बुधवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक बड़े हादसे से बाल-बाल बच गए, जब राजधानी पटना के जेपी गंगा पथ (मरीन ड्राइव) पर उनके काफिले में एक तेज रफ्तार कार ने टक्कर मारने की कोशिश की। यह घटना उस वक्त हुई जब तेजस्वी एक कार्यक्रम से वापस लौट रहे थे। काफिले के पास जैसे ही वह संदिग्ध कार आई, सुरक्षाकर्मी तुरंत सतर्क हुए और ड्राइवर को रोककर हिरासत में ले लिया।
तेजस्वी की कार को नुकसान नहीं, पर खतरा टला नहीं!
गनीमत रही कि तेजस्वी की गाड़ी या काफिले की किसी और गाड़ी को कोई टक्कर नहीं लगी, वरना मामला और गंभीर हो सकता था। राजधानी की सड़कों पर नेता प्रतिपक्ष की सुरक्षा में हुई यह दूसरी बड़ी चूक है, जिसने न सिर्फ उनके समर्थकों, बल्कि प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है।
मरीन ड्राइव बना ड्रामे का केंद्र, युवक हिरासत में
मरीन ड्राइव के पास हुए इस घटनाक्रम ने हर किसी को हैरान कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज रफ्तार में आई कार जबरन काफिले में घुसने की कोशिश कर रही थी। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने तत्परता दिखाई और ड्राइवर को तुरंत पकड़ लिया। अब सुल्तानगंज थाना पुलिस उस युवक से पूछताछ कर रही है, यह जानने की कोशिश हो रही है कि उसका इरादा क्या था—कहीं यह सिर्फ एक संयोग तो नहीं या फिर कुछ और?
सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था
इस घटना ने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। बीते कुछ समय से तेजस्वी यादव सरकार पर लगातार हमलावर हैं, ऐसे में इस तरह की घटना और भी गंभीर हो जाती है। गौर करने वाली बात यह है कि करीब एक महीने पहले भी वैशाली जिले के गौरोल में तेजस्वी के काफिले में एक ट्रक घुस आया था, जिसमें तीन सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।
क्या जानबूझकर हो रही हैं ये घटनाएं?
अब सवाल यह उठ रहा है कि बार-बार तेजस्वी यादव के काफिले को निशाना बनाने की कोशिश क्यों हो रही है? क्या ये सुरक्षा में महज चूक है या किसी साजिश का हिस्सा? पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब हर कोण से मामले की जांच में जुट गई हैं। तेजस्वी यादव सुरक्षित हैं, लेकिन लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह संकेत जरूर दे रही हैं कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था को अब और पुख्ता करने की जरूरत है। उनके समर्थक सोशल मीडिया पर भी यह मांग उठा रहे हैं कि विपक्ष के नेता की सुरक्षा को हल्के में न लिया जाए।
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