मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को ‘महाराष्ट्र मोटर व्हीकल एग्रीगेटर रूल्स, 2025’ का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इस ड्राफ्ट के तहत अब ऐप आधारित टैक्सी और ऑटो सेवाएं जैसे ओला, उबर और रैपिडो को सरकारी नियमन के दायरे में लाया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य किरायों में पारदर्शिता लाना और यात्रियों को अनुचित रूप से अधिक किराया देने से बचाना है। इन नियमों के तहत, टैक्सी और ऑटो के लिए एमएमआरटीए द्वारा तय किए गए स्टैंडर्ड किराए को ही एग्रीगेटर सेवाओं के लिए बेस फेयर माना जाएगा। कैब के लिए यह 22.72 रुपये प्रति किलोमीटर और ऑटो के लिए 17.14 रुपये प्रति किलोमीटर होगा। परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने बताया कि कानून और न्याय विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ये नियम शुक्रवार को फाइनल किए गए। जनता से सुझाव और आपत्तियां 17 अक्टूबर तक परिवहन आयुक्त कार्यालय में मांगी गई हैं।
क्या है नए नियम
इन नए नियमों के अनुसार, कैब के लिए बेस फेयर सामान्य समय में 17 रुपये प्रति किलोमीटर तक कम हो सकता है, जबकि पीक आवर्स या मांग बढ़ने पर यह 34 रुपये प्रति किलोमीटर तक बढ़ सकता है। वहीं, ऑटो के लिए बेस फेयर 12.86 रुपये प्रति किलोमीटर से लेकर 25.7 रुपये प्रति किलोमीटर तक हो सकता है। मंत्री सरनाइक ने कहा कि भारी बारिश या किसी अन्य संकट की स्थिति में कैब का किराया 2,000 से 2,500 प्रति ट्रिप तक पहुंच जाता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकारी नियम जरूरी हैं।
यात्रियों को सता रही ये चिंता
हालांकि कुछ आम यात्रियों को चिंता है कि इन नियमों से किराए बढ़ सकते हैं। उनका मानना है कि Ola और Uber को किराए तय करने की आजादी होनी चाहिए, क्योंकि उनके डायनामिक और 'कम्यूटर-सेंट्रिक' (यात्री-केंद्रित) किराए यात्रियों के लिए बेहतर होते हैं। वे नहीं चाहते कि सरकार एग्रीगेटर के किराए पर नियम थोपे। नए नियमों में ड्राइवरों से जुड़े मुद्दों पर भी खास ध्यान दिया गया है। अगर कोई यात्री किसी ड्राइवर के खिलाफ RTA में शिकायत करता है, तो ARTO स्तर का अधिकारी एग्रीगेटर को उस ड्राइवर को ऐप से हटाने का निर्देश दे सकता है। RTO जांच के बाद 10 दिनों के भीतर ड्राइवर के बारे में फैसला करेगा। इसी तरह, अगर गाड़ी के खिलाफ शिकायत आती है, तो RTO गाड़ी को ऐप से हटाकर जांच कर सकता है।
ड्राइवरों के लिए नए नियम
ड्राइवरों को एक औसत राइडर रेटिंग बनाए रखनी होगी। अगर किसी ड्राइवर की रेटिंग दो स्टार से कम होती है, तो उसे एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना होगा। ट्रेनिंग के दौरान, ड्राइवर को ऐप से ऑफ-बोर्ड कर दिया जाएगा। ये नियम यात्रियों की सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाए गए हैं।
क्या है नए नियम
इन नए नियमों के अनुसार, कैब के लिए बेस फेयर सामान्य समय में 17 रुपये प्रति किलोमीटर तक कम हो सकता है, जबकि पीक आवर्स या मांग बढ़ने पर यह 34 रुपये प्रति किलोमीटर तक बढ़ सकता है। वहीं, ऑटो के लिए बेस फेयर 12.86 रुपये प्रति किलोमीटर से लेकर 25.7 रुपये प्रति किलोमीटर तक हो सकता है। मंत्री सरनाइक ने कहा कि भारी बारिश या किसी अन्य संकट की स्थिति में कैब का किराया 2,000 से 2,500 प्रति ट्रिप तक पहुंच जाता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकारी नियम जरूरी हैं।
यात्रियों को सता रही ये चिंता
हालांकि कुछ आम यात्रियों को चिंता है कि इन नियमों से किराए बढ़ सकते हैं। उनका मानना है कि Ola और Uber को किराए तय करने की आजादी होनी चाहिए, क्योंकि उनके डायनामिक और 'कम्यूटर-सेंट्रिक' (यात्री-केंद्रित) किराए यात्रियों के लिए बेहतर होते हैं। वे नहीं चाहते कि सरकार एग्रीगेटर के किराए पर नियम थोपे। नए नियमों में ड्राइवरों से जुड़े मुद्दों पर भी खास ध्यान दिया गया है। अगर कोई यात्री किसी ड्राइवर के खिलाफ RTA में शिकायत करता है, तो ARTO स्तर का अधिकारी एग्रीगेटर को उस ड्राइवर को ऐप से हटाने का निर्देश दे सकता है। RTO जांच के बाद 10 दिनों के भीतर ड्राइवर के बारे में फैसला करेगा। इसी तरह, अगर गाड़ी के खिलाफ शिकायत आती है, तो RTO गाड़ी को ऐप से हटाकर जांच कर सकता है।
ड्राइवरों के लिए नए नियम
ड्राइवरों को एक औसत राइडर रेटिंग बनाए रखनी होगी। अगर किसी ड्राइवर की रेटिंग दो स्टार से कम होती है, तो उसे एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना होगा। ट्रेनिंग के दौरान, ड्राइवर को ऐप से ऑफ-बोर्ड कर दिया जाएगा। ये नियम यात्रियों की सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाए गए हैं।
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