भोपालः मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों अतिक्रमण हटाने की मुहिम जोरों पर है। देश के कथित संत और जेल की सजा भुगत रहे आसाराम के नाम पर भोपाल में आश्रम बना है। जिले के गांधीनगर स्थित संत आसाराम आश्रम में अतिक्रमण हटाया जाना था। यह कार्रवाई करने के लिए प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई शुरू होते ही मामले ने तूल पकड़ लिया।
दरअसल, जिला प्रशासन के राजस्व की टीम जेसीबी लेकर आसाराम आश्रम की बाउंड्रीवॉल तोड़ने पहुंची थी। इसे तोड़ने की कार्रवाई चल ही रही थी कि आश्रम के बच्चे जेसीबी के सामने आकर खड़े हो गए। उनके विरोध का संस्कृति बचाओ मंच ने भी साथ दिया। इस विरोध को देखते हुए प्रशासनिक टीम को वापस लौट गई।
तीन घंटे तक चला हंगामा
बच्चों ने जेसीबी के आगे खड़े होकर दीवार तोड़ने से रोका। इसके चलते करीब 3 घंटे तक हंगामा चलता रहा। वहीं, संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया। वे मौके पर पहुंचे और जेसीबी को रुकवाया। उनका कहना था कि यह जमीन संत आसाराम बापू को दिलीप कुकरेजा के पिता ने दान की थी। कीमती जगह होने की वजह से कोर्ट में केस लगाया गया, जो विचाराधीन है।
अतिक्रमण के खिलाफ हो रही कार्रवाई
बताया जा रहा है कि गुरुवार के दिन बैरागढ़ तहसीलदार की एक टीम मौके पर पहुंची थी। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रही थी। करीब 10 फीट ऊंची दीवार को 20 से 25 फीट तक तोड़ दिया। इस कार्रवाई का विरोध आश्रम में पढ़ने वाले बच्चों ने भी जताया। उनका कहना था कि दीवार को नहीं तोड़ा जाए। इस मांग के चलते उन्होंने जेसीबी को ही घेर लिया। ताकि, आगे की कार्रवाई न हो। करीब 3 घंटे तक हंगामा चलता रहा। आश्रम सेवक राहुल सिंह समेत स्टाफ भी आगे आया।
शासकीय कार्य में बाधा डालने की शिकायत
आश्रम के सेवकों का कहना था कि आश्रम की बाउंड्रीवॉल टूटने से बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। बच्चे इस आश्रम के गुरुकुल में पढ़ाई करते और संस्कार सीखते हैं। वहीं, बैरागढ़ तहसीलदार हर्षविक्रम सिंह के अनुसार यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा था। हम कोर्ट के आदेश पर संबंधित पक्षकार को जमीन का कब्जा दिलवाने पहुंचे थे। इसलिए गुरुवार को चार मजिस्ट्रेट, राजस्व निरीक्षक और पटवारी के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन आश्रम प्रबंधन ने बच्चों को ही आगे कर दिया। इससे शासकीय कार्य में बाधा हुई। उन्होंने कहा कि अब हम इस मामले में एफआईआर करवाएंगे।
दरअसल, जिला प्रशासन के राजस्व की टीम जेसीबी लेकर आसाराम आश्रम की बाउंड्रीवॉल तोड़ने पहुंची थी। इसे तोड़ने की कार्रवाई चल ही रही थी कि आश्रम के बच्चे जेसीबी के सामने आकर खड़े हो गए। उनके विरोध का संस्कृति बचाओ मंच ने भी साथ दिया। इस विरोध को देखते हुए प्रशासनिक टीम को वापस लौट गई।
तीन घंटे तक चला हंगामा
बच्चों ने जेसीबी के आगे खड़े होकर दीवार तोड़ने से रोका। इसके चलते करीब 3 घंटे तक हंगामा चलता रहा। वहीं, संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया। वे मौके पर पहुंचे और जेसीबी को रुकवाया। उनका कहना था कि यह जमीन संत आसाराम बापू को दिलीप कुकरेजा के पिता ने दान की थी। कीमती जगह होने की वजह से कोर्ट में केस लगाया गया, जो विचाराधीन है।
अतिक्रमण के खिलाफ हो रही कार्रवाई
बताया जा रहा है कि गुरुवार के दिन बैरागढ़ तहसीलदार की एक टीम मौके पर पहुंची थी। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रही थी। करीब 10 फीट ऊंची दीवार को 20 से 25 फीट तक तोड़ दिया। इस कार्रवाई का विरोध आश्रम में पढ़ने वाले बच्चों ने भी जताया। उनका कहना था कि दीवार को नहीं तोड़ा जाए। इस मांग के चलते उन्होंने जेसीबी को ही घेर लिया। ताकि, आगे की कार्रवाई न हो। करीब 3 घंटे तक हंगामा चलता रहा। आश्रम सेवक राहुल सिंह समेत स्टाफ भी आगे आया।
शासकीय कार्य में बाधा डालने की शिकायत
आश्रम के सेवकों का कहना था कि आश्रम की बाउंड्रीवॉल टूटने से बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। बच्चे इस आश्रम के गुरुकुल में पढ़ाई करते और संस्कार सीखते हैं। वहीं, बैरागढ़ तहसीलदार हर्षविक्रम सिंह के अनुसार यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा था। हम कोर्ट के आदेश पर संबंधित पक्षकार को जमीन का कब्जा दिलवाने पहुंचे थे। इसलिए गुरुवार को चार मजिस्ट्रेट, राजस्व निरीक्षक और पटवारी के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन आश्रम प्रबंधन ने बच्चों को ही आगे कर दिया। इससे शासकीय कार्य में बाधा हुई। उन्होंने कहा कि अब हम इस मामले में एफआईआर करवाएंगे।
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