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Exit Poll के बाद महागठबंधन की चिंताएँ बढ़ीं, विधायकों को बिहार से बंगाल शिफ्ट करने की योजना

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बिहार विधानसभा चुनाव में आए हालिया एग्जिट पोल ने महागठबंधन की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अधिकांश एग्जिट पोलों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की मजबूत जीत का संकेत दिखाया गया है, लेकिन महागठबंधन अभी भी अपने आप पर भरोसा बनाए हुए है। इसी वजह से गठबंधन ने नतीजों के तुरंत बाद अपने विधायकों को सुरक्षित रखने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, इसमें विधायकों को जीत के बाद अन्य राज्यों में शिफ्ट करने की योजना भी शामिल है।

महागठबंधन और चुनावी मुकाबला

कांग्रेस लगातार यह दावा करती रही है कि बिहार चुनाव मुख्य रूप से दो महागठबंधनों के बीच ही है, जिससे तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं बचती। बढ़ती मतदान दर को दोनों गठबंधन अपने पक्ष में प्रभावशाली मान रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए, महागठबंधन को आशंका है कि चुनाव का परिणाम बहुत करीबी हो सकता है। नतीजों के बाद संभावित हॉर्स ट्रेडिंग से बचाव के लिए गठबंधन अपने विधायकों को रणनीतिक रूप से शिफ्ट करने की योजना पर विचार कर रहा है।

छोटी पार्टियों को लेकर सतर्क रणनीति


सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने सभी विधायकों को जीत के तुरंत बाद पटना बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है। हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना में सबसे अधिक खतरा छोटी पार्टियों से होता है। इस कारण वीआईपी और राजद के विधायकों को पश्चिम बंगाल में शिफ्ट करने का विकल्प भी विचाराधीन है। वहीं, कांग्रेस भी अपने विधायकों को जीत के तुरंत बाद पटना बुलाकर, उन्हें तेलंगाना या कर्नाटक जैसे सुरक्षित राज्यों में रखने पर विचार कर सकती है।

चुनाव का अंतर और जन सुराज पार्टी की भूमिका


प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि भले ही वोटिंग रिकॉर्ड स्तर पर हो, फिर भी किसी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना कम है। जमीन पर दिख रहे करीबी मुकाबले के कारण हार-जीत का अंतर बहुत सीमित रहेगा। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की अगुआई वाली जन सुराज पार्टी भी इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। यह पार्टी पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है और उसके वोट शेयर से परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

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