फर्जी सरेंडर कराए जाने से जुड़े मामले की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य Government को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 20 नवंबर तय की है. यह जनहित याचिका Jharkhand काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स की ओर से दाखिल की गई है.
याचिका में दावा किया गया है कि Jharkhand के 514 युवाओं को फर्जी तौर पर Naxalite घोषित कर उनका सरेंडर कराया गया, ताकि कुछ वरिष्ठ Police अधिकारी अपनी उपलब्धि दिखा सकें और केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष पुरस्कार प्राप्त कर सकें.
याचिका में यह भी कहा गया है कि युवाओं को सीआरपीएफ में नौकरी दिलाने का लालच दिया गया था. इसके लिए राज्य Government के खजाने से करोड़ों रुपए खर्च किए गए. पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य Government के गृह सचिव को युवाओं के सरेंडर संबंधी तथ्यों पर सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
अदालत ने यह भी पूछा था कि क्या जिन युवाओं को Naxalite बताकर सरेंडर कराया गया, उन्हें वास्तव में रांची के पुराने जेल परिसर में प्रशिक्षण दिलाया गया था और यदि हां, तो क्या वह प्रशिक्षण कानूनी रूप से वैध था? इस कथित फर्जी सरेंडर प्रकरण में दिग्दर्शन कोचिंग इंस्टीट्यूट का नाम सामने आया था.
आरोप है कि इस संस्थान ने Police और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से 514 छात्रों को Naxalite घोषित कर सरेंडर कराया. Police की आंतरिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन युवाओं में से केवल 10 के ही Naxalite गतिविधियों से संबंध पाए गए. जांच दल ने 128 युवाओं के बयान दर्ज किए, जिनमें से अधिकांश के पते की Police सत्यापन नहीं कर पाई या वे उन पतों पर मिले ही नहीं. जांच प्रक्रिया अधूरी रहने के बावजूद, मामले को बंद कर दिया गया था.
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एसएनसी/एसके
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