New Delhi, 3 अक्टूबर . नियामक उपायों के परिणामस्वरूप लिक्विडिटी बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ पर्याप्त रहने और क्रेडिट ग्रोथ 11-12 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. यह जानकारी Friday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि टर्म डिपॉजिट में घरेलू भागीदारी में कमी और करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट (सीएएसए) रेश्यो में गिरावट से पता चलता है कि संरचनात्मक बदलाव हुए हैं, जिससे मध्यम से लंबी अवधि में फंडिंग की लागत बढ़ सकती है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अप्रैल 2025 से लिक्विडिटी बढ़ाई है, जिससे कम लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश रिजर्व रेशियो में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती से सिस्टम में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए आए हैं और रिवाइज्ड लिक्विडिटी कवरेज रेशियो नियमों से 1.9 लाख करोड़ रुपए और मिल सकते हैं.
रिटेल जमाकर्ता अल्टर्नेटिव निवेश साधनों की ओर बढ़ रहे हैं. इससे वित्त वर्ष 25 में घरेलू जमा का हिस्सा घटकर 52 प्रतिशत रह गया है, जो कि वित्त वर्ष 2020 में 67 प्रतिशत था.
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक सुभा श्री नारायणन ने कहा, “कुल बैंक डिपॉजिट में घरेलू जमा का हिस्सा वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2025 के बीच 64 प्रतिशत से घटकर 60 प्रतिशत हो गया, जबकि गैर-वित्तीय कंपनियों ने 4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इस अंतर को भरने का काम किया.”
उन्होंने कहा, “कम लिक्विडिटी की अवधि में यह व्यवहार कुछ बैंकों के लिए जमा में तेजी से कमी और फंडिंग की लागत में वृद्धि का कारण बन सकता है. आगे चलकर, जैसे-जैसे वैकल्पिक निवेश लोकप्रिय होते रहेंगे, हम घरेलू जमा का हिस्सा कम होने की उम्मीद करते हैं.”
सीएएसए डिपॉजिट में करंट डिपॉजिट का हिस्सा लगभग स्थिर रहा है, जबकि सेविंग डिपॉजिट का हिस्सा कम हुआ है.
फर्म ने सुझाव दिया कि क्योंकि डिपॉजिट कुल उधार का 90 प्रतिशत से अधिक है, इसलिए बैंक संभावित जोखिमों को कम करने के लिए अपने फंडिंग स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर सकते हैं.
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एसकेटी/
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