एक्टर शेखर सुमन ने एक बार अपने जीवन के सबसे काले दौर के बारे में बात की थी। अपने बड़े बेटे आयुष की दिल दहला देने वाली मौत, जो एक गंभीर बीमारी के कारण सिर्फ 11 साल की उम्र में गुजर गया था। शेखर ने एक दर्दनाक पल को याद किया जब उनके बेटे की गंभीर हालत के बावजूद एक निर्देशक ने उन्हें शूटिंग के लिए बुलाया था। उन्होंने बताया कि कैसे आयुष ने उनका हाथ पकड़ रखा था और उनसे न जाने के लिए कह रहा था। इस त्रासदी ने शेखर को गहराई से झकझोर दिया, जिससे उनकी आस्था पर संकट आ गया और उन्होंने अपने घर से सभी धार्मिक मूर्तियों को हटा दिया। शेखर सुमन ने अपने दिवंगत बेटे को याद किया है। कनेक्ट एफएम कनाडा के साथ एक इंटरव्यू में शेखर ने अपने बेटे आयुष के साथ दिल दहला देने वाले पलों को याद किया। जब उन्होंने उसे कसकर पकड़ लिया और किसी चमत्कार के लिए प्रार्थना करते रहे। उन्होंने एक दर्दनाक याद शेयर की जब एक निर्देशक ने आयुष की गंभीर हालत के बावजूद उन्हें शूटिंग करने के लिए कहा। जब वह जाने लगाे तो आयुष ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा था, 'पापा, आज मत जाइए, प्लीज।' शेखर ने तब बेटे से कहा कि वो जल्दी वापस आएंगे। बेटे की मौत के बाद ऐसे थे शेखर सुमनआयुष की दुखद मौत के बाद शेखर सुमन की आस्था में कमी आ गई। अपने दुख में उन्होंने अपने घर का मंदिर बंद कर दिया और सभी मूर्तियां हटा दीं। उन्होंने कहा कि अब वह ऐसे भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते, जिसने उनके मासूम बच्चे को छीनकर उन्हें इतना दुखी कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष का दर्द इतना ज्यादा था कि उनकी पत्नी ने भी उसके दर्द से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। शेखर ने कहा कि वह अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं और हर दिन आयुष के बारे में सोचते हैं। लगा कि दुनिया बिखर रही है- शेखरशेखर सुमन ने पहले भी अपने बेटे आयुष के बारे में बताया था कि 1989 में जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा आयुष गंभीर रूप से बीमार है, तो उन्हें किस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ा। उन्हें लगा कि उनकी दुनिया बिखर रही है। उनका करियर, लाइफ और परिवार सब एक धागे से लटके हुए हैं। उन्होंने अपने बेटे को गोद में लेकर अनगिनत दिन बिताए, इस बात का दुख था कि उनके पास साथ में बिताने के लिए बहुत कम समय है। एंटरटेनमेंट लाइव के साथ एक इंटरव्यू में शेखर ने खुलासा किया कि डॉक्टरों ने शुरू में केवल आठ महीनों का पूर्वानुमान लगाया था। चमत्कार हमेशा नहीं होतेइन सारी मुश्किलों के बावजूद आयुष ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और आठ महीने के बजाय चार साल तक जीवित रहा। शेखर सुमन ने खुलासा किया कि वह अपने बेटे आयुष को इलाज के लिए लंदन ले गए, लेकिन ये हो न सका। दुनिया भर के बड़े डॉक्टरों से परामर्श करने और बौद्ध धर्म में लीन होने के बावजूद, शेखर ने इस दर्दनाक सच्चाई को स्वीकार कर लिया कि चमत्कार हमेशा नहीं होते हैं।
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