पटना: जिसका कभी पाटलीपुत्र की लोकसभा सीट पर डंका बजा था। जिसने लालू प्रसाद यादव को भरपूर ताकत लगाने के बाद उन्हीं की सीट पर उन्हें हरा डाला। एक वक्त था कि वो बिहार में लालू-राबड़ी सरकार में उनसे भी ऊपर का दर्जा रखता था। शिक्षा विभाग के फैसले उसकी राय के बिना तो हो ही नहीं सकते थे। अब वही सुपर सीएम फिर से लालू यादव के साथ आ चुके हैं। उन्हें राजद में बड़ा ओहदा भी दिया गया है। जानते हैं, कौन हैं वो... रंजन यादव। पढ़िए 'पाटलिपुत्र के अजेय योद्धा' की कहानी।
रंजन यादव कौन हैं?
रंजन यादव कभी वो नेता हुआ करते थे, जो लालू-राबड़ी शासनकाल में फैसला लिया करते थे। दोनों की दोस्ती भी उतनी ही मशहूर। जब लालू प्रसाद यादव ने 1997 में जनता दल से अलग होने का फैसला लिया तो नई पार्टी बनाई राष्ट्रीय जनता दल। कहा कि यही रीयल जनता दल भी है। खुद अध्यक्ष बने और रंजन यादव को बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष। इसके बाद रंजन यादव का नाला रोड वाला आवास भी एक पॉलिटिकल सेंटर बन गया।
नाला रोड से बनने लगीं बिहार सरकार की नीतियां
कहने वाले तो ये भी कहते हैं एक वक्त सरकार की कई नीतियां नाला रोड यानी रंजन यादव के आवास से तय होती थी। लालू के शासन के शुरू के 7-8 साल में सरकार में रंजन यादव की बड़ी भूमिका थी। बड़े फैसलों में उनका सीधा दखल होता था। खास तौर पर शिक्षा विभाग में। अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा विभाग की कमान रंजन यादव ने संभाल रखी थी। उसी वक्त से रंजन यादव को सियासी गलियारे में सुपर सीएम कहा जाने लगा था।
लालू के जेल जाने के बाद आई दोस्ती में दरार
इसी दौरान लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया। 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ा। जेल जाने के बाद सीएम पद की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी गई। यहीं से शुरूआत हुई लालू प्रसाद यादव और रंजन यादव की दोस्ती में दरार की। कहा जाने लगा कि रंजन यादव के नाला रोड वाले आवास पर जमावड़ा लग रहा है।
नाला रोड वाले घर की भूमिका!
तब सियासी गलियारे में चर्चा फैल गई कि रंजन यादव के नाला रोड वाले आवास पर कुछ विधायकों का आना जाना हो रहा है। चर्चा ये भी थी कि रंजन यादव के आवास पर बुद्धिजीवियों का जुटान हो रहा है। इस तरह की अपुष्ट खबरें लालू प्रसाद यादव तक भी पहुंचाई गईं। अविश्वास बढ़ता गया और लालू प्रसाद यादव ने रंजन यादव को राजद के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटा दिया।
तब रंजन यादव ने लालू यादव को चुनाव में हराया
इसके बाद साल 2009 आया। अब लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में विपक्ष में जा चुकी थी। लालू प्रसाद यादव ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट से भी पर्चा भरा। रंजन यादव तो मौके की ताक में थे ही, विरोधी के तौर पर उन्होंने भी इसी सीट से चुनाव लड़ा। नतीजा अप्रत्याशित था, रंजन यादव ने पाटलिपुत्र सीट से लालू प्रसाद यादव को 23,541 वोटों से हरा दिया। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले तक दोस्ती में दरार बरकरार रही।
लोकसभा चुनाव 2024 में भर गई खाई
इसके बाद समय आया 2024 के लोकसभा चुनाव का। पाटलिपुत्र सीट से लालू यादव के पुराने शागिर्द रामकृपाल यादव बीजेपी के टिकट पर मीसा भारती को दो बार हरा चुके थे। एक तरह से पाटलिपुत्र सीट बीजेपी का अभेद्य किला बनती जा रही थी। इसी में लालू यादव को याद आई पाटलिपुत्र के 2009 वाले अजेय योद्धा और अपने दोस्त रंजन यादव की। उन्होंने रंजन यादव को फिर से राजद का हिस्सा बनाया। अब इसे रंजन की रणनीति कहें या लालू की अच्छी किस्मत, मीसा भारती ने रामकृपाल यादव को हरा दिया और पाटलिपुत्र की सांसद बन गईं।
फिर से रंजन-लालू साथ आए
अब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की एकमात्र इच्छा यही है कि किसी तरह तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनें। इसके लिए फिर से रंजन यादव को सामने लाया गया है। इस दफे लालू प्रसाद यादव ने रंजन यादव को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है। अब सवाल यही है कि क्या रंजन यादव फिर से लालू प्रसाद यादव के लिए तुरुप का पत्ता साबित होंगे?
रंजन यादव कौन हैं?
रंजन यादव कभी वो नेता हुआ करते थे, जो लालू-राबड़ी शासनकाल में फैसला लिया करते थे। दोनों की दोस्ती भी उतनी ही मशहूर। जब लालू प्रसाद यादव ने 1997 में जनता दल से अलग होने का फैसला लिया तो नई पार्टी बनाई राष्ट्रीय जनता दल। कहा कि यही रीयल जनता दल भी है। खुद अध्यक्ष बने और रंजन यादव को बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष। इसके बाद रंजन यादव का नाला रोड वाला आवास भी एक पॉलिटिकल सेंटर बन गया।
नाला रोड से बनने लगीं बिहार सरकार की नीतियां
कहने वाले तो ये भी कहते हैं एक वक्त सरकार की कई नीतियां नाला रोड यानी रंजन यादव के आवास से तय होती थी। लालू के शासन के शुरू के 7-8 साल में सरकार में रंजन यादव की बड़ी भूमिका थी। बड़े फैसलों में उनका सीधा दखल होता था। खास तौर पर शिक्षा विभाग में। अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा विभाग की कमान रंजन यादव ने संभाल रखी थी। उसी वक्त से रंजन यादव को सियासी गलियारे में सुपर सीएम कहा जाने लगा था।
लालू के जेल जाने के बाद आई दोस्ती में दरार
इसी दौरान लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया। 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ा। जेल जाने के बाद सीएम पद की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी गई। यहीं से शुरूआत हुई लालू प्रसाद यादव और रंजन यादव की दोस्ती में दरार की। कहा जाने लगा कि रंजन यादव के नाला रोड वाले आवास पर जमावड़ा लग रहा है।
नाला रोड वाले घर की भूमिका!
तब सियासी गलियारे में चर्चा फैल गई कि रंजन यादव के नाला रोड वाले आवास पर कुछ विधायकों का आना जाना हो रहा है। चर्चा ये भी थी कि रंजन यादव के आवास पर बुद्धिजीवियों का जुटान हो रहा है। इस तरह की अपुष्ट खबरें लालू प्रसाद यादव तक भी पहुंचाई गईं। अविश्वास बढ़ता गया और लालू प्रसाद यादव ने रंजन यादव को राजद के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटा दिया।
तब रंजन यादव ने लालू यादव को चुनाव में हराया
इसके बाद साल 2009 आया। अब लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में विपक्ष में जा चुकी थी। लालू प्रसाद यादव ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट से भी पर्चा भरा। रंजन यादव तो मौके की ताक में थे ही, विरोधी के तौर पर उन्होंने भी इसी सीट से चुनाव लड़ा। नतीजा अप्रत्याशित था, रंजन यादव ने पाटलिपुत्र सीट से लालू प्रसाद यादव को 23,541 वोटों से हरा दिया। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले तक दोस्ती में दरार बरकरार रही।
लोकसभा चुनाव 2024 में भर गई खाई
इसके बाद समय आया 2024 के लोकसभा चुनाव का। पाटलिपुत्र सीट से लालू यादव के पुराने शागिर्द रामकृपाल यादव बीजेपी के टिकट पर मीसा भारती को दो बार हरा चुके थे। एक तरह से पाटलिपुत्र सीट बीजेपी का अभेद्य किला बनती जा रही थी। इसी में लालू यादव को याद आई पाटलिपुत्र के 2009 वाले अजेय योद्धा और अपने दोस्त रंजन यादव की। उन्होंने रंजन यादव को फिर से राजद का हिस्सा बनाया। अब इसे रंजन की रणनीति कहें या लालू की अच्छी किस्मत, मीसा भारती ने रामकृपाल यादव को हरा दिया और पाटलिपुत्र की सांसद बन गईं।
फिर से रंजन-लालू साथ आए
अब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की एकमात्र इच्छा यही है कि किसी तरह तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनें। इसके लिए फिर से रंजन यादव को सामने लाया गया है। इस दफे लालू प्रसाद यादव ने रंजन यादव को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है। अब सवाल यही है कि क्या रंजन यादव फिर से लालू प्रसाद यादव के लिए तुरुप का पत्ता साबित होंगे?
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