सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने मंगलवार को कहा कि पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की बढ़ती संख्या के साथ बाजार में उतार-चढ़ाव और वित्तीय परिवेश में विश्वास की कमी इस बढ़ते निवेशक रुझान के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कर सकती हैं।
देश में पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़कर वर्तमान में 13 करोड़ हो गयी है जो मार्च, 2020 में 4.2 करोड़ थी। अभी इसमें और वृद्धि की काफी गुंजाइश है।
नारायण ने घरेलू निवेशकों की संख्या में वृद्धि को स्वीकार करते हुए इस गति को बनाए रखने के लिए चुनौतियों के समाधान की जरूरत बतायी।
उन्होंने कहा कि साइबर और डिजिटल धोखाधड़ी जैसे जोखिम गंभीर चिंता का विषय हैं। गड़बड़ी करने वाले अक्सर परिष्कृत और संगठित होते हैं और भोले-भाले निवेशकों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे साइबर सुरक्षा ऐसा क्षेत्र बन जाता है, जिस पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य ने कहा कि इसके साथ ही, निवेशकों को बाजार की अस्थिरता के बारे में पूरी तरह से जागरूक रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव तय है और निवेशक अपने पोर्टफोलियो को व्यक्तिगत जोखिम क्षमता के अनुरूप बनाएं।
नारायण ने कहा, ‘‘हमें अस्थिरता और जोखिम के अर्थ को बेहतर ढंग से समझना और आत्मसात करना होगा। यह ठीक उसी तरह होना चाहिए जैसे हमने प्रतिफल को बेहतर ढंग से समझना है।’’
उन्होंने वित्तीय नियोजन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्तीय परिवेश में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने की जरूरत बतायी। संचालन के स्तर पर विफलता या बाजार में गड़बड़ी की किसी भी घटना से भरोसे को चुनौती मिल सकती है।
नारायण ने कहा कि इस संबंध में बाजार को मजबूत बनाए रखने में सेबी और अन्य पक्षों के साथ-साथ शेयर बाजारों और डिपॉजिटरी जैसे नियामकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने निवेश रणनीति के तहत निवेश परिसंपत्ति में विविधीकरण की आवश्यकता बतायी।
नारायण ने कहा कि कुछ छोटे निवेशकों में शेयरों में अधिक निवेश करने की प्रवृत्ति दिख रही है। इसके समाधान के लिए, सेबी बॉन्ड और जिंस बाजारों को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहा है ताकि और अच्छे विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें।
सोना फिर एक लाख रुपये के पार, चांदी में 3,000 रुपये का उछालस्टॉकिस्ट की मजबूत लिवाली के कारण मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतें 1,000 रुपये बढ़कर एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को फिर से लांघ गईं। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत चार सप्ताह के उच्चतम स्तर 1,00,020 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई, जबकि पिछला बंद भाव 99,020 रुपये प्रति 10 ग्राम था। इससे पहले, 19 जून को सोना एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंचा था।
राष्ट्रीय राजधानी में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना मंगलवार को 1,000 रुपये बढ़कर 99,550 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। पिछले कारोबार में यह 98,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
सोने की तरह, मंगलवार को चांदी की कीमतें भी 3,000 रुपये बढ़कर 1,14,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गईं। सोमवार को चांदी 1,11,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
इस बीच, वैश्विक बाजारों में हाजिर सोना 0.28 प्रतिशत घटकर 3,387.42 डॉलर प्रति औंस रह गया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष, शोध विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘कॉमेक्स में सोने का कारोबार 3,395 डॉलर से 3,383 डॉलर के बीच एक सीमित और अस्थिर दायरे में हुआ, जो व्यापार सौदों या प्रमुख वैश्विक घटनाक्रमों से नए संकेतकों की कमी को दर्शाता है।’’
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर चांदी भी 0.11 प्रतिशत घटकर 38.89 डॉलर प्रति औंस रह गई।
अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘निवेशक केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के रुख पर मार्गदर्शन के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल और गवर्नर मिशेल बोमन के भाषण पर बारीकी से नज़र रखेंगे।’’
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की शोध विश्लेषक-जिंस और मुद्रा रिया सिंह के अनुसार, व्यापारी चीन के ऋण की प्रमुख दरों पर निर्णय और अमेरिका के वृहद आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखेंगे।
उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में शेयर बाजार स्थिर रुख के साथ बंदउतार-चढ़ाव भरे कारोबार में दोनों मानक सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी मंगलवार को लगभग स्थिर रुख के साथ बंद हुए। फौरन सामान पहुंचाने वाली कंपनियों और निजी बैंकों के शेयरों में आई तेजी का असर तेल एवं गैस और आईटी कंपनियों के शेयरों में हुए नुकसान के कारण जाता रहा।
बीएसई का तीस शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 13.53 अंक यानी 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 82,186.81 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 337.83 अंक तक चढ़ गया था, लेकिन बाद में यह अपनी बढ़त गंवा बैठा।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी भी 29.80 अंक यानी 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,060.90 अंक पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक अगस्त की समयसीमा से पहले अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर स्पष्टता की कमी और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की मुनाफावसूली से बाजार धारणा प्रभावित हुई।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से इटर्नल (पूर्व में जामैटो) में सबसे ज्यादा 10.56 प्रतिशत की तेजी आई।
जोमैटो और ब्लिंकिट ब्रांड का संचालन करने वाली कंपनी इटर्नल ने सोमवार को जून तिमाही में अपना एकीकृत शुद्ध लाभ 25 करोड़ रुपये रहने की सूचना दी। उसके बाद से कंपनी के शेयरों में तेजी है।
इसके अलावा, टाइटन, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, मारुति, आईसीआईसीआई बैंक और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर भी बढ़त के साथ बंद हुए।
दूसरी तरफ, टाटा मोटर्स, अदाणी पोर्ट्स, भारतीय स्टेट बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट का रुख रहा।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार की नजरें कंपनियों के तिमाही नतीजों पर लगी हुई हैं। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की एक अगस्त की समयसीमा करीब आने से दो दिन से जारी तेजी थम गई।’’
नायर ने कहा कि पहली तिमाही के बेहतर नतीजे प्रीमियम मूल्यांकन का दौर कायम रखने के लिए जरूरी हैं, लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशकों की मुनाफावसूली से बाजार पर दबाव बना हुआ है।
मझोली कंपनियों का मिडकैप सूचकांक 0.62 प्रतिशत गिर गया जबकि छोटी कंपनियों के स्मालकैप सूचकांक में 0.17 प्रतिशत की गिरावट रही।
क्षेत्रवार सूचकांकों में से रियल्टी खंड में सर्वाधिक 1.01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि दूरसंचार खंड में 0.87 प्रतिशत और वाहन खंड में 0.78 प्रतिशत का नुकसान रहा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘बाजार एक दायरे में बना रहा और कमोबेश स्थिर बंद हुआ। यह मिले-जुले संकेतों के बीच एक ठहराव को दर्शाता है। दरअसल, बाजार को किसी स्पष्ट दिशा का इंतजार है।’’
एशिया के अन्य बाजारों में, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त में रहे, जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की गिरावट के साथ बंद हुए।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में ज्यादातर में गिरावट रही। सोमवार को अमेरिकी बाजार ज्यादातर बढ़त के साथ बंद हुए थे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 1,681.23 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,578.43 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.97 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.54 डॉलर प्रति बैरल रहा।सेंसेक्स सोमवार को 442.61 अंक चढ़ा था जबकि निफ्टी में 122.30 अंक की तेजी रही थी।
रुपया पांच पैसे कमजोर होकर 86.36 प्रति डॉलर परअमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच मंगलवार को रुपया अपनी शुरुआती बढ़त गंवाकर पांच पैसे की गिरावट के साथ 86.36 रुपये प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अब सभी की निगाहें भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के नतीजों पर टिकी हैं। भारतीय निर्यात पर संभावित अमेरिकी शुल्क लागू होने की एक अगस्त की समयसीमा नजदीक आ रही है।
अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने निचले स्तर पर रुपये को समर्थन दिया, जबकि विदेशी पूंजी की निकासी और घरेलू शेयर बाजारों के नकारात्मक रुख ने रुपये पर दबाव डाला और इसकी बढ़त को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.26 पर खुला और कारोबार के दौरान 86.22 के उच्चस्तर तक गया और 86.41 के निचले स्तर तक आया।
कारोबारी सत्र के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव से पांच पैसे की गिरावट के साथ 86.36 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
सोमवार को रुपया 15 पैसे की गिरावट के साथ 86.31 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि व्यापार वार्ता को देखते हुए रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। हालांकि, अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से निचले स्तरों पर रुपये को समर्थन मिल सकता है।’’
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर अधिकारी स्तर पर पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। दोनों पक्ष एक अगस्त से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं।
ऐसा न हो पाने की स्थिति में भारतीय निर्यातकों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे रुपये पर दबाव आ सकता है।
चौधरी ने कहा कि डॉलर-रुपया हाजिर भाव 86.10 से 86.65 के बीच रहने की उम्मीद है।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत गिरकर 97.82 पर आ गया।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड भी वायदा कारोबार में 0.94 प्रतिशत गिरकर 68.56 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 13.53 अंक की मामूली गिरावट के साथ 82,186.81 अंक पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 29.80 अंक गिरकर 25,060.90 अंक पर रहा।
शेयर बाजार से मिले आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध आधार पर 1,681.23 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
सात प्रमुख शहरों में जनवरी-जून में एक करोड़ रुपये से कम कीमत के घरों की बिक्री 32 प्रतिशत घटीदेश के सात प्रमुख शहरों में जनवरी-जून 2025 के दौरान एक करोड़ रुपये से कम कीमत वाले घरों की बिक्री में 32 प्रतिशत की गिरावट आई।
रियल एस्टेट सलाहकार जेएलएल इंडिया ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस दौरान प्रीमियम घरों की मांग में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई।
जेएलएल इंडिया ने मंगलवार को आवास बाजार पर अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक जनवरी-जून, 2025 में सात शहरों - मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु और पुणे में घरों की बिक्री सालाना 13 प्रतिशत घटकर 1,34,776 इकाई रह गई।
इन आंकड़ों में सभी श्रेणियों के अपार्टमेंट शामिल हैं। रोहाउस, विला और प्लॉट को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-जून में फ्लैट (एक करोड़ रुपये से कम) की बिक्री सालाना 32 प्रतिशत घटकर 51,804 इकाई रह गई।
हालांकि, इस दौरान प्रीमियम अपार्टमेंट (एक करोड़ रुपये से अधिक) की बिक्री छह प्रतिशत बढ़कर 82,972 इकाई हो गई।
जेएलएल इंडिया ने कहा, ‘‘2025 की पहली छमाही के दौरान एक करोड़ रुपये और उससे अधिक मूल्य के अपार्टमेंट की हिस्सेदारी कुल बिक्री में लगभग 62 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा 51 प्रतिशत था।’’
समीक्षाधीन अवधि में एक करोड़ रुपये से कम कीमत वाले घरों की हिस्सेदारी कुल बिक्री में सालाना आधार पर 49 प्रतिशत से घटकर 38 प्रतिशत रह गई।
जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रमुख सामंतक दास ने कहा कि लक्जरी घरों की बिक्री में लगातार वृद्धि खरीदारों की बढ़ती समृद्धि, बदलती जीवनशैली की आकांक्षाओं और बड़े आवास की बढ़ती मांग का संकेत देती है।
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