#WATCH | Delhi: BJP MP Nishikant Dubey says "Chief Justice of India, Sanjiv Khanna is responsible for all the civil wars happening in this country" https://t.co/EqRdbjJqIE pic.twitter.com/LqEfuLWlSr
— ANI (@ANI) April 19, 2025
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने इस पर गहरी नाराज़गी जताई है, वहीं बीजेपी ने खुद को उनके बयान से अलग कर लिया है। दुबे के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी।#WATCH | BJP MP Nishikant Dubey says "There was an Article 377 in which homosexuality is a big crime. The Trump administration has said that there are only two sexes in this world, either male or female...Whether it is Hindu, Muslim, Buddhist, Jain or Sikh, all believe that… https://t.co/CjTk4wBzHA pic.twitter.com/C3XxtxCmUH
— ANI (@ANI) April 19, 2025
विवाद गहराने पर शनिवार को बीजेपी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दोनों नेताओं के बयानों से दूरी बना ली। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को सांसदों के निजी विचार बताते हुए स्पष्ट किया कि पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नड्डा ने अपने पोस्ट में कहा, “बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा देश की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश को लेकर की गई टिप्पणियां उनके व्यक्तिगत विचार हैं। पार्टी इनसे सहमत नहीं है।”
'अगर कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर दो' – निशिकांत दुबे
झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे अपने तीखे बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। शनिवार को उन्होंने कहा कि अगर कानून बनाने का कार्य सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही करना है, तो फिर संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में दुबे ने आरोप लगाया कि देश में ‘धार्मिक युद्ध’ भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाएं लांघ रहा है। अगर हर मुद्दे के लिए सुप्रीम कोर्ट का ही रुख करना है, तो फिर संसद और विधानसभाएं क्यों चल रही हैं?'
उन्होंने आगे कहा, 'एक समय था जब अनुच्छेद 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध माना गया था। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने भी कहा कि केवल दो लिंग होते हैं – पुरुष और महिला। हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन – सभी समुदाय समलैंगिकता को अपराध मानते हैं। लेकिन एक सुबह सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और इसे समाप्त कर दिया।'
दुबे ने यह भी कहा, “संविधान का अनुच्छेद 141 कहता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय सभी अदालतों पर लागू होते हैं। लेकिन अनुच्छेद 368 यह स्पष्ट करता है कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का काम केवल उन कानूनों की व्याख्या करना है। अब सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपालों से पूछ रहा है कि उन्हें विधेयकों पर क्या करना चाहिए।”
'आप संसद को निर्देश देंगे?' – निशिकांत दुबे का सवाल
दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, 'जब राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी से जुड़े मुद्दे उठते हैं, तो कोर्ट कागज मांगता है। लेकिन मुगलों के समय बनी मस्जिदों के लिए पूछा जाता है कि प्रमाण कहां हैं? सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है।'
उन्होंने तीखे लहजे में कहा, 'राष्ट्रपति, जो मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं, और संसद, जो देश के लिए कानून बनाती है – क्या आप उन्हें निर्देश देंगे? आपने यह नया कानून कैसे बना दिया कि राष्ट्रपति को तीन महीने में कोई फैसला लेना होगा? यह सब देश को अराजकता की ओर ले जाने की कोशिश है।'
दुबे ने अंत में कहा कि जब संसद का सत्र चलेगा, तब इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी।
गौरतलब है कि निशिकांत दुबे का यह बयान उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।