नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी बिजनेस सर्विस कंपनी SIS लिमिटेड देश की प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री में सबसे बड़ी डील करने जा रही है। बिहार से ताल्लुक रखने वाली यह कंपनी APS ग्रुप को खरीदने जा रही है। यह सौदा लगभग 600-650 करोड़ रुपये में होगा। जानकारों का कहना है कि यह देश के प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री में अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा। APS ग्रुप इस सेक्टर में छठे नंबर की कंपनी है। उम्मीद है कि इस सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर होंगे और औपचारिक घोषणा भी जल्द हो सकती है।
यह सौदा कई चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में SIS, APS ग्रुप की 51% हिस्सेदारी खरीदेगी। अगले तीन साल में कुछ परफॉर्मेंस लक्ष्यों को पूरा करने के बाद SIS बाकी 49% हिस्सेदारी भी खरीद लेगी। FICCI ग्रांट थॉर्नटन की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में प्राइवेट सिक्योरिटी का बाजार 1 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें 50 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। इस सौदे के पूरा होने के बाद SIS में काम करने वाले लोगों की संख्या 350,000 तक पहुंच जाएगी। इससे यह कंपनी भारत में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाली कंपनियों में से एक बन जाएगी।
कंपनी का कामकाज
सिक्योरिटी के अलावा SIS फैसिलिटीज मैनेजमेंट और कैश लॉजिस्टिक्स सेवाएं भी देती है। फैसिलिटीज मैनेजमेंट में सफाई, टेक्निकल और सॉफ्ट सर्विसेज, पेस्ट कंट्रोल और बिजनेस सपोर्ट शामिल हैं। ये सेवाएं DTSS, SMC, Rare Hospitality और PestX जैसे ब्रांड के तहत दी जाती हैं। SIS कैश सर्विसेज नाम के जॉइंट वेंचर और SIS Prosegur Holdings नाम की सब्सिडियरी के जरिए कैश मैनेजमेंट सेवाएं भी दी जाती हैं। ये कंपनियां कैश-इन-ट्रांजिट सेवाएं, रिटेल कैश मैनेजमेंट सेवाएं और ATM में कैश भरने का काम करती हैं।
AP Securitas (APS) एक प्राइवेट कंपनी है जिसके मालिक अनिल पुरी और उनका परिवार है। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने 1,100 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया था। इस कंपनी को खरीदने से SIS को टेक्नोलॉजी, कैपिटल और एक्सपर्टाइज का फायदा मिलेगा। खासकर BFSI और लॉजिस्टिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। APS में 40,000 कर्मचारी काम करते हैं। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार इस मर्जर के बाद FY26 में SIS का रेवेन्यू 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। पिछले क्वार्टर में SIS ने 3,549 करोड़ रुपये के रेवेन्यू पर 93 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया था।
बिहार से कनेक्शन
इस बारे में SIS के मैनेजिंग डायरेक्टर रितुराज सिन्हा और APS ग्रुप से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। SIS की स्थापना 1974 में रवींद्र किशोर सिन्हा ने की थी। यह कंपनी भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर में भी काम करती है। रेवेन्यू और कर्मचारियों के मामले में यह दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में से एक है। SIS की पूरे भारत में 293 ब्रांच ऑफिस, 50 रीजनल ऑफिस और 29 ट्रेनिंग एकेडमी हैं।
जून के अंत तक SIS की 72.14% हिस्सेदारी प्रमोटर सिन्हा फैमिली के पास थी। बाकी हिस्सेदारी संस्थागत और रिटेल शेयरधारकों के पास है। इसमें सॉवरेन फंड अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) भी शामिल है। कंपनी की मौजूदा मार्केट वैल्यू 5,147 करोड़ रुपये है। पिछले छह महीनों में बीएसई के शेयरों में 20% तेजी आई है। SIS की भारतीय बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 5% है जबकि ग्लोबल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 10-15% है।
अभी किसका है दबदबा
Crisil की एक रिपोर्ट के अनुसार सिक्योरिटी सर्विसेज इंडस्ट्री में 20,000 छोटी से मध्यम आकार की असंगठित कंपनियां हैं। इनमें से केवल 8-10 ही पूरे भारत में काम कर रही हैं। कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण स्केलेबिलिटी, प्राइसिंग पावर और प्रॉफिटेबिलिटी सीमित है। असंगठित कंपनियों के पास घरेलू बाजार का लगभग 65% हिस्सा है। संगठित कंपनियां मध्यम अवधि में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं क्योंकि न्यूनतम वेतन बिल का कड़ाई से पालन और इंडस्ट्री से संबंधित कानूनों को लागू करने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
यह सौदा कई चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में SIS, APS ग्रुप की 51% हिस्सेदारी खरीदेगी। अगले तीन साल में कुछ परफॉर्मेंस लक्ष्यों को पूरा करने के बाद SIS बाकी 49% हिस्सेदारी भी खरीद लेगी। FICCI ग्रांट थॉर्नटन की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में प्राइवेट सिक्योरिटी का बाजार 1 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें 50 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। इस सौदे के पूरा होने के बाद SIS में काम करने वाले लोगों की संख्या 350,000 तक पहुंच जाएगी। इससे यह कंपनी भारत में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाली कंपनियों में से एक बन जाएगी।
कंपनी का कामकाज
सिक्योरिटी के अलावा SIS फैसिलिटीज मैनेजमेंट और कैश लॉजिस्टिक्स सेवाएं भी देती है। फैसिलिटीज मैनेजमेंट में सफाई, टेक्निकल और सॉफ्ट सर्विसेज, पेस्ट कंट्रोल और बिजनेस सपोर्ट शामिल हैं। ये सेवाएं DTSS, SMC, Rare Hospitality और PestX जैसे ब्रांड के तहत दी जाती हैं। SIS कैश सर्विसेज नाम के जॉइंट वेंचर और SIS Prosegur Holdings नाम की सब्सिडियरी के जरिए कैश मैनेजमेंट सेवाएं भी दी जाती हैं। ये कंपनियां कैश-इन-ट्रांजिट सेवाएं, रिटेल कैश मैनेजमेंट सेवाएं और ATM में कैश भरने का काम करती हैं।
AP Securitas (APS) एक प्राइवेट कंपनी है जिसके मालिक अनिल पुरी और उनका परिवार है। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने 1,100 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया था। इस कंपनी को खरीदने से SIS को टेक्नोलॉजी, कैपिटल और एक्सपर्टाइज का फायदा मिलेगा। खासकर BFSI और लॉजिस्टिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। APS में 40,000 कर्मचारी काम करते हैं। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार इस मर्जर के बाद FY26 में SIS का रेवेन्यू 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। पिछले क्वार्टर में SIS ने 3,549 करोड़ रुपये के रेवेन्यू पर 93 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया था।
बिहार से कनेक्शन
इस बारे में SIS के मैनेजिंग डायरेक्टर रितुराज सिन्हा और APS ग्रुप से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। SIS की स्थापना 1974 में रवींद्र किशोर सिन्हा ने की थी। यह कंपनी भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर में भी काम करती है। रेवेन्यू और कर्मचारियों के मामले में यह दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में से एक है। SIS की पूरे भारत में 293 ब्रांच ऑफिस, 50 रीजनल ऑफिस और 29 ट्रेनिंग एकेडमी हैं।
जून के अंत तक SIS की 72.14% हिस्सेदारी प्रमोटर सिन्हा फैमिली के पास थी। बाकी हिस्सेदारी संस्थागत और रिटेल शेयरधारकों के पास है। इसमें सॉवरेन फंड अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) भी शामिल है। कंपनी की मौजूदा मार्केट वैल्यू 5,147 करोड़ रुपये है। पिछले छह महीनों में बीएसई के शेयरों में 20% तेजी आई है। SIS की भारतीय बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 5% है जबकि ग्लोबल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 10-15% है।
अभी किसका है दबदबा
Crisil की एक रिपोर्ट के अनुसार सिक्योरिटी सर्विसेज इंडस्ट्री में 20,000 छोटी से मध्यम आकार की असंगठित कंपनियां हैं। इनमें से केवल 8-10 ही पूरे भारत में काम कर रही हैं। कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण स्केलेबिलिटी, प्राइसिंग पावर और प्रॉफिटेबिलिटी सीमित है। असंगठित कंपनियों के पास घरेलू बाजार का लगभग 65% हिस्सा है। संगठित कंपनियां मध्यम अवधि में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं क्योंकि न्यूनतम वेतन बिल का कड़ाई से पालन और इंडस्ट्री से संबंधित कानूनों को लागू करने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
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