मुंबई : मुंबई में वर्ष 2002 और 2003 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपियों में शामिल साकिब अब्दुल हमीद नाचन की शनिवार को ब्रेन हेमरेज के चलते मौत हो गई। साकिब को गंभीर हालत में तिहाड़ जेल से सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
2002-03 के मुंबई धमाकों में आया था नाम दिसंबर 2002 में घाटकोपर के एलबीएस मार्ग पर बेस्ट की बस के नीचे हुए बम धमाके में 2 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके बाद अगस्त 2003 में झवेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया पर सिलसिलेवार धमाके हुए, जिनमें 54 लोगों की जान चली गई थी और करीब 244 लोग घायल हुए। इन घटनाओं की जांच में साकिब नाचन का नाम सामने आया था और उसे गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2017 में वह जमानत पर रिहा हुआ था।
SIMI का सक्रिय नेता रहा ठाणे जिले के पडघा कस्बे का रहने वाला साकिब नाचन, 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का सक्रिय नेता था। उस पर आरोप है कि वह मुंबई सेंट्रल, विले पार्ले और मुलुंड स्टेशन पर हुए बम धमाकों में भी शामिल था, जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हुई थी। उसे 2 बार आतंकी साजिशों का मास्टरमाइंड करार दिया गया था। एनआईए के अनुसार, नाचन ने अपने समूह के साथ मिलकर पडघा क्षेत्र को 'अल-शाम' नामक 'मुक्त क्षेत्र' घोषित करने की कोशिश की थी, ठीक उसी तर्ज पर जैसा सीरिया में ISIS करता था। इस मामले में उसके बेटे शमील नाचन को भी गिरफ्तार किया गया था।
2023 में दोबार हुई थी गिरफ्तारीराष्ट्रीय जांच एजेंसी ने वर्ष 2023 में साकिब नाचन को एक बार फिर गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप था कि वह आईईडी बनाकर बड़े आतंकी हमलों की साजिश रच रहा था। इस कार्रवाई में उसके साथ 15 अन्य संदिग्ध भी पकड़े गए थे। जांच में सामने आया कि साकिब नाचन खुद को इस पूरे मॉड्यूल का लीडर मानता था और पडघा को 'कट्टरपंथी गतिविधियों का गढ़' बनाने की कोशिश कर रहा था।
जेल में लगातार गिरती रही सेहत सूत्रों के अनुसार, यह पहला मौका नहीं था जब साकिब नाचन को ब्रेन स्ट्रोक आया हो। इससे पहले वर्ष- 2021 और 2023 में भी उसे ब्रेन स्ट्रोक हो चुका था। गिरफ्तारी से पहले भी उसकी तबीयत लगातार खराब रहती थी। जेल में इलाज की तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी हालत बिगड़ती गई और अंततः गंभीर ब्रेन हेमरेज के चलते उसकी मृत्यु हो गई।
2002-03 के मुंबई धमाकों में आया था नाम दिसंबर 2002 में घाटकोपर के एलबीएस मार्ग पर बेस्ट की बस के नीचे हुए बम धमाके में 2 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके बाद अगस्त 2003 में झवेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया पर सिलसिलेवार धमाके हुए, जिनमें 54 लोगों की जान चली गई थी और करीब 244 लोग घायल हुए। इन घटनाओं की जांच में साकिब नाचन का नाम सामने आया था और उसे गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2017 में वह जमानत पर रिहा हुआ था।
SIMI का सक्रिय नेता रहा ठाणे जिले के पडघा कस्बे का रहने वाला साकिब नाचन, 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का सक्रिय नेता था। उस पर आरोप है कि वह मुंबई सेंट्रल, विले पार्ले और मुलुंड स्टेशन पर हुए बम धमाकों में भी शामिल था, जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हुई थी। उसे 2 बार आतंकी साजिशों का मास्टरमाइंड करार दिया गया था। एनआईए के अनुसार, नाचन ने अपने समूह के साथ मिलकर पडघा क्षेत्र को 'अल-शाम' नामक 'मुक्त क्षेत्र' घोषित करने की कोशिश की थी, ठीक उसी तर्ज पर जैसा सीरिया में ISIS करता था। इस मामले में उसके बेटे शमील नाचन को भी गिरफ्तार किया गया था।
2023 में दोबार हुई थी गिरफ्तारीराष्ट्रीय जांच एजेंसी ने वर्ष 2023 में साकिब नाचन को एक बार फिर गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप था कि वह आईईडी बनाकर बड़े आतंकी हमलों की साजिश रच रहा था। इस कार्रवाई में उसके साथ 15 अन्य संदिग्ध भी पकड़े गए थे। जांच में सामने आया कि साकिब नाचन खुद को इस पूरे मॉड्यूल का लीडर मानता था और पडघा को 'कट्टरपंथी गतिविधियों का गढ़' बनाने की कोशिश कर रहा था।
जेल में लगातार गिरती रही सेहत सूत्रों के अनुसार, यह पहला मौका नहीं था जब साकिब नाचन को ब्रेन स्ट्रोक आया हो। इससे पहले वर्ष- 2021 और 2023 में भी उसे ब्रेन स्ट्रोक हो चुका था। गिरफ्तारी से पहले भी उसकी तबीयत लगातार खराब रहती थी। जेल में इलाज की तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी हालत बिगड़ती गई और अंततः गंभीर ब्रेन हेमरेज के चलते उसकी मृत्यु हो गई।
You may also like
यश दयाल पर शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण का आरोप,सीएम योगी तक पहुंच गई शिकायत
क्यों इतनी मेहनत जब 'मरना तो है'?, लोगों के सवाल का मिलिंद सोमन ने दिया जवाब
अहमदाबाद में बन रहा 'सिंदूर वन', पीएम मोदी बोले 'वीरों को समर्पित'
शेफाली जरीवाला की मौत का सच! जवान दिखने की कीमत इतनी भयानक होगी, किसी ने सोचा भी नहीं था
13 IPS, 22 PPS और 6000 पुलिसवालों की फौज भी नहीं बचा सकी मासूम की जान? जानें पूरा मामला