छिंदवाड़ाः मध्य प्रदेश में रेत का अवैध खनन लगातार जारी है। ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा से सामने आया है। यहां की पेंच नदी की रेत चुपचाप नहीं बल्कि प्रशासन की आंखों के सामने दिन-दहाड़े लूटी जा रही है। चौरई विधानसभा के चांद क्षेत्र में रेत माफिया इतने बेखौफ हो चुके हैं कि श्मशान घाट, सरकारी स्कूल और अन्य सार्वजनिक जमीनों पर भी रेत का अवैध भंडारण खुलेआम किया जा रहा है।
दरअसल, जिले में अवैध रेत खनन का मामला सामने आया है। इसमें खनिज विभाग पर मिलीभगत का आरोप लग रहा है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, अधिकारी कार्रवाई का नाटक कर रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि कार्रवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई है।
200 हाइवा जब्त, कागजों में सिर्फ 50
सूत्र बताते हैं कि जब कभी खनिज विभाग की टीम दबिश देती है। तब 200 हाइवा तक रेत जब्त होती है, लेकिन रिपोर्ट में सिर्फ 50 हाइवा दिखाई जाती है। बाकी रेत चोरी-छिपे माफियाओं को ही लौटा दी जाती है। यानी 'चोर को ही चौकीदा' बना दिया गया है। अधीनस्थ खनिज अधिकारी रेत माफियाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। सवाल ये है कि यदि यह सब कुछ खुलेआम हो रहा है, तो जिले का खनिज विभाग आंख मूंदे क्यों बैठा है?
विधायक का फूटा गुस्सा, कलेक्ट्रेट में दिया धरना
रेत माफियाओं की मनमानी और खनिज विभाग की लापरवाही से नाराज चौरई विधायक सुजीत चौधरी ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया था। जनसुनवाई में पहुंचे विधायक ने कहा कि जिस माफिया से रेत जब्त हो रही है, उसी को रेत की निगरानी सौंप दी जा रही है। यह मज़ाक है या मिलीभगत?
कलेक्टर ने विधायक से की बात
धरना स्थल पर पहुंचकर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने विधायक से बातचीत की थी। इस दौरान अवैध रेत खनन के अलावा चौरई, चांद और बिछुआ में यूरिया खाद की किल्लत का मुद्दा भी विधायक ने प्रमुखता से उठाया।
'अज्ञात' पर केस, असली आरोपी खुलेआम घूम रहे
चौंकाने वाली बात यह है कि रेत माफियाओं पर कार्रवाई के नाम पर 'अज्ञात' व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। सवाल ये है कि यदि भंडारण खुलेआम किया जा रहा है, तो असली आरोपी 'गुमनाम' कैसे हैं? सहायक खनिज अधिकारी स्नेहलता ठवरे की गई कार्रवाई सिर्फ चुनिंदा जगहों पर की गई, वह भी कागजों में। सरकारी जमीन पर अवैध भंडारण करने वालों को ही निगरानी की जिम्मेदारी दे दी गई है।
जब्त रेत रातों रात को हो रही गायब
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब्त रेत देर रात डंपरों से चोरी-छिपे उठाई जा रही है। इस पूरे नेटवर्क की जानकारी राजस्व विभाग, खनिज विभाग और पुलिस को भी है। लेकिन प्रशासन का रवैया चुप्पी साधे बैठा है।
दरअसल, जिले में अवैध रेत खनन का मामला सामने आया है। इसमें खनिज विभाग पर मिलीभगत का आरोप लग रहा है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, अधिकारी कार्रवाई का नाटक कर रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि कार्रवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई है।
200 हाइवा जब्त, कागजों में सिर्फ 50
सूत्र बताते हैं कि जब कभी खनिज विभाग की टीम दबिश देती है। तब 200 हाइवा तक रेत जब्त होती है, लेकिन रिपोर्ट में सिर्फ 50 हाइवा दिखाई जाती है। बाकी रेत चोरी-छिपे माफियाओं को ही लौटा दी जाती है। यानी 'चोर को ही चौकीदा' बना दिया गया है। अधीनस्थ खनिज अधिकारी रेत माफियाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। सवाल ये है कि यदि यह सब कुछ खुलेआम हो रहा है, तो जिले का खनिज विभाग आंख मूंदे क्यों बैठा है?
विधायक का फूटा गुस्सा, कलेक्ट्रेट में दिया धरना
रेत माफियाओं की मनमानी और खनिज विभाग की लापरवाही से नाराज चौरई विधायक सुजीत चौधरी ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया था। जनसुनवाई में पहुंचे विधायक ने कहा कि जिस माफिया से रेत जब्त हो रही है, उसी को रेत की निगरानी सौंप दी जा रही है। यह मज़ाक है या मिलीभगत?
कलेक्टर ने विधायक से की बात
धरना स्थल पर पहुंचकर कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने विधायक से बातचीत की थी। इस दौरान अवैध रेत खनन के अलावा चौरई, चांद और बिछुआ में यूरिया खाद की किल्लत का मुद्दा भी विधायक ने प्रमुखता से उठाया।
'अज्ञात' पर केस, असली आरोपी खुलेआम घूम रहे
चौंकाने वाली बात यह है कि रेत माफियाओं पर कार्रवाई के नाम पर 'अज्ञात' व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। सवाल ये है कि यदि भंडारण खुलेआम किया जा रहा है, तो असली आरोपी 'गुमनाम' कैसे हैं? सहायक खनिज अधिकारी स्नेहलता ठवरे की गई कार्रवाई सिर्फ चुनिंदा जगहों पर की गई, वह भी कागजों में। सरकारी जमीन पर अवैध भंडारण करने वालों को ही निगरानी की जिम्मेदारी दे दी गई है।
जब्त रेत रातों रात को हो रही गायब
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब्त रेत देर रात डंपरों से चोरी-छिपे उठाई जा रही है। इस पूरे नेटवर्क की जानकारी राजस्व विभाग, खनिज विभाग और पुलिस को भी है। लेकिन प्रशासन का रवैया चुप्पी साधे बैठा है।
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