जबलपुर: पद्मश्री से सम्मानित और गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर मुनीश्वर चंद्र डावर का 79 वर्ष की आयु में शुक्रवार को निधन हो गया। वे जबलपुर के मदनमहल क्षेत्र में रहते थे और कुछ दिनों से बीमार थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में लाखों मरीजों का इलाज किया और उनसे केवल 20 रुपए फीस लेते थे। उन्हें 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
डॉक्टर एमसी डावर का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार जबलपुर आ गया था। जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वे सिर्फ 2 साल के थे। उनका बचपन गरीबी में बीता। उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने जालंधर में भी पढ़ाई की। इसके बाद जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। कुछ समय तक उन्होंने सेना में भी नौकरी की। फिर वे जबलपुर लौट आए और महानद्दा में एक छोटी सी क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस करने लगे।
शुरुआत में लेते थे 2 रुपय फीस
डॉक्टर डावर ने 1972 से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। उन्होंने 14 साल तक लोगों से सिर्फ 2 रुपए फीस ली। 1986 में उनकी तबीयत खराब हो गई। उनकी जगह दूसरे डॉक्टर उनकी क्लीनिक में बैठने लगे, तो उन्होंने फीस 2 रुपए से बढ़ाकर 3 रुपए कर दी। जब डॉक्टर डावर वापस क्लीनिक आए, तो उन्होंने भी 3 रुपए ही फीस रखी। उन्होंने 11 साल तक 3 रुपए फीस ली। 1997 के बाद जब चिल्लर की समस्या आने लगी, तो उन्होंने फीस 5 रुपए कर दी। उन्होंने 15 साल तक सिर्फ 5 रुपए लेकर मरीजों का इलाज किया।
2023 में राष्ट्रपति से मिला पद्मश्री सम्मान
डॉक्टर डावर को 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर दौरे पर आए थे, तो उन्होंने व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर डावर से मुलाकात की थी। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉक्टर डावर से उनके घर पर मुलाकात की थी।
सीएम मोहन ने जताया दुख
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने उनके साथ एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उनके निधन पर दुख जताया है। सीएम मोहन ने कहा कि जॉक्टर डावर को उनके काम के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
डॉक्टर एमसी डावर का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार जबलपुर आ गया था। जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वे सिर्फ 2 साल के थे। उनका बचपन गरीबी में बीता। उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने जालंधर में भी पढ़ाई की। इसके बाद जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। कुछ समय तक उन्होंने सेना में भी नौकरी की। फिर वे जबलपुर लौट आए और महानद्दा में एक छोटी सी क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस करने लगे।
शुरुआत में लेते थे 2 रुपय फीस
डॉक्टर डावर ने 1972 से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। उन्होंने 14 साल तक लोगों से सिर्फ 2 रुपए फीस ली। 1986 में उनकी तबीयत खराब हो गई। उनकी जगह दूसरे डॉक्टर उनकी क्लीनिक में बैठने लगे, तो उन्होंने फीस 2 रुपए से बढ़ाकर 3 रुपए कर दी। जब डॉक्टर डावर वापस क्लीनिक आए, तो उन्होंने भी 3 रुपए ही फीस रखी। उन्होंने 11 साल तक 3 रुपए फीस ली। 1997 के बाद जब चिल्लर की समस्या आने लगी, तो उन्होंने फीस 5 रुपए कर दी। उन्होंने 15 साल तक सिर्फ 5 रुपए लेकर मरीजों का इलाज किया।
2023 में राष्ट्रपति से मिला पद्मश्री सम्मान
डॉक्टर डावर को 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर दौरे पर आए थे, तो उन्होंने व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर डावर से मुलाकात की थी। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉक्टर डावर से उनके घर पर मुलाकात की थी।
पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 4, 2025
विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके… pic.twitter.com/rt7cJsYyEd
सीएम मोहन ने जताया दुख
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने उनके साथ एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उनके निधन पर दुख जताया है। सीएम मोहन ने कहा कि जॉक्टर डावर को उनके काम के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
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