New Delhi, 10 अक्टूबर . एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन असदुद्दीन ओवैसी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत पर दिए बयान पर भाजपा नेता यासिर जिलानी ने पलटवार किया है. उन्होंने ओवैसी की राजनीति को नफरत और तुष्टिकरण का केंद्र बताते हुए कहा कि वे केवल लाइमलाइट बटोरने के लिए विवादास्पद बयान देते हैं.
से बातचीत में उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत एक और बात कहते हैं कि India की विविधता ही India की पहचान है. वे अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं, लेकिन ओवैसी की राजनीति नफरत और तुष्टिकरण का केंद्र बिंदु है. वे तब मुंह नहीं खोलते जब उन पर कोई सवाल उठता है, लेकिन किसी भी मुद्दे पर खुद को आगे रखना चाहते हैं. उन्हें लाइमलाइट में रहना पसंद है.
उन्होंने कहा जो व्यक्ति समरसता, समानता और क्षमता का बोध दिलाता हो, उसे मोहन भागवत कहते हैं. जिलानी ने ओवैसी को चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी घटनाएं हो रही हैं, उन पर स्थानीय प्रशासन और Police अधिकारी संज्ञान ले रहे हैं. आप इसमें Political तड़का न लगाएं. इससे वोट बैंक में इजाफा नहीं होगा, लेकिन सौहार्द बिगाड़ने का काम जरूर हो रहा है.
उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ पर ओवैसी के बयान पर जिलानी ने कहा कि घटना घटी है तो सबने उसकी निंदा की है, खासकर सर्वोच्च अदालत में जो हुआ, वह निंदनीय है. लेकिन ओवैसी साहब सवाल उठाएं, यह हास्यास्पद लगता है. यह वही व्यक्ति है जो औरंगाबाद में ‘पान खिलाकर बच्चे पैदा करवाने’ जैसे बयान दे चुका है. यह हल्की बात नहीं, लेकिन इनका किरदार और Political चरित्र यही है. इन्हें यूपी में केवल योगी आदित्यनाथ दिखाई देते हैं. वे उनकी बातों को पकड़ते हैं, लेकिन समरसता, ‘सबका साथ-सबका विश्वास’ और सबको साथ लेकर चलने की बात पर कभी चर्चा नहीं करते.
जिलानी ने Madhya Pradesh में आरएसएस प्रचारक के साथ मारपीट की घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि यह बहुत निंदनीय है. किसी भी व्यक्ति या संगठन से जुड़े व्यक्ति पर हमला गलत है, खासकर संघ जैसे संगठन के प्रचारक पर. मुझे लगता है कि वहां की Police प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगी. जिन लोगों ने यह एकत्रित किया, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए. Police को एक नजीर पेश करनी होगी.
पश्चिम बंगाल की Chief Minister ममता बनर्जी द्वारा एसआईआर के विरोध पर जिलानी ने कहा कि ममता बनर्जी हों, तेजस्वी यादव हों या राहुल गांधी, ये संगठित तरीके से काम करते हैं. कोई एक बात कह दे, तो उसे लगातार जारी रखते हैं. अब ममता बनर्जी की बारी है. इनके पेट में दर्द तब होता है जब नागरिकता, मूल निवासी या पहचान से जुड़ी कोई प्रक्रिया शुरू होती है. इनका वोट बैंक घुसपैठियों और रोहिंग्या जैसे लोगों पर टिका है.
उन्होंने कहा कि एसआईआर मुद्दा पूरी पारदर्शिता से आया. यह वोटरों के अधिकार की रक्षा के लिए है, ताकि वोट कहीं और न जाए. बंगाल की बारी आने पर ममता बनर्जी एसआईआर को एनआरसी से जोड़कर जनता को भड़काने का काम कर रही हैं. वे नहीं चाहते कि उनका वोट बैंक खिसके. घुसपैठिए इनका वोट बैंक हैं.
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डीकेएम/वीसी
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