गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसमें मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और जीवन में किए गए कर्मों के आधार पर मिलने वाले पुरस्कार और कष्टों के बारे में विस्तार से बताया गया है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि हर व्यक्ति का जन्म निश्चित है और मृत्यु भी निश्चित है। इस पर कई सवाल होते हैं, जैसे- मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है? कौन से कर्म नरक में ले जाते हैं? कौन से कर्म स्वर्ग का मार्ग खोलते हैं? नरक में किस प्रकार की सजा दी जाती है? गरुड़ पुराण इन सवालों का उत्तर प्रदान करता है। आइए जानते हैं कि कौन से बुरे कर्म आत्मा को नरक भेजते हैं और वहां उसे किस तरह की यातनाएं मिलती हैं।
एक बार गरुड़ जी ने श्री विष्णु से वैकुण्ठ में बैठकर पूछा, "हे देव, आपने मुझे भक्ति के मार्ग के बारे में कई प्रकार से बताया है, लेकिन अब मैं नरक के मार्ग और यम की यातनाओं के बारे में जानना चाहता हूं। पापियों को यम मार्ग में क्या कष्ट मिलते हैं?"
तब श्री विष्णु ने कहा, "जो लोग दया और धर्म से दूर रहते हैं, जो बुरे लोगों की संगति करते हैं और मोह के जाल में फंसे होते हैं, उन्हें अपवित्र नरक में जाना पड़ता है। पापियों को यम-यातना का सामना करना पड़ता है।"
अंतिम क्षणों में असहनीय पीड़ा
पुण्य और पाप के परिणामों को भुगतने के बाद, किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रोग हो सकता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अच्छा करने की आशा करता है, वही अचानक से किसी भयंकर रोग या मृत्यु के कगार पर पहुंच जाता है। वृद्धावस्था में, यह व्यक्ति अपने आहार और अन्य आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है। जैसे-जैसे वह रोगी होता जाता है, उसकी इच्छाएं और आहार कम होते जाते हैं। जब प्राण वायु निकलने लगती है, तो आंखों का घूमना, सांस लेने में कठिनाई और गले से आवाज निकलने लगती है। इन अंतिम क्षणों में आत्मा को लोक और परलोक दोनों का दृश्य दिखाई देता है।
सौ बिच्छुओं के डंक जैसी पीड़ा
जब यमदूत पास आने लगते हैं, तो व्यक्ति की सभी इंद्रियां विकल हो जाती हैं। इस दौरान प्राण वायु के साथ आत्मा का शरीर से निकलना, किसी कल्पना जैसा महसूस होता है। यह अनुभव सौ बिच्छुओं के डंक मारने जैसी पीड़ा देता है। मुंह में लार भरने लगती है और व्यक्ति फेन उगलने लगता है। पाप करने वाले व्यक्ति के प्राण गुद मार्ग से निकलते हैं और यमदूत उसे पकड़कर यम मार्ग पर ले जाते हैं। यमदूत उसे डराते और प्रताड़ित करते हुए काले कौए जैसे दिखाई देते हैं। उनका चेहरा क्रोध से भरा होता है और उनके हाथ में पाश और डंडे होते हैं। कमजोर दिल वाला व्यक्ति इन दूतों को देखकर भयभीत हो जाता है और मल-मूत्र का विसर्जन करने लगता है।
नरक की यातनाओं का अनुभव
यमदूत उसे नरक की भयानक यातनाओं का दर्शन कराते हैं। इन यातनाओं को देखकर व्यक्ति यम की आज्ञा से आकाश मार्ग से वापस मानव लोक में लौटने की इच्छा करता है, लेकिन यमदूत उसे पकड़कर पाश से बांध देते हैं। थका-हारा व्यक्ति हर जगह गिरकर कठिनाइयों का सामना करता है। जो लोग मृत्युपूर्व श्राद्ध या पिंडदान नहीं कराते, उनकी आत्माएं पिशाच रूप में भटकती रहती हैं।
लोगों को नरक में कैसे मिलती है उनके कर्मों की सजा
1. महावीचि नरक
यह नरक चारों ओर रक्त से भरा होता है और इसमें वज्र के समान तीखे कांटे फैले रहते हैं। इसमें गिरा जीव बार-बार उन कांटों से बिंधता है और असहनीय पीड़ा सहता है। गाय का वध करने वाले पापियों को इस नरक में एक लाख वर्षों तक दंड भोगना पड़ता है।
2. कुंभीपाक नरक
इस नरक में अंगारों और जलती हुई रेत की परतें होती हैं। जो लोग दूसरों की जमीन या संपत्ति हड़पते हैं अथवा ब्राह्मण हत्या जैसे महापाप करते हैं, उन्हें इस जलती भूमि पर डाला जाता है।
3. मंजूस नरक
यह नरक जलती हुई लोहे की सलाखों से बना होता है। जो लोग निर्दोषों को कैद या बंदी बनाते हैं, उन्हें इन सलाखों के बीच डालकर जलाया जाता है।
4. अप्रतिष्ठ नरक
यह स्थान मल-मूत्र और गंदगी से भरा होता है। जो लोग धार्मिक व्यक्तियों को यातना देते हैं या उनका अपमान करते हैं, उन्हें इस नरक में उलटा करके गिराया जाता है और वे घोर कष्ट भोगते हैं।
5. विलेपक नरक
यह नरक निरंतर लाह की आग में जलता रहता है। ऐसे ब्राह्मण जो मद्यपान करते हैं, उन्हें इस दहकती आग में फेंक दिया जाता है।
6. महाप्रभ नरक
यह नरक अत्यंत ऊंचाई पर स्थित होता है, जिसमें एक विशाल शूल गड़ा रहता है। पति-पत्नी के संबंधों में दरार डालने वाले, घर तोड़ने वालों को इस शूल में बार-बार छेदा जाता है।
7. जयंती नरक
इस नरक में एक विशाल, भारी चट्टान होती है। जो लोग पराई स्त्रियों के साथ अवैध संबंध बनाते हैं, उन्हें इसी चट्टान के नीचे कुचलकर दंडित किया जाता है।
8. महारौरव नरक
जो लोग जानबूझकर खेतों, घरों, गांवों में आग लगाते हैं, उन्हें इस नरक में डालकर कई युगों तक उबाला जाता है।
9. तामिस्र नरक
जिन लोगों ने अपना जीवन चोरी और छल-कपट में व्यतीत किया है, उन्हें यमदूत अपने भयंकर अस्त्र-शस्त्रों से मारते हैं। इस नरक में यातना की कोई सीमा नहीं होती।
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