नई दिल्ली: रिटायरमेंट (Retirement) की प्लानिंग में तो शहरी लोग गांव में रहने वालों के मुकाबले पहले से ही आगे थे। अब एक नई स्टडी में पता चला है कि शहरों में रहने वाले आधे से ज़्यादा भारतीय अब जल्दी रिटायर होने की प्लानिंग कर रहे हैं। यही नहीं, रिटायरमेंट प्लानिंग में इस समय पूर्वी भारत के लोग अन्य इलाकों में रहने वालों के मुकाबले आगे हैं। यह स्टडी एक्सिस मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने करवाई है, जिसका नाम India Retirement Index Study (IRIS) है।
बेहतर हो रही है तैयारीइस स्टडी के मुताबिक, भारत में रिटायरमेंट के लिए तैयारी लगातार बेहतर हो रही है। IRIS इंडेक्स का स्कोर पिछले चार सालों में 44 से बढ़कर 48 हो गया है। यह दिखाता है कि लोग अब पैसों, सेहत और इमोशनल तौर पर रिटायरमेंट के लिए ज़्यादा जागरूक हो रहे हैं।
ये दिक्कतें भीइस रिपोर्ट में रिटायरमेंट प्लानिंग में आने वाली कुछ खास दिक्कतों का ज़िक्र किया गया है। इनमें भरोसेमंद सलाह की कमी, परिवार पर निर्भरता और ज़िंदगी की दूसरी ज़रूरतों को प्राथमिकता देना शामिल है। स्टडी में यह भी पता चला है कि ज़्यादातर लोगों को 35 साल की उम्र से पहले ही रिटायरमेंट प्लानिंग के महत्व के बारे में अच्छी-खासी जानकारी हो गई है।
लोग ज्यादा जागरूक हो रहे हैंएक्सिस मैक्स लाइफ के एमडी एंड सीईओ सुमित मदान का कहना है 'IRIS 5.0, समझदारी और ज़्यादा बेहतर तरीके से रिटायरमेंट प्लानिंग की ओर एक बड़ा बदलाव दिखाता है। आज के ग्राहक सेहत को लेकर ज़्यादा जागरूक हो रहे हैं, प्रोडक्ट्स के बारे में ज़्यादा जानते हैं और पैसों के मामले में भी उनका भरोसा बढ़ा है।' उन्होंने आगे बताया कि स्टडी यह भी बताती है कि एक बड़ा तबका ऐसा है जो यह नहीं जानता कि प्लानिंग कैसे शुरू करे, इसलिए भरोसेमंद सलाह की ज़रूरत और भी बढ़ जाती है। गिग वर्कर्स, महिलाएं और वापस लौटे प्रवासी जैसे अलग-अलग लोगों के लिए खास और सबको शामिल करने वाले समाधानों की ज़रूरत है।'
सेहत और पैसों को लेकर जागरूकता बढ़ीलेटेस्ट IRIS 5.0 रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में रिटायरमेंट की तैयारी बेहतर हो रही है। देश का स्कोर 48 तक पहुंच गया है, जो IRIS 2.0 की तुलना में चार पॉइंट ज़्यादा है। सेहत को लेकर तैयारी 2022 में 41 से बढ़कर 46 हो गई है। इसकी वजह है ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी, समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना और हेल्थ इंश्योरेंस का बढ़ता चलन, जो अब 50 फीसदी तक पहुंच गया है। हालांकि, इमोशनल सेहत अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। 71 फीसदी लोगों ने कुछ खास ग्रुप्स में अकेलापन महसूस करने की बात कही है और 72 फीसदी लोग परिवार पर निर्भर रहने को लेकर चिंतित हैं।
महिलाएं ज़्यादा तैयार, पर इमोशनल तनाव ज़्यादारिटायरमेंट की तैयारी के मामले में महिलाएं पुरुषों से थोड़ी आगे हैं। उनका स्कोर 49 है, जबकि पुरुषों का 48 है। ज़्यादातर महिलाएं (82 फीसदी) उम्मीद करती हैं कि वे रिटायरमेंट के बाद भी फिजिकली फिट रहेंगी, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 78 फीसदी है। लेकिन, महिलाएं रिस्क वाले निवेश (जैसे शेयर बाज़ार) में निवेश करने में पुरुषों से 8 फीसदी कम हैं और वे ज़्यादा अकेलापन महसूस करती हैं (74 फीसदी)। इससे पता चलता है कि उन्हें पैसों और इमोशनल दोनों तरह की मदद की ज़रूरत है।
मेट्रो शहर सबसे आगे, क्षेत्रीय पैटर्न अलगतैयारी के मामले में मेट्रो शहर सबसे आगे हैं, जिनका स्कोर 50 है। इसकी वजह है नियमित फिटनेस की आदतें और हेल्थ चेकअप (60 फीसदी)। टियर I शहरों में भी तैयारी अच्छी है, जहां फिजिकल एक्टिविटी में 13 फीसदी और रिस्क वाले निवेश में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। क्षेत्रों के हिसाब से देखें तो पूर्वी भारत में रिटायरमेंट की तैयारी सबसे अच्छी है। उत्तर भारत में COVID के बाद सेहत में सबसे मज़बूत सुधार देखा गया है। पश्चिम भारत में शेयर बाज़ार और रियल एस्टेट में निवेश के ज़रिए पैसों के मामले में अच्छी तरक्की हुई है। दक्षिण भारत में सेहत और पैसों का संतुलन अच्छा है।
बेहतर हो रही है तैयारीइस स्टडी के मुताबिक, भारत में रिटायरमेंट के लिए तैयारी लगातार बेहतर हो रही है। IRIS इंडेक्स का स्कोर पिछले चार सालों में 44 से बढ़कर 48 हो गया है। यह दिखाता है कि लोग अब पैसों, सेहत और इमोशनल तौर पर रिटायरमेंट के लिए ज़्यादा जागरूक हो रहे हैं।
ये दिक्कतें भीइस रिपोर्ट में रिटायरमेंट प्लानिंग में आने वाली कुछ खास दिक्कतों का ज़िक्र किया गया है। इनमें भरोसेमंद सलाह की कमी, परिवार पर निर्भरता और ज़िंदगी की दूसरी ज़रूरतों को प्राथमिकता देना शामिल है। स्टडी में यह भी पता चला है कि ज़्यादातर लोगों को 35 साल की उम्र से पहले ही रिटायरमेंट प्लानिंग के महत्व के बारे में अच्छी-खासी जानकारी हो गई है।
लोग ज्यादा जागरूक हो रहे हैंएक्सिस मैक्स लाइफ के एमडी एंड सीईओ सुमित मदान का कहना है 'IRIS 5.0, समझदारी और ज़्यादा बेहतर तरीके से रिटायरमेंट प्लानिंग की ओर एक बड़ा बदलाव दिखाता है। आज के ग्राहक सेहत को लेकर ज़्यादा जागरूक हो रहे हैं, प्रोडक्ट्स के बारे में ज़्यादा जानते हैं और पैसों के मामले में भी उनका भरोसा बढ़ा है।' उन्होंने आगे बताया कि स्टडी यह भी बताती है कि एक बड़ा तबका ऐसा है जो यह नहीं जानता कि प्लानिंग कैसे शुरू करे, इसलिए भरोसेमंद सलाह की ज़रूरत और भी बढ़ जाती है। गिग वर्कर्स, महिलाएं और वापस लौटे प्रवासी जैसे अलग-अलग लोगों के लिए खास और सबको शामिल करने वाले समाधानों की ज़रूरत है।'
सेहत और पैसों को लेकर जागरूकता बढ़ीलेटेस्ट IRIS 5.0 रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में रिटायरमेंट की तैयारी बेहतर हो रही है। देश का स्कोर 48 तक पहुंच गया है, जो IRIS 2.0 की तुलना में चार पॉइंट ज़्यादा है। सेहत को लेकर तैयारी 2022 में 41 से बढ़कर 46 हो गई है। इसकी वजह है ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी, समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना और हेल्थ इंश्योरेंस का बढ़ता चलन, जो अब 50 फीसदी तक पहुंच गया है। हालांकि, इमोशनल सेहत अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। 71 फीसदी लोगों ने कुछ खास ग्रुप्स में अकेलापन महसूस करने की बात कही है और 72 फीसदी लोग परिवार पर निर्भर रहने को लेकर चिंतित हैं।
महिलाएं ज़्यादा तैयार, पर इमोशनल तनाव ज़्यादारिटायरमेंट की तैयारी के मामले में महिलाएं पुरुषों से थोड़ी आगे हैं। उनका स्कोर 49 है, जबकि पुरुषों का 48 है। ज़्यादातर महिलाएं (82 फीसदी) उम्मीद करती हैं कि वे रिटायरमेंट के बाद भी फिजिकली फिट रहेंगी, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 78 फीसदी है। लेकिन, महिलाएं रिस्क वाले निवेश (जैसे शेयर बाज़ार) में निवेश करने में पुरुषों से 8 फीसदी कम हैं और वे ज़्यादा अकेलापन महसूस करती हैं (74 फीसदी)। इससे पता चलता है कि उन्हें पैसों और इमोशनल दोनों तरह की मदद की ज़रूरत है।
मेट्रो शहर सबसे आगे, क्षेत्रीय पैटर्न अलगतैयारी के मामले में मेट्रो शहर सबसे आगे हैं, जिनका स्कोर 50 है। इसकी वजह है नियमित फिटनेस की आदतें और हेल्थ चेकअप (60 फीसदी)। टियर I शहरों में भी तैयारी अच्छी है, जहां फिजिकल एक्टिविटी में 13 फीसदी और रिस्क वाले निवेश में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। क्षेत्रों के हिसाब से देखें तो पूर्वी भारत में रिटायरमेंट की तैयारी सबसे अच्छी है। उत्तर भारत में COVID के बाद सेहत में सबसे मज़बूत सुधार देखा गया है। पश्चिम भारत में शेयर बाज़ार और रियल एस्टेट में निवेश के ज़रिए पैसों के मामले में अच्छी तरक्की हुई है। दक्षिण भारत में सेहत और पैसों का संतुलन अच्छा है।
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