नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह अगले साल भारत आ सकते हैं। इस साल क्वॉड (QUAD) समिट के लिए भारत आने वाले थे, लेकिन आयोजन टल गया। अब चर्चा है कि अमेरिका , जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के बीच बन रहा नया समूह 'स्क्वायड' क्वॉड की जगह ले सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि स्क्वॉयड और क्वॉड के एजेंडे अलग हैं। स्क्वॉयड का फोकस सुरक्षा पर है, जबकि क्वॉड तकनीक, व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित है।
ट्रंप को इस साल भारत की मेजबानी में होने वाली क्वॉड (Quad) समिट के लिए ही भारत आना था, लेकिन साल बीतने को है और क्वॉड के आयोजन को लेकर ना तो भारतीय और ना ही अमेरिकी पक्ष की ओर से किसी तरह की सुगबुगाहट है। बीते दिनों जिस तरह से कुआलालपुर में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जापान और फिलीपींस के रक्षा मंत्रियों ने रक्षा सहयोग काउंसिल के फ्रेमवर्क को लेकर बात की, ऐसे में इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई है कि क्या क्वॉड की जगह अब 'स्क्वायड' ले लेगा। मई 2024 में अनौपचारिक तौर पर सामने आया ये समूह साल 2023 के सिंगापुर डायलॉग से निकला है।
ट्रेड डील पर टिका ट्रंप का दौराइंटरनेशनल मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ऐसा नहीं है क्वॉड में किसी तरह की गतिविधि नहीं हुई। इस साल क्वॉड की दो बैठक हुई हैं। जब तक भारत का US के साथ व्यापार करार नहीं होगा, तब तक ट्रंप भारत नहीं आएंगे। भारत भी नहीं चाहेगा कि वो आएं। ऐसे में संभव है कि भारत में क्वॉड समिट आने वाले साल की शुरुआत में हो, तब तक ट्रेड डील पर मुहर की संभावना भी है। जहां तक फिलीपींस के साथ गठजोड़ की बात है, तो ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस के साथ अमेरिका ने डिफेंस समझौता किया है, इसलिए क्वॉड में भारत का होना अलग है। इसके साथ एजेंडा भी दक्षिण चीन सागर पर फोकस है, जबकि क्वॉड का एजेंडा बहुत बेहद व्यापक है।
क्वॉड का इतिहासक्वॉड (Quad) चार देशों, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक रणनीतिक समूह है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करना है। साल 2007 में तत्कालीन जापानी पीएम शिंजो आबे की अगुवाई में क्वॉड की शुरुआत हुई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2019 के दौरान ही पहली बार क्वॉड की विदेश मंत्री स्तर की बैठक हुई। इसके बाद बाइडन प्रशासन ने इसे काफी तवज्जो दी। लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भारत पर पाकिस्तान के साथ संघर्ष में मध्यस्थता के विवाद के बीच अब क्वॉड में भारत की इंगेजमेंट ना के बराबर है।
ट्रंप को इस साल भारत की मेजबानी में होने वाली क्वॉड (Quad) समिट के लिए ही भारत आना था, लेकिन साल बीतने को है और क्वॉड के आयोजन को लेकर ना तो भारतीय और ना ही अमेरिकी पक्ष की ओर से किसी तरह की सुगबुगाहट है। बीते दिनों जिस तरह से कुआलालपुर में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जापान और फिलीपींस के रक्षा मंत्रियों ने रक्षा सहयोग काउंसिल के फ्रेमवर्क को लेकर बात की, ऐसे में इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई है कि क्या क्वॉड की जगह अब 'स्क्वायड' ले लेगा। मई 2024 में अनौपचारिक तौर पर सामने आया ये समूह साल 2023 के सिंगापुर डायलॉग से निकला है।
ट्रेड डील पर टिका ट्रंप का दौराइंटरनेशनल मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ऐसा नहीं है क्वॉड में किसी तरह की गतिविधि नहीं हुई। इस साल क्वॉड की दो बैठक हुई हैं। जब तक भारत का US के साथ व्यापार करार नहीं होगा, तब तक ट्रंप भारत नहीं आएंगे। भारत भी नहीं चाहेगा कि वो आएं। ऐसे में संभव है कि भारत में क्वॉड समिट आने वाले साल की शुरुआत में हो, तब तक ट्रेड डील पर मुहर की संभावना भी है। जहां तक फिलीपींस के साथ गठजोड़ की बात है, तो ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस के साथ अमेरिका ने डिफेंस समझौता किया है, इसलिए क्वॉड में भारत का होना अलग है। इसके साथ एजेंडा भी दक्षिण चीन सागर पर फोकस है, जबकि क्वॉड का एजेंडा बहुत बेहद व्यापक है।
क्वॉड का इतिहासक्वॉड (Quad) चार देशों, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक रणनीतिक समूह है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करना है। साल 2007 में तत्कालीन जापानी पीएम शिंजो आबे की अगुवाई में क्वॉड की शुरुआत हुई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2019 के दौरान ही पहली बार क्वॉड की विदेश मंत्री स्तर की बैठक हुई। इसके बाद बाइडन प्रशासन ने इसे काफी तवज्जो दी। लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भारत पर पाकिस्तान के साथ संघर्ष में मध्यस्थता के विवाद के बीच अब क्वॉड में भारत की इंगेजमेंट ना के बराबर है।
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