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ह्राम-ह्रीम-ह्रूं-स्वाहा.. भूत भगाने के नाम पर रात को पढ़े मंत्र, पड़ोसी ने पुलिस को बुलाया तो देने लगा 'श्राप'

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बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक अजीबो गरीब मामला सामना आया है। जहां खुद को तांत्रिक बताने वाले शक्ति शनैश्वर महा संस्था के श्रीनिवास स्वामी पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। आरोप है कि स्वामी रात में तेज आवाज में भजन, मंत्रोच्चारण और विचित्र अनुष्ठान करते थे, जिससे आसपास के लोगों की रातों की नींद हराम हो गई थी। मामला केंगेरी के पास उल्लाल उप्पानगर क्षेत्र का है। पड़ोसियों का कहना है कि स्वामी आधी रात को ह्राम... ह्रीम... ह्रूं... फट... फट... स्वाहा जैसे अजीब मंत्र उच्चारण के साथ लाउडस्पीकर पर भक्ति गीत चलाते थे। उनका दावा था कि वे अपने भक्तों को सताने वाले भूत-प्रेत को भगाने के लिए यह अनुष्ठान कर रहे हैं। लेकिन इस बीच तेज आवाज और अजीबो-गरीब हरकतों से लोगों को लगातार परेशानी झेलनी पड़ रही थी।


महिला की शिकायत पर केस दर्ज

आख़िरकार, एक गृहिणी पड़ोसी महिला ने तंग आकर पुलिस नियंत्रण कक्ष (112) पर कॉल किया। कुछ ही देर में एक हॉयसला पेट्रोलिंग वाहन मौके पर पहुंचा और श्रीनिवास स्वामी को रात में शोर न करने की चेतावनी दी। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। अगले ही दिन सुबह श्रीनिवास उस महिला के दरवाजे पर पहुंचे और धमकी दी कि वह एक महीने के अंदर खून उगलकर मर जाएगी, क्योंकि उसने उनके अनुष्ठान में बाधा डाली थी। उन्होंने दावा किया कि यह उनका श्राप है। महिला ने डर और गुस्से में इस घटना की शिकायत स्थानीय अदालत में की। अदालत ने ज्ञानभारती पुलिस को निर्देश दिया कि वे इस मामले में कर्नाटक अमानवीय दुष्ट प्रथाओं और काला जादू उन्मूलन अधिनियम के तहत मामला दर्ज करें।


महिला ने लगाए ये आरोप

महिला का आरोप है कि श्रीनिवास ने पहले भी उनके बेटे के साथ मारपीट की थी और सोशल मीडिया पर उनके छोटे भाई को ‘मिडिल फिंगर’ वाली तस्वीर भेजकर धमकाया था। इसके बाद पुलिस ने श्रीनिवास स्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि आरोपी को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया जाएगा और फिलहाल उसे सख्त हिदायत दी गई है कि वह रात में लाउडस्पीकर या मंत्रोच्चारण बंद रखे। डीसीपी (पश्चिम) एस. गिरीश ने कहा कि काला जादू उन्मूलन अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच करना चुनौतीपूर्ण होता है। कई बार लोग अंधविश्वास या डर के कारण बिना पुख्ता सबूत शिकायत कर देते हैं। ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता का सहयोग और साक्ष्य बेहद जरूरी होता है।

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