अगली ख़बर
Newszop

कांग्रेस को अपना नाम 'इंदिरा नाजी कांग्रेस' रख लेना चाहिए, बीजेपी ने क्यों कही इतनी बड़ी बात?

Send Push
नई दिल्लीः कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करके सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है। जन्मदिन के अवसर पर आडवाणी की तारीफ करने की वजह से जहां कांग्रेस ने उनके बयान से दूरी बना ली है, वहीं बीजेपी को विपक्षी दल पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी को अपना नाम ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ से बदलकर ‘इंदिरा नाजी कांग्रेस’ रख लेना चाहिए, क्योंकि यह वही इमरजेंसी वाला नाजी माइंडसेट है जो इंदिरा गांधी के समय देखा गया था।'

यह बयान कांग्रेस के उस स्पष्टीकरण के बाद आया, जिसमें पार्टी ने कहा कि थरूर ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से बात कही है। कांग्रेस प्रचार विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने X पर लिखा, 'थरूर का कांग्रेस सांसद और कार्यसमिति सदस्य होते हुए भी स्वतंत्र रूप से विचार रखना, कांग्रेस की लोकतांत्रिक और उदार भावना को दर्शाता है।' लेकिन पूनावाला ने इसे कांग्रेस की असहिष्णुता बताया। उन्होंने कहा, 'सिर्फ आडवाणी जैसे भारत रत्न और वरिष्ठ नेता को शुभकामनाएं देने पर कांग्रेस ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया। यह बताता है कि कांग्रेस में किसी राजनीतिक शिष्टाचार की कोई जगह नहीं है। उनके लिए हर विरोधी एक दुश्मन है।'

पहले भी विवादों में रहे हैं थरूर
यह पहला मौका नहीं है जब शशि थरूर अपनी पार्टी से असहज रिश्तों को लेकर चर्चा में आए हों। बीजेपी नेता पूनावाला ने कहा, 'थरूर ने पहले भी प्रधानमंत्री मोदी और सरकार की तारीफ कर चुके हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उन्होंने कहा था कि अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी और राहुल गांधी के झूठ को उजागर किया था।'


पूनावाला ने कहा कि थरूर ने हाल ही में एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को भारत में वंशवाद की राजनीति को वैध ठहराने का जिम्मेदार बताया था। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, 'अब सिर्फ एक साधारण जन्मदिन की शुभकामना देने पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, इससे कांग्रेस की असहिष्णुता साफ झलकती है।'

थरूर ने आडवाणी के बारे में क्या कहा?
थरूर के जन्मदिन संदेश के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उन्हें आडवाणी की विवादास्पद 1990 की ‘रथ यात्रा’ की याद दिलाई, जिसे अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन का बड़ा मोड़ माना जाता है। थरूर ने अपने बचाव में कहा कि आडवाणी के 98 साल के लंबे राजनीतिक करियर को 'सिर्फ एक घटना' से नहीं परखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे 1962 के चीन युद्ध की हार या आपातकाल जैसी घटनाएं नेहरू और इंदिरा गांधी के पूरे शासनकाल को परिभाषित नहीं करतीं, वैसे ही आडवाणी के जीवन को भी एक घटना से नहीं आंका जा सकता।
न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें