New Delhi, 22 जुलाई . Mumbai सीरियल ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 19 साल बाद 12 आरोपियों को बरी कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले ने देश की न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने इस फैसले के खिलाफ Supreme court का रुख किया.
सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है. Supreme court ने केंद्र की अपील का संज्ञान लेते हुए कहा है कि वह इस मामले में Thursday को सुनवाई करेगा. कोर्ट यह तय करेगा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए या नहीं और मामले की आगे की सुनवाई किस दिशा में चलेगी.
इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को Supreme court में चुनौती दी है.
बता दें कि वर्ष 2006 में Mumbai की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने Monday को फैसला सुनाया. इस मामले में 12 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट की ओर से इन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने विशेष टाडा न्यायालय की ओर से दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है. इनमें से 5 को मृत्युदंड और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.
यह फैसला 19 साल बाद आया है. न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस चांडक की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था. कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
यह मामला 11 जुलाई 2006 का है, जब Mumbai की लोकल ट्रेनों में शाम के समय मात्र 11 मिनट के अंदर सात अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 827 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. नवंबर 2006 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी. इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसमें 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.
–आईएएनएश
पीएसके
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