मानसून का मौसम जहां ठंडक और सुकून लाता है, वहीं यह हमारे पाचन तंत्र (Digestion) की परीक्षा भी लेता है। बारिश के दौरान हवा में नमी, वातावरण में बैक्टीरिया और फंगस की मौजूदगी से हमारा पेट जल्दी गड़बड़ाने लगता है। ऐसे में कई लोग सोचते हैं – दूध पिएं या दही खाएं, या फिर छाछ ही सही विकल्प है?
आइए जानते हैं आयुर्वेद और एक्सपर्ट्स की राय से कि इस मौसम में इन तीनों में से क्या आपके पेट और शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
ठंडा दूध – फायदे कम, नुकसान ज्यादा
बारिश में ठंडा दूध पीने से अस्थायी ठंडक तो मिलती है, लेकिन
यह कफ बढ़ाने वाला होता है
नमी भरे मौसम में बलगम, गले में खराश और पेट फूलने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं
जिन्हें एलर्जी, जुकाम या टॉन्सिल की समस्या है, उन्हें खास तौर पर बचना चाहिए
बेस्ट तरीका: अगर दूध पीना हो तो हल्का गर्म या गुनगुना दूध पिएं, इससे पाचन में भी मदद मिलती है।
दही – खाएं लेकिन सोच-समझकर
दही पोषक होता है, लेकिन मानसून में इसका असर उल्टा भी पड़ सकता है:
यह भारी, गाढ़ा और कफवर्धक होता है
इससे एसिडिटी, अपच और बलगम की समस्या हो सकती है
कैसे खाएं:
दिन में खाएं, रात में नहीं
ऊपर से काली मिर्च या हींग डालकर खाएं, ताकि पचने में आसान हो
छाछ – मानसून का अमृत
छाछ को आयुर्वेद में मानसून के लिए सबसे उत्तम पेय माना गया है:
यह हल्का, ठंडक देने वाला और पाचन में सहायक होता है
गैस, अपच और एसिडिटी में राहत देता है
छाछ में काली मिर्च, सेंधा नमक या अजवाइन मिलाकर पीना और भी फायदेमंद है
यह शरीर से टॉक्सिन्स निकालने में भी मदद करता है
इसलिए मानसून के मौसम में छाछ को रोजाना की डाइट में ज़रूर शामिल करें।
डॉक्टर से सलाह ज़रूरी है
अगर आप बार-बार पेट खराब होने, गैस, अपच या एसिडिटी जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं, तो
खुद इलाज करने के बजाय किसी आयुर्वेदाचार्य या गैस्ट्रो एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें
शरीर की प्रकृति और मौसम के अनुसार आहार लेना ही सबसे अच्छा उपाय है
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