Next Story
Newszop

ओमान तोड़ने जा रहा रवायत, खाड़ी देशों से अलग चलने का किया फैसला, डालेगा इनकम टैक्स का बोझ

Send Push
नई दिल्ली: ओमान 2028 से इनकम टैक्स लगाएगा। ऐसा करने वाला वह पहला खाड़ी देश होगा। यह नया टैक्स 5% होगा। यह सिर्फ उन लोगों पर लगेगा जिनकी सालाना आय 42,000 रियाल (1,09,000 डॉलर या करीब 93.7 लाख रुपये) या उससे ज्यादा है। ब्लूमबर्ग ने ओमान की सरकारी न्यूज एजेंसी के हवाले से यह खबर दी है। इससे लगभग 1% सबसे ज्यादा कमाने वाले लोग प्रभावित होंगे। वित्त मंत्री सईद बिन मोहम्मद अल-साकरी ने कहा कि इसका मकसद तेल से होने वाली आय पर निर्भरता को कम करना है। साथ ही सामाजिक खर्च को भी बनाए रखना है। यह कदम उस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव है जहां छह देशों के GCC (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) में से किसी ने भी इनकम टैक्स नहीं लगाया है।



कई सालों से इस नीति ने ज्यादा सैलरी वाले विदेशी कर्मचारियों को इस क्षेत्र में आकर्षित किया है। इसलिए ओमान का यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है। अबू धाबी कमर्शियल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री मोनिका मलिक ने ब्लूमबर्ग को बताया, 'हालांकि दायरा सीमित है, फिर भी यह क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वित्तीय विकास होगा।' ओमान वित्तीय सुधारों को आगे बढ़ाना चाहता है। साथ ही प्रतिस्पर्धा में भी बने रहना चाहता है। खासकर ऐसे समय में जब अमीर लोग इस क्षेत्र में आ रहे हैं।



तेल से होने वाली आय पर कम कर रहा न‍िर्भरता

ज्यादातर GCC देशों की वित्तीय स्थिति मजबूत है। सिर्फ सऊदी अरब और बहरीन में इस साल घाटा होने की उम्मीद है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि इन देशों को भी आखिरकार इनकम टैक्स की जरूरत पड़ सकती है। कारण है कि जीवाश्म ईंधन की ग्लोबल मांग कम हो रही है। ओमान तेल से होने वाली आय पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए सुधार कर रहा है। यह दूसरे खाड़ी देशों की तरह ही है। ओमान ने निजीकरण के जरिए भी पैसा जुटाया है। इसमें उसकी सरकारी ऊर्जा कंपनी की खोज और उत्पादन इकाई का पिछले साल का 2 अरब डॉलर का IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग) भी शामिल है। यह एक रिकॉर्ड है।



मोनिका मलिक ने कहा कि ओमान का इनकम टैक्स लगाना दूसरे जीसीसी देशों को भी भविष्य में टैक्स लगाने के लिए प्रेरित कर सकता है।



ओमान का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि खाड़ी देशों में अभी तक इनकम टैक्स नहीं लगता था। इससे वहां काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों को फायदा होता था। लेकिन, अब ओमान ने यह बदलाव किया है। इससे दूसरे देशों पर भी ऐसा करने का दबाव बढ़ सकता है।



ओमान सरकार का कहना है कि वह तेल पर निर्भरता कम करना चाहती है। इसलिए यह कदम उठाया गया है। सरकार का यह भी कहना है कि इससे सामाजिक खर्च पर कोई असर नहीं पड़ेगा।



खाड़ी देशों में इनकम टैक्स न होने के कारण तेल और गैस से होने वाली भारी आयखाड़ी देशों, खासकर संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब के पास तेल और गैस के विशाल भंडार हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की बिक्री से उन्हें इतनी अधिक आय होती है कि उन्हें अपनी सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचे और अन्य सरकारी खर्चों को फाइनेंस करने के लिए व्यक्तिगत आयकर लगाने की जरूरत नहीं होती है।



आर्थिक विविधीकरण की कमीइन देशों की अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक रूप से तेल पर बहुत अधिक निर्भर रही है। इस निर्भरता के कारण उन्हें आय के अन्य स्रोतों, जैसे कि आयकर, पर फोकस करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।



निवेश और प्रतिभा को आकर्षित करनाआयकर का न होना इन देशों को विदेशी निवेशकों, कुशल श्रमिकों और व्यवसायों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है। यह उन्हें अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।



सामाजिक और राजनीतिक कारणकुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर न लगाने की नीति सामाजिक स्थिरता बनाए रखने और नागरिकों पर वित्तीय बोझ कम करने में मदद करती है।

Loving Newspoint? Download the app now