अभी सामने आया है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) को 'फ्राड' घोषित करने की कोशिश में है स्टेट बैंक आफ इंडिया। फ्राड को फ्राड घोषित करना भी आसान नहीं है। फिर जब कंपनी किसी लल्लू पंजू की नहीं बल्कि अनिल अंबानी की हो। गौतम अडानी की तरह अंबानी बंधु भी इस सरकार के अपने हैं, गैर नहीं हैं। उनसे गैरों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता!
अनिल अंबानी की पहचान आज तो देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के लघु भ्राता के रूप में है, मगर कभी इनकी गिनती दुनिया के छह बड़े अमीरों में थी। उनका अपना जलवा था और आज भी है, मगर कम है। हमारे प्रधानमंत्री ने 2016 में अपनी फ्रांस यात्रा में सरकारी कंपनी एचएएल को पीछे धकेल कर जेट विमान का सौदा इनकी किसी अज्ञात सी कंपनी को दिलवाया था।
तब प्रेस की हल्ला मचाने की थोड़ी सी हैसियत थी तो उसने हल्ला मचाया था, मगर अब यह सरकार निडर हो चुकी है। यह किसी कानून, किसी संविधान से नहीं डरती। जनता से तो यह बिल्कुल ही नहीं डरती और प्रेस से इसके डरने का तो सवाल ही नहीं! ये डरती है तो सवालों से इसलिए इसने सवाल उठाने वालों को डरा रखा है। कुछ को जेल में ठूंस रखा है और कुछ पर तलवार लटका रखी है।
तो खैर ये वाले अंबानी सरकार के कृपापात्रों में हैं। आरोप फर्जी काम करने के भी हों तो भी बचा लिये जाएंगे। कोई न कोई ऐसा तकनीकी पेंच निकाल लिया जाएगा कि इन्हें फ्राड घोषित करना चाहने वाला खुद नहीं सुधरा तो सुधार दिया जाएगा। वैसे भी जमाना फ्राडों का है। आनलाइन के जमाने में फ्राड से आसान कुछ भी नहीं। रोज फ्राडगीरी की खबरों से अखबार पटे पड़े रहते हैं।सौ में से एक अपनी गलती से पकड़ा जाता है और वह भी इसलिए ताकि लोगों को भ्रम रहे कि इस देश में सरकार भी है और वह फ्राडगीरी बर्दाश्त नहीं करेगी!
मान लो इस एक मामले में अनिल अंबानी बच गए और उनके कुछ निदेशक फंस भी गए तो कल वे भी छूट जाएंगे। उनकी जमानत आसानी से हो जाएगी। वैसे भी पैसा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है यानी सरकार का है, तो चिंता किस बात की? सरकारी पैसे पर सबसे पहला हक अडानियों-अंबानियों का है। वे लूटेंगे तो देश का विकास होगा। 2047 में भारत विकसित बन जाएगा। और जहां तक इनकी लूट से बैंकों को होने वाले घाटे का सवाल है, पहले की तरह सरकार उसे अपने खजाने से भर देगी। पूंजीपतियों को तनिक भी खरोंच नहीं आएगी!
इस तरह यह वाला किस्सा खत्म होगा (वैसे अनिल अंबानी देश-विदेश के अनेक ऐसे किस्सों के नायक-उन्नायक हैं)। बैंक की फौरी चिंता समाप्त होगी। जहां तक देश की जनता का सवाल है, उसे अब लूट और घोटालों से परेशानी नहीं होती। इतने बरसों में उसने इतने फ्राडिये अपने आसपास पनपते हुए देखे हैं कि उसे इनसे अब डर नहीं लगता। वह इन्हें हवा, पानी, धूप की तरह प्राकृतिक मानती है। इन्हें देश की एकता-अखंडता की गारंटी मानती है। देश को आज एक ही चीज़ ने एक कर रखा है और वे हैं राष्ट्रव्यापी घोटाले। दूसरे सारे सूत्र टूट चुके हैं।
आरोप है कि अनिल अंबानी की कंपनी ने बैंक से 31580 करोड़ का ऋण लेकर उसे इधर- उधर खुर्द-बुर्द कर दिया। औरों की तरह इस बैंक को भी गारंटी फर्ज़ी दी। ऋण समय पर चुकाया नहीं। वैसे अपना बंदा फ्राड करे तो वह फ्राड नहीं होता, महज़ तकनीकी चूक होती है, अनदेखी होती है, भूल होती है! ऐसी गड़बड़िया़ं सुधारने वाले साउथ ब्लॉक, नार्थ ब्लॉक से लेकर हर राज्य की हर राजधानी में बैठे हैं। ये भी एक अलग तरह से पंचर जोड़ने वाले हैं. मगर सड़क पर पंचर ठीक करने वालों से ये एकदम भिन्न नस्ल के हैं। यह ऐसी नस्ल है, जो कभी खत्म नहीं होगी।
वैसे पूंजीपतियों के खेल समझना आसान नहीं। ये गरीब और अमीर एक समय, एकसाथ हो सकते हैं। ये खुद को दिवालिया भी घोषित कर सकते हैं और साथ ही अरबों के मालिक भी हो सकते हैं। इनके लिए सब सुलभ है, सब आसान है। एक बार पहले छोटे अंबानी जी दिवालिया घोषित हो चुके थे। विदेशी कंपनी के ऋण न चुकाने का मामला था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट भी काफी सिरियस थी। नौबत इनके जेल जाने तक की थी तो बड़े अंबानी ने इन्हें बचा लिया।
अभी फिर से इन्होंने तीन चीनी बैंकों का ऋण नहीं चुकाया है और इन्होंने अपने को फिर से दिवालिया घोषित कर दिया है। दिवालिया घोषित होना भी पूंजीपतियों का एक खेल है। ये दिवालिया भी हैं और आज इनकी कुल संपत्ति तीन अरब डालर बताई जाती है। मुंबई में इनका 17 मंजिला शानदार मकान है, जिसमें सब कल्पनीय और अकल्पनीय सुविधाएं हैं और इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं है, केवल 5000 करोड़ रुपए है। सरकार ऐसा दिवालिया देश के हर नागरिक को बनाए! आप तैयार हों तो मैं भी तैयार हूं!