सुशील कुमार, लखनऊ: सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए परमिट व रोड टैक्स में छूट दी है। पीपीपी मॉडल पर इसके लिए हर 25 किलोमीटर पर एक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा। यह योजना यूपी में इलेक्ट्रिक बसों के बेड़ों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह बातें शनिवार को बीपीसीएल के रिन्यूएबल एनर्जी हेड रंजन नायर ने कही। वे गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे यूपी एनर्जी एक्सपो 2025 के समापन में बोल रहे थे।पीएचडीसीसीआई, फर्स्टव्यू और यूपीनेडा के सहयोग से एक्सपो 2025 का आयोजन किया गया। इस तीन दिवसीय आयोजन में करीब 8 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। पीएचडीसीआई यूपी चैप्टर के क्षेत्रीय निदेशक अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि इसमें कई नवाचार देखने को मिले हैं। फर्स्टव्यू के सीईओ वरुण गुलाटी ने कहा कि एक्सपो के जरिए उत्तर प्रदेश ने खुद को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक आंदोलन के रूप में उभारा है। अब रास्ता साफ है। सौर ऊर्जा को तेजी से बढ़ावा दें। स्थानीय निर्माण को सक्षम बनाएं। राज्य में बैटरी स्टारेज प्लांट का आह्वानयूपी में सौर ईपीसी के विस्तार पर बोलते हुए यूपीपीसीएल के मुख्य अभियंता दीपक रायजादा ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में यूपी बैटरी स्टोरेज सिस्टम में सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहा है। हम निवेशकों को राज्य में बैटरी स्टोरेज प्लांट स्थापित करने का आह्वान करते हैं। उन्हें सरकार का भी साथ मिलेगा। राज्य में विद्युत आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। आईआईटी कानपुर और बीएचयू की मदद से हम सौर ईपीसी के लिए मजबूत फीडर्स और बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे हैं। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के वाणिज्यिक निदेशक योगेश कुमार ने ऊर्जा भंडारण और ग्रिड आधुनिकीकरण पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमारी विद्युत आपूर्ति अब भी थर्मल पावर पर निर्भर है। गर्मियों में दोपहर और शाम के समय पावर डिमांड सबसे अधिक रहती है। हमें ऑफ-पीक घंटों में उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहीत करने की जरूरत है। जिससे कि डिमांड के समय कमी को रोका जा सके और ग्रिड को स्थिर किया जा सके। विशेषज्ञों ने रखी बातमौके पर कई सत्रों में विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि जिन घरों में हाई लेवल का सौर ऊर्जा उत्पादन होता है, उनको ग्रिड में वापस भेजने के बजाय घरेलू उपयोग पर फोकस करना चाहिए। इससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। विशेषज्ञों ने कमर्शल और सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण पर चर्चा में माना कि 2050 तक भारत के कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ईवी अपनाने में तेजी लाने की जरूरत है। यूपी पहले ही भारत के कुल ईवी उपयोग में 15% योगदान दे चुका है। 2030 तक इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े में बढ़ोतरी होगी।
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