गिरीश पांडेय, भदोही: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भदोही के सपा विधायक जाहिद बेग की पत्नी सीमा बेग को बड़ी राहत दी है। घर में नाबालिग नौकरानी मिलने और उससे जुड़े मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के मामले में उनके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को कोर्ट ने रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने शुक्रवार को सुनाया। मामला भदोही जिले से जुड़ा हुआ है।
भदोही म कुछ समय पहले विधायक जाहिद बेग के आवास पर नाबालिग नौकरानी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और फिर दूसरी नाबालिग नौकरानी के मिलने की खबर ने सनसनी फैला दी थी। इस घटना के बाद पुलिस ने सीमा बेग सहित अन्य के खिलाफ मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
हाई कोर्ट में दी थी चुनौतीइसी मुकदमे को चुनौती देते हुए सीमा बेग ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज यह मुकदमा तथ्यों पर आधारित नहीं है। उनके विरुद्ध की गई कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस प्रकरण में ट्रायल कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही को निरस्त किया जाए।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि सीमा बेग ने किसी को बंधुआ बनाकर रखा था। या मानव तस्करी से जुड़ी गतिविधि में शामिल थीं। कोर्ट ने माना कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप सामान्य और अस्पष्ट हैं, जिन पर आगे मुकदमे की सुनवाई चलाना न्यायसंगत नहीं होगा।
ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रद्दइस आधार पर न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने भदोही के ट्रायल कोर्ट में चल रही पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद सीमा बेग और उनके परिवार ने राहत की सांस ली है। वहीं, यह फैसला भदोही की स्थानीय सियासत में भी चर्चा का विषय बन गया है।
भदोही म कुछ समय पहले विधायक जाहिद बेग के आवास पर नाबालिग नौकरानी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और फिर दूसरी नाबालिग नौकरानी के मिलने की खबर ने सनसनी फैला दी थी। इस घटना के बाद पुलिस ने सीमा बेग सहित अन्य के खिलाफ मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
हाई कोर्ट में दी थी चुनौतीइसी मुकदमे को चुनौती देते हुए सीमा बेग ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज यह मुकदमा तथ्यों पर आधारित नहीं है। उनके विरुद्ध की गई कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस प्रकरण में ट्रायल कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही को निरस्त किया जाए।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि सीमा बेग ने किसी को बंधुआ बनाकर रखा था। या मानव तस्करी से जुड़ी गतिविधि में शामिल थीं। कोर्ट ने माना कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप सामान्य और अस्पष्ट हैं, जिन पर आगे मुकदमे की सुनवाई चलाना न्यायसंगत नहीं होगा।
ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रद्दइस आधार पर न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने भदोही के ट्रायल कोर्ट में चल रही पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद सीमा बेग और उनके परिवार ने राहत की सांस ली है। वहीं, यह फैसला भदोही की स्थानीय सियासत में भी चर्चा का विषय बन गया है।
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