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आजादी के बाद पहली बार बिहार में CWC, क्या राहुल बनेंगे जनआंदोलनों का चेहरा

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर संगठन को जमीनी स्तर पर सक्रिय करने की कोशिश में है। इसी रणनीति के तहत बिहार में आज़ादी के बाद पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक आयोजित की गई — और यह कोई सामान्य राजनीतिक बैठक नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है: राहुल गांधी को “जननायक” के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम।

बिहार, जहां कांग्रेस की कभी गहरी जड़ें थीं, अब पार्टी के लिए “रिक्लेम टेरिटरी” जैसा बन चुका है। इस ऐतिहासिक बैठक के ज़रिए पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि अब दिल्ली से लेकर गांव तक, राहुल गांधी की छवि को नए रूप में गढ़ा जाएगा — एक ऐसे नेता के रूप में जो जमीन से जुड़ा हो, संघर्षशील हो और युवाओं की आवाज़ बने।

बिहार को क्यों चुना गया?

बिहार स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक आंदोलनों की धरती रही है। जयप्रकाश नारायण से लेकर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता यहीं से निकले। ऐसे में कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की यह बैठक पहली बार बिहार में आयोजित होना कोई संयोग नहीं, बल्कि राहुल गांधी के लिए ‘जननायक’ की भूमिका का ऐलान है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस इस संदेश को देना चाहती है कि वह अब भी राष्ट्रीय विमर्श में प्रासंगिक है और “भारत जोड़ो यात्रा” के बाद राहुल की जनस्वीकार्यता को ठोस राजनीतिक रूप देने की तैयारी हो चुकी है।

CWC की बैठक में क्या रहा खास?

बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी समेत तमाम वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार:

बिहार और पूर्वी भारत को चुनावी रणनीति के केंद्र में लाने पर सहमति बनी।

युवाओं, किसानों और पिछड़े वर्गों को मुख्य फोकस ग्रुप के रूप में चिन्हित किया गया।

संविधान, सामाजिक न्याय और महंगाई जैसे मुद्दों पर आंदोलनात्मक कार्यक्रम तय किए गए।

राहुल गांधी को जन-संवाद की नई श्रृंखला शुरू करने की जिम्मेदारी दी गई है।

राजनीतिक संकेत क्या हैं?

CWC की यह बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के भविष्य की दिशा तय करने वाली मानी जा रही है। पार्टी अब सिर्फ विचारधारा नहीं, जमीनी स्तर पर नेतृत्व और नायकत्व की तलाश में है।

राहुल गांधी को जिस तरह आंदोलनों, यात्राओं और जेलों में समय बिताने वाले नेता के तौर पर पेश किया जा रहा है, उससे साफ है कि पार्टी उन्हें केवल संगठन के प्रमुख नेता नहीं, बल्कि लोगों का चेहरा और भरोसेमंद विकल्प बनाना चाहती है।

बिहार में क्या होगा कांग्रेस का अगला कदम?

प्रदेश स्तर पर “जनसंवाद यात्राएं” शुरू की जाएंगी

युवाओं और किसानों को जोड़ने के लिए थीम आधारित जनसभाएं

सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दों को पुनः केंद्र में लाना

राहुल गांधी की बिहार यात्रा को प्रमुख अभियान के तौर पर भुनाना

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र मिश्रा के अनुसार:

“बिहार में CWC बैठक केवल प्रतीकात्मक नहीं, रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। कांग्रेस ने यह दिखा दिया है कि वह अब महज सोशल मीडिया पार्टी नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर लड़ने के मूड में है। राहुल को जननायक बनाने की यह शुरुआत है।”

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